tag:blogger.com,1999:blog-85859142916520194122024-03-13T07:01:59.425+05:30Teekha Bolsoni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.comBlogger38125tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-66721508120619352102020-05-24T16:15:00.001+05:302020-05-24T16:15:41.284+05:30भाई भी खास है <div>#भाई_दिवस</div><div>हांजी आज भाई दिवस मतलब #brothers_day है ! हाँ हाँ पता है पता है आप लोग क्या बोलोगे ....क्या ये फालतू के चोंचले है कभी ये दिन कभी वो दिन कभी इसका कभी उसका, अरे हटाओ यार ये सब बेकार के दिन है सब अंग्रेजी ड्रामे है ......हम नही मानते इस सब को !😏😏 </div><div>तो भई बात ऐसी है जब आप अंग्रेजो के दिये daughter's day, mother's day, father's day, womens day , mens day और सबका चहेता Valentine's day मना सकते हो तो भई भाईयों ने क्या बिगाड़ा है ??? एक स्पेशल दिन इनको भी दे देते है कर लेते है इनकी भी थोड़ी सी तारीफ़, जता लेते है इनसे भी थोड़ा प्यार फिर बाकी के 364 दिन है ही इनसे लड़ने झगड़ने के लिए ....!</div><div>हाँ तो बात है आज भाईयों की, ये जो हमारे भाई लोग होते है ना एकदम नारियल जैसे होते है ऊपर से तो एकदम सख्त और अंदर से तो आप समझ ही गए होंगे ...बल्कि ये हमारी जिंदगी के सबसे पहले क्राइम पार्टनर होते है ! इनके साथ मिलकर बचपन के किये हुए क्राइम हमेशा यादगार रहते है ! कभी साथ मे स्कूल बंक करना, कभी साथ मे घर से मिले सामान लाने के पैसों में साथ मे हेर फेर करना, कभी साथ मिलकर किसी रिश्तेदार को तंग करना, कभी साथ मिलकर पड़ोसी की छत पर उधम मचा लेना,कभी साथ मिलकर एक दूसरे को मम्मी पापा की डाँट से बचा लेना और कभी बैक फायर होने पर एक दूसरे को पिटवा भी देना , कभी साथ मिलकर घर मे आई मिठाईयों पर हाथ साफ कर लेना और बाद में एक दूसरे पर इल्जाम लगाकर खुद शरीफ बन जाना , कभी मम्मी पापा की डाँट खाने के बाद चुपके से उनकी नकल करना और हां सबसे इम्पोर्टेन्ट , भाईयों का अपनी बहन के कपड़ो को पहन कर मटकना, बहन की छुपाई हुई चॉकलेट्स खा जाना, बहन के बाल खींचना, उसे पापा की लाडली कह कर चिढाना , मम्मी से अपनी बहन की शिकायतें लगाना उसे लगातार तंग करना ....और भी ना जाने क्या क्या करना और हाँ थोड़े बड़े होने पर एक दूसरे के सीक्रेट्स को अपना सीक्रेट्स समझ कर मम्मी पापा से छुपा भी लेना !</div><div>ऐसे ही प्यारे से होते है हमारे भाई बल्कि बचपन से लेके आखिर तक ये हमारे एक चलते फिरते सिक्युरिटी गार्ड भी होते है ! बहन जब भी कहीं घर से अकेले बाहर जाएगी तो पापा की इंस्ट्रक्शन मिलने पर ये भी उनके साथ चले जायेंगे एक दम सिक्योरिटी गार्ड बन कर भले खुद बहन से 5-6 साल छोटे हो लेकिन क्या मज़ाल जो ये बहन के सामने बड़े भाई से कम रियेक्ट करें .....!!!</div><div>बहन की जगह अगर छोटा भाई हो ना तो ये उसको भी एकदम ऐसे ही ट्रीट करते है बल्कि तब शरारतें थोड़ी और ज्यादा हो जाती है, और फिर इन्ही सब शरारतों के बीच जब भाई बहन बड़े होकर अपने अपने कामो में अपने अपने घर परिवार में व्यस्त होते है ना तो ऐसा ही एक स्टूपिड सा दिन आता है जो पुरानी यादों को हवा दे जाता है और याद कराता है भाईयों का प्यार उनका गुस्सा उनका लड़ना झगड़ना उ का वक्त बेवक़्त तंग करना उनकी बातें उनकी बचपन की यादें आदि आदि आदि तब हमें उस वक्त महसूस होता है कि कितना अनमोल रिश्ता है हमारे पास ...!😊</div><div>अपने भाई के अलावा भी यहाँ फेसबुक जैसी जगह पर भी कुछ लड़के ऐसे ही है जिनके साथ भले हमारा बचपन ना बीता हो लेकिन यहाँ वो हमारा साथ एक भाई की तरह ही देते है एक भाई की तरह ध्यान भी रख लेते है और कभी कभी तो अपनी आईडी से ज्यादा आपकी आईडी पर नजर रख कर चुपके से आपको इनबॉक्स में आकर बता जाएंगे कि यहां किससे दूर रहना है और किसको ब्लॉक करना है 😁😁 ख़ैर मानो तो इनमें भी एक फिक्रमंद भाई दिखेगा और ना मानो तो अपना भाई भी अपना हितैषी नहीं लगेगा बाकी हर रिश्ते के कई पहलू होते है लेकिन आज इनके दिन पर यही सही ....💝</div><div><br></div><div>#happy_brothers_day</div>soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-67325839047894681492019-11-19T13:04:00.001+05:302019-11-19T13:04:46.751+05:30पुरुष दिवस <div>पुरुष एक ऐसी वेदना है जिसकी संवेदना को बचपन से ही मारना शुरू किया जाता है ! बचपन मे अगर कभी उसकी आँख में आँसू आए तो कहा जाता है "ये क्या तू लड़कियों की तरह से रो रहा है चुप कर" ! मतलब रो कर अपनी पीढ़ा जाहिर करने का पहला और अंतिम अधिकार लड़कियों का है लड़को का नहीं ! लड़को को बचपन मे उनके खिलौने उनके खेल उनके काम बिल्कुल अलग करके दिए जाते है क्योंकि ईश्वर ने उन्हें शुरू से ही शारीरिक बलवान बनाया है तो समाज ने भी उनकी इस विशेषता का ध्यान रखते हुए उन्हें लगातार बलशाली कामो की तरफ़ धकेला है ! उनका ये बलशाली होने का टैस्ट उनके बचपन से ही शुरू हो जाता है घर मे कोई भारी चीज़ इधर से उधर करनी है तो बुलाओ लड़के को , रसोई में कोई स्टील का डब्बा खुलने में दिक्कत दे रहा है तो बुलाओ लड़के को , छोटी बहन तो क्या बड़ी बहन को भी अगर बाहर जाना है तो भेजो साथ मे लड़के को, बाहर से कोई सामान लाना है तो फिर से लड़का, आधी रात को अचानक कोई बीमार हो जाये तो लेके जाए लड़का (और हाँ इसके साथ सख्त हिदायत कि बीमार के पास खड़े होकर आँसू नहीं बहाने क्योंकि रोने धोने का काम लड़कियों का है), घर मे कोई रिश्तेदार आ जाये तो बाहर से नाश्ता पानी लाना हो तो भेजो लड़के को, यहाँ तक कि घर मे कोई चूहा,छिपकली, कॉकरोच मर जाए तो उसकी लाश उठा कर ठिकाने लगाने के लिए भी बुलाओ लड़के को .....!!!!</div><div>मतलब लड़का ना हुआ कोई चलता फिरता बिना भाव का रोबोट हो गया ! जिसे कहीं भी कभी भी अपने बारे में ना तो बोलना है और ना सोचना है क्योंकि ऐसा कुछ भी करना उसको सीधा स्वार्थी होने का खिताब देगा और पितृसत्तात्मकता का तमगा मिलेगा वो अलग ! इन्ही सब के चलते इनके साथ होता क्या है कि ये खुद को एक्सप्रेस करना भूल जाते है या यूं कहिए इन्हें ये शिक्षा कभी दी ही नहीं जाती कि अपना मन सामने वाले के आगे कैसे खोला जाए और यहीं से ये लोग बस एक कमाऊ मशीन बन कर रह जाते है ! सुबह से शाम तक कमाओ फिर आओ खाओ सो जाओ ! अगले दिन से फिर वही रूटीन ! वक्त के साथ एक टॉइम ऐसा आता है जहाँ ना ये अपने बारे में बोलना चाहते ना कोई और इनके बारे में सुनना चाहता ! फिर भी कहीं कोई इनसे इनके बारे में कुछ पूछ भी ले तो इनके पास खुद को ब्यान करने के लिए शब्द नहीं होंगे ! </div><div>आज भी #मेंस_डे होने के बाद भी कोई इनको विश भी करें तो दाँत निपोर कर रह जाएंगे ! आज सुबह ही जब मैंने अपने हसबेंड को मेंस डे विश किया तो उनका शर्माना देखने लायक था इसपर जब पूछा क्या गिफ़्ट चाहिए तो जवाब मिला "तुझे कुछ चाहिए तो तू ले आ मुझे कुछ नहीं चाहिए" ! मतलब भावनाओ के साथ इनकी इक्छाये भी खत्म ! ऐसे होते है पुरुष ! हालांकि जैसे अपवाद महिलाओ में है वैसे ही अपवाद पुरुषों में भी है लेकिन को अलग बहस का मुद्दा है और आज इनके दिन पर कोई बहस नहीं ! </div><div>आख़िर में पूरे पुरुष समाज को Happy #international_mens_day 💐</div>soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-9423410266333395872019-08-08T20:33:00.000+05:302019-08-08T20:33:55.377+05:30एक चाहत .…...!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div dir="ltr">
डियर अन्नया, </div>
<div dir="ltr">
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यही नाम सोचा था मैंने तुम्हारे लिए जब पहली बार तुम्हारा ख्याल आया था, जब पहली बार मुझे पता लगा था कि फिर से कोई मेरे घर में आने वाला है उस दिन से तुम मेरा सपना बन गई जिसे मैं बस पा लेना चाहती थी तुम्हें पाने की चाहत ऐसी थी कि उस वक्त कोई भी मुझसे ये कह देता कि तेरे घर लड़की ही आएगी तो मैं मारे खुशी के,थोड़ा और एक्स्ट्रा खा लेती थी ! उस टाइम तो तुम्हारे लिए चाहत इतनी बढ़ गई थी कि मैं उस वक्त बड़ों की दी गई सारी नसीहतें झट से मान लेती थी कि बस तुम में कोई कमी ना रह जाए मेरी वजह से ! तुम्हें पता है, मैं जब भी मार्केट में कोई नई ड्रेस देखती तो उसमें तुम्हें ही इमेजिन कर लेती थी और सोचती थी जब मेरी बेटी इसे पहनेगी तो कैसी दिखेगी बल्कि एक बार तो मैं एक छोटी सी सुंदर सी फ्रॉक ले भी आई थी, यह सोच कर कि जब तुम आओगी ना तो मैं तुम्हें यही फ्रॉक पहनाऊंगी और बस ऐसे ही तुम्हें सोच सोच कर नए-नए सपने बुनती रहती थी ! मैं बहुत खुश रहती थी, तब तुम्हारे बड़े भाई से भी तुम्हारी बाते कर लेती थी ! इसी तरह टाइम बीतता था मेरा और फिर वह दिन आ गया जब मैं ऑपरेशन थिएटर में पहुंच गई और बस तुम्हें पा लेने के लिए बहुत ज़्यादा एक्साइटेड हो गई कि बस अब थोड़ी देर बाद तुम मेरी गोद मे आ जाओगी ! फिर बस मुझे एक इंजेक्शन लगा और मैं धीरे-धीरे अपने होश खोने लगी और बन्द आंखों में तुम्हारा हँसता हुआ चेहरा मुझे धुँधला सा नज़र आने लगा ! तभी अचानक फिर एक बच्चे की रोने की आवाज सुनाई दी तो मैं थोड़ा होश में आई और मैंने फौरन डॉक्टर से पूछा डॉक्टर क्या हुआ है ?? डॉक्टर ऑपरेशन करते करते हँसते हुए बोली क्या चाहिए तुम्हें शाहरुख या करीना ?? मैंने बोला आप बताओ ना ...डॉक्टर मुस्कुराते हुए बोली , बेटा हुआ है !! क्या ??? यह सुनते ही मैं जोर जोर से रोने लगी और बोलने लगी मुझे नहीं चाहिए बेटा मुझे तो बेटी ही चाहिए !! मुझे याद है मैंने रोते रोते अपने हाथ से वो ग्लूकोस का पाइप भी खींच कर निकाल दिया था और तब फिर उस एनेस्थीसियन ने मेरे दोनों हाथ कस के पकड़ कर मुझे लिटा दिया !! मैं बस रोये जा रही थी कि ये क्या हो गया मेरे साथ मुझे तुम क्यों नहीं मिली ?? मेरा सपना एकदम से टूट गया फिर जब डॉक्टर ने मुझे मेरे बेटे को दिखाया उस वक्त वो बहुत प्यारा लग रहा था उस टाइम वो एक दम सुर्ख लाल गुलाबी सा, मैंने तब उसका माथा चूम लिया और एक बार फिर तुम्हे याद करके रो पड़ी !!! तब उस एनेस्थीसियन ने और डॉक्टर ने बहुत समझाया और तब मुझे यही समझ आया कि तुम मेरे लिए थी ही नहीं तुम बस एक गहरा सुर्ख सपना थी जो मैंने खुद के लिए बुन लिया था ! उसके बाद धीरे धीरे मैं उस वक्त तुम्हें भूलने लगी लेकिन वो कहते है ना दिल से की गई चाहत और दिल से देखा गया सपना कभी भुलाया नहीं जा सकता बस यही मेरे साथ हुआ, उस दिन से लेकर आज तक मैं जब भी किसी छोटी बच्ची को देखती हूं, तो मुझे बस तुम याद आ जाती हो ! कभी-कभी तो कोस भी लेती हूं खुद की किस्मत को कि मुझे तुम क्यों नहीं मिली फिर याद आती है किसी की कही वो एक लाइन, " बेटियाँ किस्मत वालों को ही मिलती है !" </div>
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<div dir="ltr">
तुम्हारी ना बन सकी माँ <br />
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सोनी गर्ग गोयल </div>
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soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-39887386090380200962019-07-16T11:11:00.001+05:302019-07-16T11:12:31.038+05:30इश्क़ में लड़किया पागल होती है, प्रैक्टिकल नहीं !!!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div dir="ltr">
"प्यार कब कहां किसी का पूरा होता है</div>
<div dir="ltr">
प्यार का तो पहला अक्षर ही अधूरा होता है" </div>
<div dir="ltr">
बस इन्हीं दो लाइनों में प्रेम के प्रतिरोध का सार छुपा है लेकिन सिर्फ उन लोगों के लिए जिनका प्रेम उनकी मंजिल तक नहीं पहुंचा, बाकी उन लोगों के लिए तो यह सिर्फ 2 लाइनें हैं जिन्होंने पहले प्यार किया और फिर एक सफल शादी भी की ! ऐसे बहुत से जोड़े आगे चलकर कई युवाओं के मार्गदर्शक बनते तो कुछ युवाओं की हिम्मत और बस ऐसे ही यह चेन बढ़ती जाती है लेकिन कई बार इस बढ़ती हुई चेन में कुछ ऐसी कड़ियां भी जुड़ जाती हैं जिनमें बहुत जल्दी जंग लग जाती है और वो कड़ी पूरी चेन के लिए थोड़ी अपमानजनक भी साबित होती है ! असल में इस प्रेम विवाह की चेन में जुड़ना बहुत आसान नहीं तो बहुत मुश्किल भी नहीं है लेकिन प्रॉब्लम तब आती है जब पीयर प्रेशर के चलते या किसी दिखावे के चलते या अपनी नासमझी के चलते इस प्रेम विवाह की चेन में जबरदस्ती घुसा जाए !!<br />
<div style="text-align: justify;">
नेहा, दिल्ली शहर में रहने वाली एक 24 साल की लड़की जिसको अचानक से एक लड़के से प्यार हो जाता है लड़का छोटी जात का और लड़की बड़ी जात की, लड़की एक मशहूर रईस परिवार की बेटी और लड़का एक लोअर मिडल क्लास से आने वाला, जोकि जूते के शोरूम पर जूते दिखाने का काम करता है दोनों एक सोशल मीडिया साइट पर मिलते हैं और वहीं से बातों बातों में दोनों को प्यार हो जाता है धीरे-धीरे दोनों का मिलना जुलना घूमना फिरना रेस्टोरेंट में साथ में लांच लेना शुरू होता है जिसके बिल अक्सर लड़की ही चुकाती थी ! कुछ सालों के इस कथित प्यार के बाद बारी आई शादी की,जब लड़की के घर वाले लड़की के लिए एक अच्छे लड़के की तलाश कर रहे थे तभी लड़की उन्हें अपने प्रेम के बारे में बताती है और कह देती हैं कि वह शादी करेगी तो सिर्फ उसी लड़के से जिससे वो प्यार करती है एक हिंदुस्तानी पिता होने के नाते लड़की के बाप ने पहले तो बात सुनते ही बिल्कुल मना कर दिया लेकिन जब लड़की के रोज-रोज के रोने और किसी और से शादी ना करने की जिद सर चढ़ने लगी तो हार कर लड़की के पिता ने लड़की से लड़के को घर पर बुलाने को कहा ! इस सबके दौरान लड़का अपने परिवार वालों को नेहा के लिए मना चुका था ! इस वजह से लड़की के पिता से मिलने ना सिर्फ लड़का आया बल्कि उसके परिवार के कुछ सदस्य भी आए जिन्होंने लड़की के पिता को भरपूर समझाने की कोशिश की कि बच्चों का प्यार है बच्चों की आपसी समझ है हमें और आपको इन्हे आशीर्वाद देकर इन की शादी कर देनी चाहिए लड़की के पिता ने कुछ टाइम मांग कर उन्हें अपने घर से भेज दिया ! उनके जाने बाद लड़की के पिता ने अपनी लड़की को बहुत समझाया कि लड़का आर्थिक रूप से मजबूत नहीं है और वो लड़की के खर्चे नहीं उठा पायेगा लेकिन लड़की टस से मस मस नहीं हुई ! लड़की के पिता ने बाकी दो छोटी बहनों की भी दुहाई दी कि अगर तू इस तरह करेगी तो छोटी बहनों के साथ क्या होगा लेकिन लड़की फिर भी मानने को तैयार नहीं लड़की पर सिर्फ लड़के प्यार का पागलपन सवार था लड़की की मां ने भी समझाया कि वह परिवार हमारी बराबरी का नहीं है और जितने शौक तेरे इस घर में पूरे होते हैं उस घर में पूरे नहीं हो पाएंगे और फिर रोयेगी वो अलग ! लड़की किसी भी तरह से मानने को तैयार नहीं कई हुई ! दिन बीते, हफ्ते बीते, महीने बीते, लेकिन लड़की मानने को राजी नहीं और आखिरकार 1 दिन लड़की ने वो किया जिसकी उसके पापा को बिल्कुल उम्मीद नहीं थी, एक रात लड़की, लड़के के साथ घर छोड़ कर चली गई घर ! फिर तकरीबन 1 हफ्ते बाद लौटी और जब आई तो उसने बताया कि वह उस लड़के के साथ शादी कर चुकी हैं यह सुनते ही उसके पिता ने एक भारतीय पिता की तरह उसे उसी वक्त घर से निकाल दिया यह कहकर कि "जब शादी कर ही ली तो अब यहां क्यों आई है ??,जाए और अपने ससुराल में ही रहे अब वही उसका घर है !" लड़की भी उसी वक्त अपने घर से चली अभी कुछ महीने ही बीते थे कि वही हुआ जिसका पापा को डर था एक दिन लड़की अचानक रोते हुए घर वापस आ गई और तब अपनी लड़की को रोते हुए देख कर पापा उसके आंसुओं के आगे हार गए तब से लेकर आज तक उसकी शादी को तकरीबन 5 साल हो चुके हैं और पापा आज भी लड़की को पैसे देते रहते हैं लेकिन इन 5 सालों में लड़की के घर में बहुत कुछ हो चुका है लड़की के पिता पूरी तरह से शराब की आदी हो चुके हैं और लड़की की दोनों छोटी बहने जिसमें से एक कहीं भी शादी करने को तैयार नहीं है और दूसरी का कहीं भी रिश्ता तय नहीं हो पा रहा !</div>
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दूसरी कहानी शिवानी, एक बड़े रसूखदार परिवार की छोटी बेटी जिसे जॉब करते करते एक लड़के से प्यार हो गया और यहां भी वही लड़की अमीर लड़का गरीब ! जात की बात रहने ही देते हैं क्योंकि शहरों में जात बिरादरी से कहीं ज्यादा परिवार वालों का स्टेटस मैटर करता है जात बिरादरी तो फिर भी अब नजरअंदाज कर दी जाती है ! इस कहानी में भी यही हुआ लड़की के घरवालों ने लड़की को बहुत समझाया बहुत मनाया लेकिन लड़की मानने को राजी नहीं और जब लड़की को भी दिखा कि उसके परिवार वाले नहीं मान रहे हैं और लगातार उस पर कहीं और शादी कर लेने का दबाव बना रहे हैं तो उस लड़की ने लड़के के साथ कोर्ट मैरिज कर ली और जब घर आकर अपने परिवार को बताया तो उन्होंने भी उसी वक्त लड़की को घर से बाहर निकाल दिया कि जब शादी कर ही ली तो अब यहां किस लिए आई है जो परिवार तुमने सुना है उस में खुश रहो ! इस शादी में लड़की को तकरीबन डेढ़ 2 साल बीत चुके थे इस दौरान उसकी बेटी भी हुई ! शादी के 3 साल बीत जाने के बाद जब लड़की के छोटे भाई की शादी की बात हुई तो सभी के कहने और समझाने पर लड़की के माता-पिता ने लड़की के घर भी कार्ड भेज दिया लड़की भी भाई की शादी में आ गई मां बाप और सभी परिवार वालों से मिलकर खुश हुई जब परिवार के कुछ लोगों ने लड़की से उसके ससुराल के हालचाल जाने तो पता लगा लड़का घर में रहता ही नहीं है, बस महीने में एक दो बार आ जाता है ! शादी क बाद से ही लड़का दिल्ली से बाहर रहकर नौकरी करने लगा ! अब घर में लड़की अकेले रहती है अपनी बेटी के साथ ! परिवार क पूछने पर लड़की ने बताया की उसे ये सब अपने माँ बाप को बताने की हिम्मत नहीं हुई ! </div>
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इन दोनों की कहानियों में जो की बिलकुल सच है, एक बात जो सामने आयी वो ये कि, इश्क़ करो और जरूर करो लेकिन जब अपने लिए कोई जीवनसाथी चुनो तो व्यवहारिक जरूर बनो क्यूंकि इश्क़ की आग में ना घर चलते है ना जिंदगी की गाडी ! </div>
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#इश्क़ #प्रेमविवाह </div>
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soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-54149439353477659172019-06-08T23:18:00.000+05:302019-06-09T08:57:54.338+05:30अपना फैसला खुद करो !!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
बात पिछले साल की है जब लविश क्लास २ में था, तब एक दिन स्कूल से आने के बाद जब मैंने उससे रोज़ की तरह उसके बैग से टिफिन निकालते हुए पूछा <div>
लविश आज टिफिन कैसा लगा ?</div>
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थोड़ा गुस्से में और शिकायत करते हुए वो बोला, मम्मा आज मेरा पूरा टिफिन _____ ने खा लिया !</div>
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क्यों ? वो अपना टिफिन नहीं लाया था क्या ???</div>
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लाया था, लेकिन उसने पता नहीं कब मेरे बैग से टिफिन निकाल कर लंच पीरियड से पहले ही खा लिया !</div>
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तेरा ध्यान कहाँ रहता है तू अपने बैग का ध्यान भी नहीं रख सका और मैडम क्या करती है क्लास में तूने उनको बताया ??</div>
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हाँ बताया था मैंने, और मैडम ने उसे बोला कि दोबारा ऐसे नहीं करना वरना पनिशमेंट मिलेगी और मुझे एक बिस्किट का पैकेट दे दिया मैंने लंच में फिर वो खा लिया !</div>
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ठीक है , और आगे से खुद भी ध्यान रखा कर अपने बैग का और सामान का !</div>
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तक़रीबन ३ या ४ दिन बाद फिर यही सब हुआ </div>
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लविश : लगभग रोते हुए , मम्मा _______ ने मेरा टिफिन फिर से खा लिया और मैंने मैम को बोला तो उन्होंने बस उसे डाँट दिया लेकिन पनिश नहीं किया !!!</div>
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ठीक है, तू रो मत मैं कल तेरी मैम से कल बात करती हूँ !!</div>
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और ये बात इस बार लविश ने अपने पापा को भी सुबह स्कूल जाने पहले बताई </div>
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पापा कल ना मेरा टिफिन फिर से _______ खा लिया !!</div>
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फिर ?</div>
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फिर मैंने मैंम को बोला लेकिन मैम ने बस उसे थोड़ा सा डाँट दिया लेकिन पनिश तो किया ही नहीं !!</div>
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लविश के पापा : बेटा सुन अगर इस बार वो कभी भी तेरा टिफिन खाये ना तो मैम से कुछ मत बोलियों तू बस उस _____ के मुँह पर एक खींच कर मारियो तबियत से ...... और डरियो बिलकुल नहीं !!</div>
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लेकिन पापा फिर मैम मुझे ही डाँटेगी और डायरी में नोट लिख कर पैरेंट्स को बुलाएंगी !!</div>
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कोई नहीं वो हम देख लेंगे लेकिन इस बार तू रो कर वापस मत आइयो !!</div>
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ठीक है पापा !!</div>
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उस लड़के ने अपने बढ़ते हौसले और मैम के ज्यादा कुछ ना कहने की वजह से फिर वही किया , लेकिन इस बार लविश तैयार था उसने वही किया जो उसके पापा ने उसे समझाया और नतीजा ये हुआ कि पुरे साल उस लड़के ने दोबारा कभी लविश को परेशान नहीं किया !!!! हाँ लेकिन बाद में पता लगा कि बार बार बाकि बच्चों की कंप्लेंट की वजह उसका सेक्शन चेंज करा दिया गया और दुसरे सेक्शन में जाके क्या हुआ पता नहीं ! </div>
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कहने को तो बस ये एक छोटा सा मामला है क्लासरूम का लेकिन, अगर समझा जाए तो यही आज का सिस्टम है , अगर मैम यानी प्रशासन ने सबसे पहली शिकायत पर ही एक सही एक्शन/फैसला लिया होता तो ना उस बच्चे का हौसला बढ़ता और ना ही लविश यानी विक्टम हिंसक होता !</div>
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यही बात #अलीगढ़ मामले में #ट्विंकल के साथ हुई है !! अगर यहाँ भी पुलिस ने अपना काम पहली ही शिकायत पर ठीक से किया होता तो शायद मामला कुछ और होता लेकिन नहीं ऐसा नहीं हुआ और अब जब दूसरी शिकायत पर आरोपी गिरफ्त में है तो शासन से लेके प्रशासन तक सब लगे है बस हग मूत के लीपने पोतने में !!! और तरस आ रहा है उन माँ बाप पर जो इस उम्मीद है कि दोषी को कड़ी सजा मिलेगी जबकि वो अपनी ही बेटी से दुष्कर्म के इल्जाम पर भी खुला घूम रहा है !!!</div>
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जबकि होना ये चाहिए था कि उस बच्ची के माँ बाप को उन दोषियों को देखते ही उन दोनों को अपने हिसाब से उसी वक्त सजा दे देनी थी क्यूंकि प्रशासन ने तो अभी बहुत लीपना है !! </div>
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soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-38364709736394558462019-04-09T11:34:00.001+05:302019-04-09T11:37:41.817+05:30चाय से धोखा <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div dir="ltr">
चाय ना हुई, मुआ इश्क़ हो गया,<br />
जब पकती है तो बस इश्क़ सी पकती है<br />
और जब महकती है तो इश्क़ सी ही महकती है<br />
ये चाय,इश्क़ सी ही तो है <br />
ठीक इश्क़ की ही तरह धीरे धीरे उबलती है <br />
और जितनी उबलती है,उतनी ही गहरी होती है<br />
बिल्कुल गहरे लाल सुर्ख इश्क़ की तरह <br />
जैसे चाय में डूबे इलायची,अदरक <br />
चाय का स्वाद बढ़ाते है,वैसे <br />
इश्क़ में डूबे दो प्रेमी, <br />
इश्क़ का स्वाद बढ़ाते है </div>
<div dir="ltr">
लेकिन वो कहते है ना बड़े बुजुर्ग </div>
<div dir="ltr">
ये आजकल का इश्क़ ना हुआ पानी का बुलबुला हो गया </div>
<div dir="ltr">
जितनी जल्दी बना उतनी जल्दी फुस्स </div>
<div dir="ltr">
वैसे ही है, चाय के नए इश्कबाज़ </div>
<div dir="ltr">
जितनी जल्दी सर्दियों में चाय से इश्क हुआ </div>
<div dir="ltr">
उतनी जल्दी गर्मियों में ये चाय वाला इश्क फुस्स !!!</div>
<div dir="ltr">
मतलब ये चाय का इश्क़ भी आजकल का इश्क़ हो गया !<br />
जितना जल्दी इश्क़ उतना जल्दी धोखा !!<br />
<br /></div>
<div dir="ltr">
#चाय #इश्क़ #गर्मियाँ #धोखा </div>
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soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-24027312856754992752019-01-04T17:23:00.001+05:302019-01-04T17:23:31.927+05:30क्यों पैदा किया <p dir="ltr">मेरे घर से कुछ दूरी पर एक तीनमंजिला मकान बना हुआ हैं जिसमे एक-एक मंज़िल पर कई कई किरायदार रहते है उनमे से ही एक परिवार ऐसा है जिसमे आठ सदस्य है ! माता पिता,चार बेटियां और दो बेटे ! बेटियां बड़ी हैं और दोनों बेटे छोटे ! अक्सर इनमे से सबसे छोटा बेटा जिसकी उम्र तकरीबन आठ या नौ वर्ष की होगी वो अक्सर हमारे घर खेलने आ जाया करता है पहले आने में हिचकिचाता था लेकिन धीरे धीरे वो खुल गया और मेरे बेटे को भी (जिसकी उम्र दो वर्ष है ) उसके साथ खेलना अच्छा लगने लगा ! अब दोनों शाम को अक्सर साथ खेला करते हैं ! मैं भी अक्सर उनके खेल में शामिल हो जाया करती हूँ इसी दौरान मैं उससे कुछ बातें भी कर लिया करती हूँ और बातों बातों में ही पता चला कि वो आठ सदस्यो का परिवार किस तरह रहता है! हुआ यूँ कि एक दिन जब खेलते खेलते बाहर अन्धेरा नज़र आया तब मेरी नज़र घडी पर गयी देखा तो नौ बज चुके थे, मैंने फ़ौरन उसे उसके घर जाने को कहा, "कहा कि बहुत देर हो गयी है अब तुम अपने घर जाओ तुम्हारी मम्मी चिंता कर रही होंगी " "इस पर वो हँसते हुए बोला कि नहीं मेरी मम्मी कुछ नही कहती" मुझे सुन कर हैरानी हुई ! मैंने फिर पूछा क्यों, तुम्हे देर से जाने पर डाँट नहीं पड़ती ?वो बोला "नहीं बल्कि उसकी मम्मी तो सो चुकी होंगी !" ये बात सुन कर हैरानी और बढ़ गयी सोचने लगी कि कैसी माँ है बच्चा घर से बाहर खेल रहा है और वो सो भी गयी !लेकिन उसके बाद जब मैंने उससे इस सब कि वजह पूछी तो जो बात सामने आयी उससे बड़ी हैरानी भी हुई और तरस भी आया !<br>
असल में उस बच्चे की माँ घरो में झाड़ू पौछे का काम किया करती है और उसके पिता बेलदारी का काम करते है लेकिन फिलहाल वो घर में ही रहते है और उस बच्चे के कहे अनुसार उसके पिता रोज़ शराब पी कर घर में झगड़ा करते है और उस बच्चे को भी अक्सर मारा पीटा करते है जिस वजह से वो बच्चा अक्सर देर रात को ही अपने घर जाना पसंद करता है ! उसके बाद उसने बताया कि उसकी मम्मी रोज़ सुबह घर के सभी सदस्यो के लिए खाना बना कर और बाकी काम ख़त्म करके तक़रीबन छह बजे काम के लिए निकल जाया करती है और साथ उसकी बहने भी घरो में काम करने जाती है ! सबसे बड़ी बहन के बारे में उसने बताया कि उसकी शादी हो चुकी है और वो भी घरो में काम किया करती है और एक बहन किसी के घर में रहती है और वही रेह कर काम करती है !फिर मैंने पूछा और तुम दोनों भाई क्या करते हो तो वो तपाक से बोला मेरा भाई मोबाईल की दूकान पर काम करता है (जिसकी उम्र उसे पता नहीं बस इतना पता है कि वो आठवी क्लास में पढता है) और उसे पाँचसौ रुपए महीना मिलता है, और मैं यहाँ आ जाता हूँ ! ये सब सुन कर सच में एक बार तो बड़ा गुस्सा आया कि कैसे माँ बाप है जो अपने बच्चो से इतनी छोटी उम्र में काम करवा रहे है और जिन्हे अपने बच्चो की बिलकुल फ़िक्र ही नहीं कि वो सारा दिन कैसे रहते है कहाँ जाते है क्या करते है ?<br>
अक्सर जब किसी बच्चे को इस तरह के हालात में देखती हूँ तो यही एक सवाल मन में उठता है कि आखिर क्यूँ इसके माँ बाप ने इसे पैदा किया जब वो इसे सही ढंग से पाल ही नहीं सकते तो क्यूँ इस बेचारे की ज़िंदगी इतनी बत्तर बना दी ? ये सवाल मैं अक्सर जब किसी माता पिता से पूछती थी तो जवाब मिलता था "अरे बेटा ये किसी के हाथ में नहीं होता ऊपरवाले ने इनकी किस्मत में यही लिखा है तो कोई क्या करें, कौन से माँ बाप चाहते है कि उनका बच्चा भूखा रहे और पढ़ लिख न सके !" उनकी इस बात पर मैं अक्सर यही सोचती अरे किस्मत उपरवाले ने लिखी है लेकिन किस्मत लिखवाने के लिए ऊपरवाले के पास पैदा करके तो माँ बाप ने ही भेजा है !लेकिन इस सबके बीच एक और बात भी सामने आती और वो ये कि बहुत से लोग सिर्फ एक लड़के के माता पिता कहलाने के चक्कर में इतने बच्चे पैदा कर लिया करते है ! अगर इस बात पर गौर करा जाए तो जिस परिवार का ज़िक्र मैंने किया है उसमे भी चारो बेटियां बड़ी ही है और बेटे छोटे, तो ये माना जा सकता है कि शायद उस माँ ने भी एक अदद बेटे की चाह में इतने बच्चो को जन्म दिया हो !<br>
उफ्फ्फ !! मतलब फिर वही सब, घर में एक बेटा होना चाहिए बड़ा होकर जो माँ बाप का सहारा बनेगा कुल का नाम आगे बढ़ाएगा वगैरह वगैहरा !! अब बेटा होना चाहिए या नहीं होना चाहिए मैं इस विषय पर बात नहीं करना चाहती, हाँ लेकिन मैं एक सवाल उन सभी माता पिता से ज़रूर पूछना चाहूंगी जिन्होंने बेटे कि चाह में कई बच्चे पैदा किये है, क्या वो अपने सभी बच्चो को भरपूर पालन पोषण कर रहे है ?? इसे कुछ यूँ समझते है अभी मैंने ऊपर जिस लड़के की बात की मैं यहाँ भी उसी का उधाहरण देते हुए कहूँगी मैं जब भी उससे कुछ खाने के लिए पूछती तो वो झट से हाँ कह देता और जो भी मैं उसे देती वो बिना स्वाद लिए झट से खा लेता है धीरे धीरे वो रात का खाना भी मेरे बेटे के साथ ही खा कर जाने लगा और मैं भी बड़े शौक से दोनों को खाना खिला देती लेकिन धीरे धीरे मुझे अहसास हुआ कि वो खाना खाने के बाद फ़ौरन ही अपने घर चला जाता था लगा जैसे वो सिर्फ खाना बनने के इंतज़ार में है इतिफाक कि बात है कि अगले ही दिन मुझे खाना बनाने में थोड़ी देर हो गयी और मेरा बेटा भी दूध पी कर सो चुका था तो बचपन मैंने भी उसे जाने के लिए कह दिया लेकिन उस दिन उसका जाने का मन नहीं हुआ असल में वो खाने के इंतज़ार में था तभी मैंने उससे पूछा कि तुम्हारी मम्मी ने क्या बनाया है उसने कहा "पानी वाले आलू" और साथ में ये भी कहा कि उसे वो अच्छे नहीं लगते ! मैंने कहा ठीक है थोड़ी देर रुको फिर यहीं खाना खा जाना और उस दिन के बाद से वो अक्सर रात का खाना मेरे घर पर ही खा कर जाने लगा इस दौरान मैंन जब भी उससे पूछा कि तुम्हारे घर पर क्या बना है तो उसके जवाब में अक्सर पानी वाले आलू ही हुआ करते थे ! अब कोई ये समझाए कि प्रतिदिन आलू कि सब्ज़ी और रोटी खिला देने भर को सम्पूर्ण पोषण कहा जा सकता है ?<br>
अब तक मैंने एक ख़ास वर्ग कि ही बात की लेकिन ये बात सभी पर लागू होती जब हम अपनी कमाई से इतने बच्चो का पालन नहीं कर सकते इन्हे भरपेट भोजन नहीं से सकते, इन्हे अच्छी शिक्षा नहीं दे सकते, तो क्यों इन्हे पैदा करते है ?? क्यों इन्हे बचपन में ही कमाई करने के लिए मजबूर कर देते है ?? क्यों इनका बचपन नरक बना देते है ?? जिस बेटे के लिए इतने बच्चे पैदा किये जाते है क्या उस बेटे की ही आधारभूत ज़रूरत पूरी हो पाती है ??और जिस बेटे को पाने के चक्कर में इतने बच्चे पैदा किये क्या उनकी ज़रूरते हम पूरी कर पाते है ?? क्यों हम अपने ही बच्चो को पिछड़ा और पिछड़ा बनाते चले जाते है, क्यों हम इस सोच से ऊपर नहीं उठ पाते कि बच्चा चाहे जो भी हो लड़का या लड़की हमे उसे हर स्तर पर आगे बढ़ाना है उसकी आधारभूत ज़रुरतो को पूरा करना है !! क्यों हम ना चाहते हुए भी, या सिर्फ एक लड़के की चाह में एक के बाद एक बच्चे पैदा करते जाते है ? क्यों ??<br>
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soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-11495175299100410942017-12-14T14:11:00.001+05:302017-12-14T14:12:37.539+05:30पहले मेरे बच्चे बाद में कुछ और ........!!!!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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पिछले कई दिनों से मेरे घर मे छोटी छोटी चुहिया आ गयी है पहले पहल जब ये आयी थी तब इनकी संख्या एक या दो थी माने अल्पसंख्यक ही थी तो मुझे कोई परेशानी भी नही थी इधर उधर घूमती रहती, यहाँ वहाँ से कुछ भी खा लिया और सारे घर मे खेलती रहती ! मेरा छोटा बेटा इनको देख कर तब बड़ा खुश होता था उसके लिए तो ये चलता फिरता खिलौना थी ! उस वक़्त मैंने भी इनके निवारण के लिए कुछ नहीं किया क्योंकि इनसे कोई परेशानी थी ही नही और वैसे ये भी एक जीव ही है तो क्या हुआ अगर ये मेरे घर मे आ कर रह रही है सभी को जीने का अधिकार है तो मैं क्यों इनसे इनका ये अधिकार छिनू !<br />
दिन बीते हफ़्ते बीते और फिर एक दिन मैंने गौर किया कि अचानक इनकी संख्या बढ़ गयी है अब ये 2-4 की संख्या में नहीं थी पहले वाली चुहिया शायद मेरी शराफत का फायदा उठा कर बाहर से औरो को भी ले आयी थी और अब ये अल्पसंख्यक नहीं थी अब ये धीरे-धीरे बहुसंख्यक में बदल रही थी ! अब इनकी इस बढ़ती संख्या ने धीरे-धीरे मेरे घर की चीज़ों को नुकसान पहुँचना शुरू कर दिया ! इन्होंने सबसे पहले मेरे रसोई में रखी खाने की चीज़ों पर हमला किया आये दिन कभी सब्जियां बर्बाद की तो कभी बच्चों के खाने के लिए रखे बिस्कुट,ब्रेड और नमकीन ! अब मेरा छोटा बेटा भी जो इन्हें पहले देख कर खुश होता था बल्कि इनके आगे पीछे भागता था अब वो भी इनसे डरने लगा और इनके सामने आते ही रोने लगता ! अब जब इनका आतंक बढ़ने लगा तो मुझे भी इनका निवारण करना ज़रूरी लगा तो मैंने घर मे चूहेदानी लगा दी जिसके कांटे में मैंने पनीर का टुकड़ा फँसाया लेकिन ये बड़ी समझदार निकली ये बिना किसी आहट के आती और पनीर लेकर भाग जाती ! मतलब पनीर भी जाता और उसको खाकर ये तंदुरुस्त भी होती और दिन प्रतिदिन इनकी सँख्या बढ़ती गई वो अलग ! और इसके मेरे घर में की जाने वाली इनकी मनमर्जी के तो कहने ही क्या !!<br />
कई दिन तक यूँही चलता रहा,घर मे भी इनकी तेज गंध फैलने लगी साथ ही साथ इनसे होने वाली बीमारियों का डर भी सताने लगा, लेकिन जब देखा कि बहुत कोशिशों के बाद भी ना ही ये पकड़ में आ रही और ना ही इनके बढ़ते आतंक में कोई कमी आ रही तो तब मैंने इनको पकड़ने के लिए स्टिकी कार्ड का इस्तेमाल करना ठीक समझा, वो कार्ड जिस पर आते ही चुहिया वही उस कार्ड पर चिपक जाती है और मरने तक तड़पती रहती है हालांकि ये उपाय बड़ा ही क्रूर और बर्बर था क्योंकि इसमें इनकी मौत तड़प-तड़प कर होनी थी, लेकिन जब इन चुहियों के आतंक से मेरे घर के सामान पर और मेरे बच्चों पर इनका प्रतिकूल असर पड़ने लगा तो मुझे यही सही लगा और मैंने रात को कार्ड लगा दिया सुबह उठ कर देखा तो उस पर एक चुहिया चिपकी हुई थी जो शायद तड़प तड़प कर मर चुकी थी जिसका मुझे बड़ा दुःख भी हुआ और खुद पर गुस्सा भी आया कि उसे ऐसे क्यों मारा लेकिन फिर सोचा अगर ये शांति से रह लेती तो शायद इसके साथ ये ना होता लेकिन नहीं ये तो मेरे घर रहकर मुझे ही सताने लगी थी बस यही वजह थी जो मुझे ये कड़ा कदम उठाना पड़ा ! खैर मैंने वो कार्ड उठा कर फेंक दिया और अपने काम मे लग गयी !<br />
इस एक घटना के बाद मैंने नोटिस किया कि सारी चुहियाँ अचानक से गायब हो गई, जैसे सभी ने एकसाथ ही मेरे घर से पलायन कर दिया हो, मै ये देख कर बड़ी ख़ुश हुई मुझे लगा वाह चलो एक चुहिया की मौत बाकियों को काफ़ी कुछ सीखा गयी, लेकिन मेरी ये खुशफहमी ज्यादा देर ना रही !</div>
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अभी कल ही की बात है जब मैं घर के परदे बदल रही थी तो अचानक ही एक चुहिया पर्दो में लटकी हुयी दिखी जो वहाँ हवा में लटके हुए करतब दिखा रही थी और उसे देख मैं बहुत डर गई और अब मुझे खुद पर गुस्सा आने लगा कि क्यों मैंने ये यकीन कर लिया कि अब ये मेरे घर को नुक्सान नहीं पहुंचाएंगी ??? क्यों ये मान लिया कि एक चुहिया की मौत से मुझे बाकी सबसे निजात मिल गया ??? ये मेरी सच में बहुत बड़ी भूल थी, खैर अब इनसे छुटकारा पाने के लिए मुझे इनका कुछ पक्का इलाज करना होगा वरना ये यूँही गाहे बगाहे नुक्सान पहुंचाती रहेंगी और वैसे भी जब बात मेरे बच्चों के स्वस्थ जीवन की है तो उसके लिए थोड़ा सा क्रूर बनना शायद ग़लत नहीं होगा !<br />
और यही हालात आजकल कुछ धर्म और समुदाय विशेष के भी है जिनका इलाज बहुत जरुरी हो गया है ! खैर अब और क्या कहूँ इस बारे में क्यूँकि यहाँ समझदार भी सभी है और ज्ञानी भी !!<br />
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soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-23724022424125692082017-12-11T18:13:00.001+05:302017-12-11T22:22:24.896+05:30जिंदगी की राजनीति ! <p dir="ltr">1.बीती गर्मियों की बात है मेरे छोटे बेटे को बीमारी की वजह से एक प्राइवेट हॉस्पिटल में 10 दिन के लिए एडमिट होना पड़ा था जिसमे से 3 दिन वो आईसीयू में रहा था ! जब 10 दिन बाद सुबह उसे डिस्चार्ज किया तो हॉस्पिटल ने बिल दिया 78 हज़ार का, बिल 78 हज़ार का इसलिए था क्योंकि बेटे का मेडिक्लेम करवाया हुआ था ! हॉस्पिटल ने बिल मेडिक्लेम कम्पनी में <br>
भेजा और हमें कहा आप एजेंट को बता दीजिए ताकि वो जल्द इसे पास करवाये और फिर आपको डिस्चार्ज मिल जाएगा !<br>
हमने एजेंट से बात की उन्होंने थोड़ी देर बाद बताया कि कंपनी ने क्वेरी डाली है कि हॉस्पिटल ने लूज मोशन जैसी बीमारी में इतने लंबे टाइम के लिए पेशेंट को क्यों रखा और आईसीयू से डिस्चार्ज होने के बाद भी 5 दिन हॉस्पिटल में रोके रखने की क्या जरूरत थी ??? खैर, हॉस्पिटल ने दोबारा दूसरा बिल तैयार किया और भेजा अब बिल गया 73 हज़ार का , मेडिकल कंपनी ने ये भी पास नही  किया उसने नई क्वेरी लगाई की हॉस्पिटल ने जो टैस्ट करवाये है उनकी जरूरत क्यों पड़ी और इसका जवाब उन्होंने सीनियर डॉक्टर्स से लिखित में माँगा उसके बाद तीसरी बार बिल गया 70 हज़ार का जिसे मेडिकल कंपनी ने फाइनली 68 हज़ार का पास किया ! <br>
अब हॉस्पीटल वालों ने हमे 4 हज़ार का बिल अलग से दिया और बोले ये आपको भरना पड़ेगा क्योंकि आईसीयू में जो अक्यूपमेंट्स इस्तेमाल हुए है वो मेडिकल के अंडर नहीं आते इसलिए ये बिल आप भरो हमने एजेंट को पूछा उन्होंने कहा हाँ होता तो लेकिन इतनी देर से जब बिल जा रहे थे ये तब क्यों नहीं बोले ?? बिल पास होने में सुबह से रात हो चुकी थी तो हमने भी ज्यादा बहस ना करके 4 हज़ार भर दिए ! <br>
TPA पेपर्स साइन करने के लिए जब मैं गयी तब मैंने वहाँ बैठी लेडी से पूछा मैडम अगर यही बिल आप कैश में देते तो बिल कितने का होता पहले तो उसने मुस्कुरा कर टाल दिया फिर जब मैंने दोबारा पूछा तो बोली मैडम अगर ये बिल कैश पेमेंट से होता तो ये डेढ़ लाख से ऊपर जाता ! <br>
अब दूसरी कहानी <br>
2. मेरे परिवार की ही एक लेडी जिन्हें कुछ साल पहले रसोली हो गयी थी और जिसका उन्होंने एक प्राइवेट हॉस्पिटल में ऑपरेशन करवाया जिसमें ऑपरेशन के बाद उनका यूटरस निकाल दिया गया अब ऑपरेशन के तकरीबन एक साल बाद उन्हें फिर से दर्द शुरू हुआ उन्होंने उसी गायनोक्लोजिस्ट को दोबारा दिखाया डॉक्टर ने कुछ दिन ट्रीटमेंट किया जब फर्क नही पड़ा तो उन्हें अल्ट्रासाउंड कराने को बोला तो उस लेडी ने एक प्राइवेट हॉस्पिटल में अल्ट्रासाउंड करवाया जिसकी रिपार्ट  उन्हें शाम को मिली जब रिपोर्ट लेजाकर उन्होंने गायनोक्लोजिस्ट को दिखाई तो डॉक्टर हैरान , डॉक्टर ने खुद उसी समय हॉस्पिटल में फ़ोन करके पूछा कि रिपोर्ट किसकी दी  है हॉस्पिटल स्टाफ ने कन्फर्म किया कि रिपोर्ट उन्ही लेडी की है ! दरअसल रिपोर्ट में ये था कि लेडी को दर्द यूटरस में सूजन की वजह से हो रहा है जबकि यूटरस तो था ही नही ! लेडी ने कंज्यूमर कोर्ट में केस फाइल किया हुआ है और ये केस फाइल होने के बाद हॉस्पिटल ने उस लेडी को केस वापस लेने के लिए एक अच्छा खासा अमाउंट आफर किया  जो उन्होंने लेने से मना कर दिया केस 1 साल से कंज्यूमर कोर्ट में है ! <br>
अब तीसरी कहानी <br>
3. 2 साल पहले मेरे जेठ यानी मेरे पति के बड़े भाई को अचानक पीठ और कंधों में दर्द शुरू होने लगा उन्होंने पेन रिलीफ जेल लगा लिया है और शॉप पर ही काम करने वाले लड़के से ही अपने कंधे दबवाने लगे लेकिन उन्हें आराम नही  मिला और वो घर आ कर लेट गए जब काफी देर बाद भी कोई आराम नहीं मिला और उन्हें बेचैनी और सांस लेने में दिक्कत होने लगी तो उन्हें पास ही के प्राइवेट हॉस्पिटल में ले गए जहाँ ड्यूटी डॉक्टर्स ने चेक करने के बाद पेन रिलीफ इंजेक्शन लगा दिए और कहा कि थोड़ी देर बाद आराम आ जायेगा आप इन्हें ले जा सकते है लेकिन उन्हें फिर भी आराम नही आया तो डॉक्टर्स ने एक ट्राई लेते हुए कहा कि आप इनका एक ECG करवा लेना अगर ये ज्यादा परेशान  हो तो तब मेरे फादर इन लॉ ने कहा अगर जरूरत है तो आप ही क्यों नही  कर देते वैसे भी इन्हें अभी तक आराम नही मिल रहा ! डॉक्टर्स ने पापा के कहने पर उनका ECG किया और जब उसकी रिपोर्ट आई तो सबके होश उड़ गए ! दरअसल वो मामूली दर्द नहीं एक मेजर हार्ट अटैक था ! और रिपोर्ट के अनुसार उनके पास बचने के 30% चांस थे ! हर कोशिश की हर कॉन्टेक्ट यूज़ किया लेकिन कोई उन्हें नहीं बचा सका ! आज भी याद है जब उन्हें घर लाया गया तो उनकी बेटियों ने हमसे चिपक कर रोकर रोकर बारबार यही पूछा चाची पापा कहाँ गए चाची पापा को क्या हुआ पापा कुछ बोल क्यों नहीं रहे ! हमारे पास उस वक़्त सिवाय आंसुओ के और कुछ नहीं था !! 😔😔😔<br>
अब बात आती है दिल्ली के शालीमार बाग के  मैक्स हॉस्पिटल की जिसका लाइसेंस सस्पेंड किया गया है तबसे कुछ लोग ऐसे हाय तौबा मचा रहे है कि जैसे हॉस्पिटल ही बन्द हो गया हो ! भई सिर्फ़ नए पेशेंट को एडमिट करना बंद हुआ है जो पहले से एडमिट है उनका इलाज अब भी चल रहा है और वैसे कौन सा ऐसा समझदार होगा जो उस हॉस्पिटल में इलाज कराना चाहेगा जहां जिंदा बच्चे को मरा बता कर उसे पैक करके दे दें !!  एक बार जरा उस बच्चे के माँ बाप से पूछना उन्हें कैसा लगा !!?? वैसे भी  जिस आम जनता की परेशानी की बात आप कर रहे हो वो आम जनता उसका बिल भी नहीं भर पाती !! एक मामूली सी बीमारी का भी ये हॉस्पिटल 2 या 3 दिन का बिल भी 1 लाख से नीचे नहीं बनाते ! इन हॉस्पिटल्स में बिना मेडिक्लेम के जाने के बारे में बन्दा सोचता भी नहीं है और अगर जाना भी पड़े तो भई रिसेप्शन वाले पहले आपसे आपकी हैसियत पूछते है उसके बाद आपको एडमिट करते है ! <br>
तो हर चीज़ में अपनी गंदी राजनीति मत घुसेड़ो, ज़रूरी नहीं कि समर्थन और विरोध की राजनीति हर बार ज़रूरी हो ! अगर इस एक फैसले से बाकी हॉस्पिटल्स को भी अक्ल आये तो ये सभी के लिए अच्छा ही होगा !<br>
बाकी जिस पर बीतती है असल दर्द वही जानता है !</p>
soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-9073259987001081632017-08-16T16:09:00.001+05:302017-08-21T23:32:48.509+05:30उसकी कहानी (अंतिम भाग)<p dir="ltr">नंदिनी की मौत को लगभग एक महीना बीत चुका था और इस दौरान उसके परिवार में काफी उथल-पुथल मच चुकी थी !<br>
रातों को घर से गायब रहने वाला शशांक, आज गाड़ियां चोरी करने के जुर्म में जेल में था और विवेक भी कुछ अनचाही बीमारियों की वजह से अक्सर बीमार रहने लगा था !  इस सब के चलते पुरषोत्तम अपने काम से वोलेंट्री रिटायरमेंट ले चुका था ! शायद शारीरिक थकान से ज्यादा मानसिक थकान पुरषोत्तम पर हावी होने लगी थी उधर नंदिनी की माँ भी अब लगभग सारा वक़्त या तो अपने कमरे मे बन्द रह कर रोती रहती या फिर पुरषोत्तम की जिद पर उसके साथ कॉलोनी के पार्क में जाकर गुमसुम सी बैठ जाती ! अब दिन बस यूँही बीत रहे थे ! अब कब दिन हुआ कब रात ढली किसी को इससे मतलब ही नहीं था, अब सबकी दुनिया बस वो चारदीवारी ही थी !<br>
पुरषोत्तम आज भी जब-जब नंदिनी को याद करता उसे रह-रह अपनी गलती का अहसास होता , उसने क्यों बात नहीं की नंदिनी से ? वो क्यों उसे उसके हिस्से का समय नहीं दे पाया ? क्यों वो सिर्फ़ उसके सभी खर्चे पूरे करने को ही अपनी जिम्मेदारी समझ बैठा ?????.........एक रात ऐसे ही सवालो में खोए हुए वो फिर से नंदिनी का लिखा वो आख़िरी कागज़ अपनी अलमारी से निकालता है और एक बार फिर उसे पढ़ने बैठ जाता है !!..............<br>
हेलो पापा, कैसे है आप ? <br>
पापा मैं आपकी नंदिनी, आपकी वही छोटी सी गुड़िया जिसे आप बचपन मे अपने कंधों पर बैठा कर घुमाते थे.....और जब आप थक जाते थे तो मैं फिर से रोने लगती थी और आप मुझे फिर से पूरे घर मे घुमाते थे .....और आपको याद है पापा, एक बार मम्मा ने बताया था कि जब आप मेरी उँगली पकड़ कर चलना सीखा रहे थे तब आपसे मेरा हाथ अचानक छूट गया था और मैं गिर गयी थी तब छोटी सी खरोंच आई थी मेरे हाथ और घुटने पर .....थोड़ा सा ख़ून भी निकल गया था.....तब मैं बहुत रोई थी और ये देख कर आप भी रो पड़े थे तब आपको देख कर मम्मा बहुत हँसी थी !!! और फिर उस दिन आप मेरी वजह से ऑफिस भी नहीं गए थे !! <br>
आपको याद है पापा, शशांक और विवेक के आने के बाद जब भी हम तीनों में कभी झगड़ा होता, तो आप हमेशा मेरी ही साइड लेते थे और मम्मा तब बहुत गुस्सा करती थी और शशांक और विवेक भी रो पड़ते थे .....और ये सब देख कर मुझे बड़ा मजा आता था<br>
और हाँ, पापा आपको वो बात याद है जब 9th क्लास में मेरा एक लड़के से झगड़ा हो गया था तब आपने उसे उसके घर जाकर भी डाँट लगाई थी .....और पापा, याद है मैं जब भी शाम को अगर शशांक के साथ कहीं जाती तो आप हमेशा शशांक को  मेरा ध्यान रखने को कहते जबकि मैं हर बार कहती कि ये तो मुझसे छोटा है !!!<br>
लेकिन पापा जब आपने मुझे आगे की पढ़ाई के लिए जिस दिन हॉस्टल भेजा था ना उस दिन मैं आपको याद करके रात भर रोई थी, हालाँकि मैं बड़ी हो चुकी थी लेकिन पापा आप ही कहते थे ना कि बच्चे हमेशा बच्चे होते है और शायद मैं उस वक़्त मैं बड़ी होने की जगह बच्ची बन गयी थी .....पापा मुझे यहाँ हमेशा आपकी याद आती थी क्योंकि यहाँ जब मैं रात में अकेले जागती थी ना तो आप मेरे साथ बातें करने के लिए नहीं होते थे और जब भी मेरा किसी से झगड़ा होता तो आप उसको डाँटने के लिए भी नहीं होते थे .......शायद मुझे आपकी आदत हो चुकी थी और वो आदत जा ही नहीं रही थी .......मैं जब भी आपसे फ़ोन पर बात करने की कोशिश करती आप हमेशा बिज़ी होते थे और मैं फिर अकेली हो जाती ......शायद इसी वजह से मैं नशा करना सीख गई और मुझे याद है जब आपको ये पता लगा था तो आपको बहुत गुस्सा आया था और फिर धीरे -धीरे आपने मुझसे बात करना बंद कर दिया !!!!<br>
फिर बस मम्मा के थ्रु ही बात होती .....पापा मैं वापस आप सबके पास आना चाहती थी मुझे नहीं पढ़ना था आगे !! मैं ये सब भी छोड़ना चाहती थी लेकिन शायद मैं इस नशे के दलदल में फँस चुँकि थी पापा सच में मैंने बहुत कोशिश की इस सबसे बाहर निकलने की लेकिन जब भी मैं ऐसा करती मुझे मैं फिर से अकेली लगती ......हर बार कोशिश करती और हर बार हार जाती लेकिन आज मै थक गई पापा ....अब और कोशिशें नहीं होती इसलिए आज जा रही हूँ आप सबसे दूर ....मुझे माफ़ करना पापा मैं आपकी फ़िर से वो प्यारी बेटी नही बन पाई .......!!!!<br>
आपकी नंदिनी .....</p>
soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-42632867127313386092017-07-28T11:42:00.002+05:302017-07-28T11:42:19.695+05:30उसकी कहानी (भाग-4 )<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
वो घबराई हुयी सी घर में चिल्लाते हुए पुरषोत्तम को उठाती है !<br />
उठो जल्दी उठो नंदिनी के हॉस्टल से फ़ोन आया है उन्होंने अभी बुलाया है !<br />
क्यों, क्या हुआ ??<br />
(रोते हुए बोली ) नंदिनी हॉस्पिटल में है, उसने स्यूसाइड करने की कोशिश की है !<br />
क्या ???<br />
शोर सुन कर शशांक और विवेक भी अपने कमरे से बाहर आ जाते है ! दोनों को जब पता चलता है तो वो नंदिनी का हाल जान्ने के लिए उसे फ़ोन करते है लेकिन फ़ोन लगातार ऑफ आता है !<br />
कुछ देर बाद ही चारो नंदिनी के हॉस्टल के लिए निकल जाते है ! रास्तेभर नंदिनी की माँ रोते हुए पुरषोत्तम को एक ही बात कहती रही कि आपने नंदिनी से बात क्यों नहीं की, वो कुछ बोलना चाह रही थी........ लेकिन आज पुरषोत्तम के पास इन बातों का कोई जवाब नहीं था ! वो लगातार बस यही सोच रहा था कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो नंदिनी ने स्यूसाइड जैसा रास्ता चुना और क्यों मैंने उससे बात नहीं की ! मैं क्यों थोड़ा सा टाइम नहीं निकाल पाया ??<br />
इसी सब उधेड़बुन में शशांक का फ़ोन बार-बार बजता रहा सभी को लगता कि शयद नंदिनी की कोई खबर हो लेकिन नहीं वो फ़ोन हर बार शशांक के लिए ही होते !!<br />
कुछ घंटो के सफर के बाद वो सभी अब नंदिनी के कॉलेज पहुंच चुके थे और वहाँ से वो कुछ कॉलेज टीचर्स के साथ हॉस्पिटल पहुँच गए !<br />
नंदिनी की माँ लगातार रोये तेओ हुए डॉक्टर से नंदिनी का हाल पूछा डॉक्टर कुछ नहीं बोले !<br />
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
तभी कुछ पुलिसकर्मी वहाँ आये और उन्होंने पुरषोत्तम से पूछा ....</div>
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
क्या आप नंदिनी के फादर है ?</div>
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
हाँ, मैं ही नंदिनी का फॉदर हूँ कहाँ है नंदिनी कैसी है वो ???</div>
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
जब आपको फ़ोन किया था तभी नंदिनी को यहाँ लाये थे लेकिन उनकी हालत ठीक नहीं थी<br />
मतलब ??<br />
सर डॉक्टर्स ने काफी कोशिश की लेकिन सॉरी वो उसे बचा नहीं पाए !<br />
पुरषोत्तम ये सुन वहीँ फर्श पर निढाल हो जाता है वो ना रो पाता है और ना ही कुछ कह पाता है !!<br />
अब शायद उसे भी ये पछतावा है कि वो अपनी बेटी की बात नहीं सुन सका, वो किस परेशानी से गुजर रही थी,<br />
वो क्या चाह रही था, क्यों वो उसे कुछ मिनट नहीं दे पाया ??<br />
तभी वहाँ एक पुलिसकर्मी आता है और पुरषोत्तम के हाथ एक कागज देता है !<br />
ये आपकी बेटी के बैग से मिला था आपके लिए लिखा है !<br />
पुरषोत्तम वो कागज़ खोल कर देखता है और अपनी जेब में रख लेता है !<br />
......................................................................................................<br />
to be continued ........</div>
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<br />
<br /></div>
</div>
soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-85776135393834479782017-07-15T11:02:00.003+05:302017-07-15T11:02:51.461+05:30उसकी कहानी (भाग -3 )<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
शाम 7 बजे<br />
अच्छा विवेक अब मैं जाती हूँ वैसे भी बहुत देर हो गयी !<br />
<div style="text-align: justify;">
सोनल, थोड़ी देर और रुको ना वैसे भी मम्मा अभी नहीं आएँगी वो जब भी पार्टी जाती है तो देर से ही आती है !(सोनल, विवेक की ही सोसायटी में रहती है !)</div>
<div style="text-align: justify;">
और अंकल ??</div>
<div style="text-align: justify;">
अरे यार पापा तो आते ही लेट है !</div>
<div style="text-align: justify;">
और शशांक भईया ??</div>
<div style="text-align: justify;">
अरे आज वो भी अपने फ्रेंड्स के साथ बाहर गए है पता नहीं कब आएंगे !</div>
<div style="text-align: justify;">
ओके, लेकिन मेरी मम्मा आने वाली होंगी ना, इसलिए उनके घर पहुँचने से पहले मुझे जाना होगा !</div>
<div style="text-align: justify;">
ओह्ह,,, ठीक है लेकिन नेक्स्ट कब आओगी ???</div>
<div style="text-align: justify;">
जब तुम फ्री हो !! (हँसते हुए )</div>
<div style="text-align: justify;">
ओके चलो बाय !</div>
<div style="text-align: justify;">
सोनल को बाहर तक छोड़ने जाता है फिर वापस आकर दरवाजा बंद करके टीवी के सामने बैठ जाता है ! थोड़ी देर बाद डोर बेल बजती है ! विवेक दरवाजा खोलता है ! सामने उसकी मम्मा थी !<br />
अरे आप आ गए !<br />
हाँ, आज थोड़ा देर तक चली पार्टी ! मेड काम कर गयी ??<br />
नहीं, आयी नहीं आज वो !!<br />
तूने मुझे फोन करके क्यों नहीं बताया ??और शशांक कहाँ है घर में नहीं है वो ??<br />
अरे मैं आज सो गया था और भईया भी आपके जाने के बाद ही चले गए थे !<br />
कहाँ गया वो ??<br />
पता नहीं कुछ फ्रेंड्स आये थे उनके, उन्ही के साथ गए !<br />
ठीक है !! अच्छा सुन आज खाना बाहर से ही आर्डर कर ले सबके लिए , मैं बहुत थक गयी हूँ !!<br />
ठीक है !!<br />
और शशांक को भी फोन करके पूछ ले कब तक आयेगा ??<br />
ओके मम्मा !!<br />
....................................................<br />
रात करीब 9 बजे......<br />
डोर बेल बजी !<br />
उसने दरवाजा खोला, देखा शशांक खड़ा था<br />
अरे, कहाँ था तू ??<br />
अरे वो दोस्त के घर गया था कुछ काम था !!<br />
क्या काम था ??<br />
कुछ ख़ास नहीं बस वैसे ही कुछ था !<br />
पता नहीं समझ नहीं आते तेरे काम भी !<br />
अच्छा खाना क्या बना है !<br />
आज बाहर से मंगाया है !!<br />
अरे यार परसो भी बाहर से मंगाया था !! क्या मम्मा, बनाया क्यों नहीं कुछ !!<br />
मैं बस थक गयी थी, आज खा ले कल बना दूंगी !!<br />
इसी बीच पुरुषोत्तम भी आता है और सभी खाना खाकर सो जाते है !<br />
...................................................<br />
रात करीब 2 बजे शशांक का फोन बजता है !<br />
उधर से आवाज आती है<br />
कहाँ है शशांक आया नहीं अभी तक !<br />
हाँ बस 15 मिनट में आ रहा हूँ तू मेरा गेट पर ही वेट कर !<br />
ठीक है मैं यही खड़ा हूँ तू जल्दी आ !<br />
शशांक चुप-चाप घर के बाहर चला जाता है !!!<br />
.......<br />
अरे यार कितनी देर लगाता है तू !!<br />
हाँ, अब आ गया ना, अच्छा सामान लाया है ना तू !!<br />
हाँ, लाया हूँ अब चल जल्दी कर !<br />
.....................................<br />
शशांक करीब साढ़े तीन बजे घर वापस आता है वो दूसरी चाबी से गेट खोलता है और वापस अपने कमरे में जाकर सो जाता है !<br />
तभी घर का लैंडलाईन फोन बजता है !! शशांक घबरा जाता है !!<br />
फोन शशांक की मम्मा उठाती है ! फोन नंदिनी के हॉस्टल से है !!<br />
नंदिनी के पेरेंट्स को फ़ौरन हॉस्टल में बुलाया गया है !!<br />
to be continued .........<br />
<br /></div>
</div>
soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-9707392621361644352017-07-06T14:54:00.001+05:302017-07-06T14:54:22.442+05:30उसकी कहानी (भाग २ )<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: justify;">
नंदिनी जल्दी उठ यार क्लास शुरू होने वाली है !</div>
<div style="text-align: justify;">
शैला, प्लीज़ सोने दे ! सर बहुत दर्द कर रहा है ! (शैला नंदिनी की रूम मेट है )</div>
<div style="text-align: justify;">
मैडम क्लास शुरू होने में २० मिनट है उठ जा वरना आज भी क्लास मिस हो जाएगी !</div>
<div style="text-align: justify;">
प्लीज़ यार सोने दे ना !<br />
और वैसे तू सारी रात थी कहाँ ?? और ये हाथ पर क्या हुआ ये किस चीज़ का निशान है ??<br />
(नंदिनी अपना हाथ खींचते हुए )कुछ नहीं है तू जा , मैं आती हूँ अभी थोड़ी देर में<br />
<div style="text-align: left;">
लेकिन ये है किस चीज़ का निशान ये तो बता !!</div>
</div>
<div style="text-align: justify;">
कहा ना कुछ नहीं, तू जा मैं रेडी होकर आती हूँ !<br />
नंदिनी ये निशान सिरिंज का है ना ??<br />
तू जा ना मैं आती हूँ !<br />
नंदिनी, कहाँ थी तू रात को ??<br />
फ्रेंड के साथ पार्टी में थी !!<br />
कौन से फ्रेंड ??<br />
तू नहीं जानती उनको और तू जा अब मैं आ जाउंगी !<br />
ओके बाय !!<br />
बाय !!<br />
(अपना फोन निकाल कर नंबर डायल करती है ) हेलो मम्मा, पापा कहाँ है ??<br />
वो तो ऑफिस गए आज जल्दी जाना था उन्हें !!<br />
ओके !!<br />
बोलो क्या काम था पैसे चाहिए क्या ??<br />
नहीं रहने दो है मेरे पास !<br />
हम्म्म, तू क्लास में नहीं है !<br />
हाँ, बस जा रही हूँ पापा आये तो बता देना !!<br />
वो आजकल देर से ही आ रहे है ऑफिस में काम थोड़ा ज्यादा है !! कुछ काम है तो मुझे बता !!<br />
नहीं कुछ नहीं !!<br />
चल ठीक है मुझे वैसे भी अभी सोसायटी की पार्टी में जाना है मैं बाद में बात करती हूँ !<br />
हम्म्म्म !!<br />
कुछ चाहिए तो बता दे !<br />
नहीं कुछ नहीं ! चलो बाय !<br />
बाय !!<br />
''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''<br />
विवेक , बेटा मैं जा रही हूँ खाना बना दिया है दोनों खा लेना !<br />
हाँ ठीक है ! कब तक आओगे ?<br />
5 -6 बजे तक आउंगी !<br />
ओके बाय मम्मा !<br />
बाय और भाई को भी उठा देना !<br />
हाँ ठीक है मम्मा !<br />
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,<br />
थोड़ी देर बाद डोर बेल बजी विवेक ने दरवाजा खोला तो कुछ लड़के लड़किया खड़े थे बाहर, उन्होंने शशांक को बुलाने को कहा विवेक शशांक को बुला लाया !<br />
विवेक मम्मा कहाँ है ??? (बाहर से ही पूछता है )<br />
किसी पार्टी में गयी है शाम तक आएँगी !<br />
चल ठीक है मैं जरा बाहर जा रहा हूँ थोड़ी देर में आ जाऊंगा !<br />
कहाँ जा रहे हो ??<br />
जा रहा हूँ अभी थोड़ी देर में आ जाऊंगा !<br />
भाई खाना तो खा लो !<br />
मैं बाहर ही खा लूंगा तू खा ले चल बाय !<br />
हम्म्म, बाय !!<br />
to be continued .............</div>
</div>
soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-26482442389876701732017-06-30T15:37:00.001+05:302017-07-06T10:34:27.611+05:30उसकी कहानी ( भाग -1 )<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div dir="ltr">
अभी बस वो काम ख़त्म करके आरामकुर्सी पर बैठी ही थी कि उसकी आँख लग गयी अचानक डोर बेल बजने पर उसकी नींद टूटी घड़ी की तरफ नजर गयी तो देखा रात के10 बज चुके थे तभी दोबारा बेल बजी इस बार वो फुर्ती से दरवाज़े की तरफ गयी दरवाज़ा खोला तो सामने पुरुषोत्तम खड़े थे !<br />
लगभग गुस्से भरे स्वर में बोले कब से बेल बजा रहा हूँ क्या कर रही थी ???<br />
बस ज़रा आँख लग गई थी , तुम बैठो मैं पानी लाती हूँ !!<br />
पानी रहने दो सीधा खाना लगा दो बहुत भूख लगी है !!<br />
हाँ, ठीक है लगाती हूँ !<br />
खाना लगाते हुए .....आज बहुत देर कर दी आने में बच्चें भी इंतजार करके सो गए !!<br />
हाँ, आज ऑफिस में काम थोड़ा ज्यादा आ गया था ! बच्चों ने तो खाना खा लिया ना ???<br />
हाँ, तुम्हारा इंतजार करते करते खा लिया फिर टीवी देखते देखते सो गए !!<br />
नंदिनी का फ़ोन आया ?? <br />
(नंदिनी, पुरुषोत्तम की सबसे बड़ी बेटी है और अभी वो हॉस्टल में रह रही है )<br />
हाँ आया था , थोड़ी परेशान थी <br />
क्यों ????<br />
हॉस्टल में उसके साथ के कुछ बच्चों से उसका झगड़ा हो गया !!<br />
इस बार पुरुषोत्तम फिर गुस्से से बोला , ये लड़की वहाँ पढ़ने गयी है या सबसे लड़ने ?? रोज रोज का तमाशा बना लिया है इसने ....नहीं होती पढ़ाई लिखाई तो कह दो घर वापस आ जाये !!<br />
अरे , आप सुन तो लो एक बार कि हुआ क्या है !!!<br />
नहीं सुनना मुझे कुछ रोज़ का तमाशा है इस लड़की का !!!<br />
अरे, लेकिन एक बार ......<br />
(बीच मे बात काटते हुए) आज तुम विवेक और शशांक की PTM में स्कूल जाने वाली थी ना क्या हुआ ??<br />
हाँ, गयी थी विवेक तो ठीक है स्कूल में, लेकिन शशांक की थोड़ी कम्प्लेन आई है !!<br />
(थाली सरकाते हुए गुस्से से ) पता नहीं इन दोनों की शिकायतें आना कब बंद होंगी थक गया हूँ इनकी रोज रोज की सुनते सुनते !!तुम करती क्या हो सारा दिन ध्यान क्यों नहीं रखती इन दोनों का ???<br />
नंदिनी आपसे बात करना चाह रही थी <br />
कह दो उससे पैसे खत्म हो गए है तो तुम्हें बता दे मैं भेज दूंगा <br />
नहीँ, वो शायद कुछ कहना चाह रही थी <br />
(खाने की टेबल से उठते हुए) मैं सोने जा रहा हूँ सुबह जल्दी उठा देना कल सुबह ऑफिस में मीटिंग है , गुड नाईट !!<br />
गुड नाईट !!!<br />
to be continued .....</div>
</div>
soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com18tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-9392596572511109232010-11-29T17:57:00.000+05:302010-11-29T17:57:10.725+05:30आज यही सही !!!!!<div><span style="background-color: white; color: black; font-size: large;"><strong>लबो पर उसके कभी बद्दुआ नहीं <wbr>होती <br />
बस एक माँ है जो कभी खफा नहीं <wbr>होती </strong></span></div><div><br />
<span style="background-color: white; color: black; font-size: large;"><strong>इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो<wbr> देती है,<br />
माँ बहुत गुस्से में होती है तो<wbr> रो देती है </strong></span><span><br />
<span style="background-color: white; color: black; font-size: large;"><strong>मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी <wbr>दिन आंसू <br />
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दु<wbr>पट्टा अपना <br />
<br />
अभी जिंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा,<br />
मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी<wbr> साथ चलती है <br />
<br />
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है <br />
माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ <wbr>जाती है <br />
<br />
ए अँधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया,<br />
माँ ने आँखें खोल दी घर में उजा<wbr>ला हो गया<br />
<br />
मेरी ख्वाहिश है कि मैं फिर से <wbr>फ़रिश्ता हो जाऊ <br />
माँ से इस तरह लिप्टू कि बच्चा <wbr>हो जाऊ <br />
<br />
'मुनव्वर' माँ के आगे यूँ कभी खुलकर नहीं <wbr>रोना <br />
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी<wbr> नहीं होती <br />
<br />
लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी<wbr> मुस्कुराती है,<br />
मैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूँ हिंदी मुस्कराती है <br />
<br />
<span style="font-weight: bold;">मुनव्वर राणा </span><br />
</strong></span></span></div><div><span style="background-color: white; color: black; font-size: large;"><strong> </strong></span></div>soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com16tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-84392794006066516972010-10-06T14:02:00.000+05:302010-10-06T14:02:13.206+05:30हमें कोई तो सुधारे !!!!आज भारत दुनिया के उन देशो में है से एक है जहां की जनसख्याँ में युवाओ की संख्या का प्रतिशत सबसे अधिक है और यही वजह है की आज भारत को "यंग इंडिया" भी कहा जाता है ! ये जान कर ख़ुशी होती है की आज भारतीय युवा दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना रहा है ! आज भारत का युवा वर्ग हर क्षेत्र में आगे बढ़ कर अपनी मोजूदगी भी दर्ज़ करा रहा है ! ऐसे बहुत से यंग लीडर है जिहोने अपने क्षेत्र में ना सिर्फ अपनी एक पहचान बनाई है बल्कि अपने क्षेत्र में कई असरकारक कार्य भी किए है ! अभिनव बिंद्रा,नारायण मूर्ति, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रियंका चोपड़ा, सुशिल कुमार,बिजेंद्र सिंह, मिताली राज़,झूलन गोस्वामी, अंकित फाडिया, सिद्दार्थ वरदराजन, नारायण मूर्ति, सुष्मिता सेन जैसे नाम आज भारतीय यंग ब्रिगेड का हिस्सा है ! ये वो बड़े नाम है जो आज विश्व पटल पर अपना परचम लहरा रहे है ! <br />
वही इसके उलट आज भारतीय युवा वर्ग में एक ऐसा वर्ग भी है जो नाम,दोलत,शोहरत सब कमाना चाहता है लेकिन बिना किसी मेहनत के या फिर एक बहुत छोटे शोर्टकट के साथ और आज ऐसे युवाओ की संख्या दिनोंदिन बदती जा रही है ! पिछले कुछ दिनों से अखबार के पन्ने ऐसी खबरों से अटे पड़े रहे ! जिसमे से एक खबर में दिल्ली में एक बी कॉम फ़ाइनल ईअर की युवती करोडो के गहनों के साथ पकड़ी जाती है और कुछ दिन पहले गाज़ियाबाद में एक ३० वर्षीय विवाहित युवक करोडो के गहनों के साथ पकड़ा जाता है युवती का गुनाह अभी साबित नहीं हुआ लेकिन युवक के गुनाह के साबित होने के बाद पता लगा की वो अपने शौक के लिए चोरी करता था ! इसके अलावा आज का भारतीय युवा चेन स्नेचिंग,झपटमारी,चोरी की वारदातों, हत्या नशाखोरी, साइबर क्राइम जैसे और ना जाने कितने ही अपराधो में लिप्त होता जा रहा है ! लेकिन इस सबकी वजह क्या है ! क्यों आज युवा वर्ग इस अपराध की दुनिया की तरफ आकर्षित होता जा रहा है ?? बल्कि सारी सुविधाए मिलने के बाद भी क्यों आज धनाड्य वर्ग के युवा भी इस ओर आकर्षित हो रहे है ?? क्यों वो इतनी आसानी से इस ओर मुड़ रहे है ?? <br />
अगर इन सबकी वजह तलाशी जाये तो एक नहीं अनेक होंगी ओर सबका अपना अपना कारण होगा ! सबसे बड़ा कारण जो आजकल ज़्यादातर लोगो के मुह से सुना है वो है आज की फिल्मे और टीवी पर आने वाले शोस जो इन युवाओ को बिगाड़ने में पर्याप्त है ! लेकिन क्या सिर्फ यहीं एक कारण है अक्सर बुजुर्गो को युवाओ के पहनावे को लेकर कहते सुना है कि आजकल के लड़के लडकियों ने तो हद ही कि हुई है कोई शर्म हया नहीं बची इनमे ! मुझे याद है कि मेरे घर पर एक बुजुर्ग महिला आती है जो कि हरियाणा से है और अक्सर आज के युवाओ के पहनावे को लेकर अपनी भाषा में एक बात ज़रूर कहती है "आजकल के छोरे छोरियां ने देख के तो पता ही को नी चालता कि छोरा कोण ते अर छोरी कोण !" जिसे सुन कर मुझे अक्सर हँसी आ जाती है वैसे उनका कहना गलत भी नहीं है खुद में एक दो बार मेट्रो ट्रेन में लडको को लड़की समझने की गलती कर चुकी हूँ ! अक्सर देखा जाता है की जहां बड़े बुजुर्ग बैठे हो वहाँ आज के युवाओ पर चर्चा ज़रूर होती है जिसमे सभी अपने अपने विचार व्यक्त करते नज़र आते है ! किसी की नज़र में आज का युवा जोशीला होता है तो कोई कहता है की गर्म खून है इसलिए ऐसा है तो किसी की नज़र में ये सब माता पिता की शय का असर होता है तो किसी की नज़र में ये आजकल की फिल्मो में उटपटांग चीजों को देखकर बिगड़ रहे है ! <br />
सबके अलग अलग विचार है आज के युवाओ को लेकर ! जोकि गलत भी नहीं है लेकिन अगर आज के युवा वर्ग को उसी की नज़र से समझा जाए तो और भी कई कारण सामने आयेंगे और सबसे बड़ा और पहला कारण जो मुझे नज़र आता है वो है "पियर प्रेशर" जो बहुत ज़ल्दी और गहरा असर करता है और जिसने कभी मेरे ऊपर भी असर करने की कोशिश शुरू की थी लेकिन उस वक़्त अपने टीचर्स और मम्मी-पापा के सपोर्ट के चलते मैं तो इस पियर प्रेशर से बच गयी, लेकिन ये सच है कि इसकी वजह से कई युवा ना चाहते हुए भी ऐसे काम करने लगते है जिसे वो जानते है कि वो गलत है लेकिन अपने दोस्तों के सामने टशन मारने के लिए और उनके सामने खुद को कमतर ना आंके जाने लिए वो इसे ज़रूरी भी समझते है ! ये इसी का नतीजा है कि छोटी सी उम्र में ही कश लगाने से लेकर ड्रग्स जैसी नशीली चीजों के प्रोयोग से वे खुद को मोर्डन और बेहतर साबित करना चाहते है इसके अलावा आज अक्सर एक चीज़ जो हर छोटे चौक चोराहो से लेकर मॉल्स, शोपिंग काम्प्लेक्स जैसे बड़ी जगहों पर नज़र आती है और वो ये है, हाथो में हाथ डाले घूमते हुए प्रेमी युगल ! अब वो कितने सच्चे और कितने झूठे होते है ये तो वही जाने लेकिन इस सबसे एक बात ज़रूर साबित हो जाती है की गर्ल फ्रेंड और बॉय फ्रेंड रखना अब एक फैशन बन गया है ठीक उस तरह जैसे कि कभी महंगे मोबाईल और गेजेट रखना फैशन के साथ-साथ स्टेटस सिम्बल हुआ करता था और अब ये फैशन इस कदर परवान चड़ने लगा है कि युवा वर्ग अपनी इन ज़रुरतो को पूरा करने के लिए अपराधिक दुनिया में कदम रखने से भी नहीं हिचकता बल्कि अब वो अपनी इंटेलिजेंस, अपने जोश और जूनून का भरपूर फायदा अपराध जगत में शमिल होकर उठाने लगा है ! अभी पिछले दिनों एक फिल्म आई थी "बदमाश कम्पनी" जिसमे कुछ युवाओ को अपने अनोखे लेकिन "गैरकानूनी" आइडियास के चलते शोर्टकट के सहारे लखपति बनते दिखाया गया था ! वास्तव में यही है आज का कडवा सच ! जिसे आज हर कोई सुधारना चाहता है ! <br />
हम युवाओ को सुधारने कि ज़िम्मेदारी हमारे अपनों की ही है लेकिन जिस तरह गहनों की चोरी के मामले में पकड़ी गयी लकड़ी को उसके घरवाले ने इज्ज़त का हवाला देते हुए उसे अपने घर से बरसो पहले निकाल दिया था अगर इसी तरह आज हर माता-पिता करने लगे तो शायद ही कोई सुधरे इसलिए अगर आज वास्तव में पथ भ्रमित हो चुके युवाओ को कोई सुधारना चाहता है या सुधार सकता है तो वो उनके टीचर्स और उनके माता-पिता ही है खासतौर पर टीचर्स की ज़िम्मेदारी थोड़ी ज्यादा होती है क्योंकि घर के बाहर एक वही होते है जो हमें समझ सकते है और समझा सकते है !soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com15tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-15260205492492822482010-09-13T12:17:00.000+05:302010-09-13T12:17:52.832+05:30परफेक्ट होना बोरिंग है !<div style="text-align: justify;">अभी कुछ दिन पहले की बात है जब मैं अपनी ही एक फ्रेंड के घर गयी थी, बड़ी परेशान थी बेचारी और इस परेशानी में लगी हुई थी धडाधड अपने नाख़ून चबाने ! मुझे आज तक समझ नहीं आया कि लोग परेशान होने पर अपने नाख़ून क्यों चबाने लगते है ! छी बहुत गन्दी आदत है ये ! खैर, उसकी इस परेशानी को देख कर मैंने उससे पूछा क्या हुआ क्यों परेशान है ? तब उसने थोडा सोचते हुए कहा की उसे समझ नहीं आ रहा की "उसका ब्वाय फ्रेंड उसके लिए परफेक्ट है या नहीं"........ ये सुन कर मेरे मुहँ से निकला ....... है ?????? दरअसल वो और उसका ब्वाय फ्रेंड पिछले तीन साल से साथ है और अब तो घरवालो की मंजूरी भी मिल गयी है लेकिन आज अचानक ये सुन कर पहले मुझे हँसी आ गयी हंसी इसलिए क्योंकि दरअसल वो हमेशा अपने ही बनाये सवालों में अक्सर उलझ जाती है और पता था की आज भी ऐसा ही होने वाला है ! लेकिन आज तीन साल बाद उसे क्या सूझी और वो भी तब जबकि उन दोनों की फैमली उनके रिश्ते पर अपनी मोहर लगा चुकी है ! तब मैंने पूछा की क्यों ऐसा क्या हो गया आज, कि तीन साल बाद आज तू ये सब सोच रही और तब जो उसने बताया वो तो और भी मजेदार था दरअसल उसने कुछ दिन पहले आमिर खान का किसी चैनल पर interview देखा था अब आमिर खान तो वैसे भी मिस्टर परफेक्शनिस्ट कहलाते है (लेकिन अपने काम की वजह से) लेकिन मेरी फ्रेंड को ये सनक सवार हो गई कि उसका ब्वाय फ्रेंड भी मिस्टर परफेक्ट होना चाहिए आमिर खान की तरह और बाकि सभी लोग भी उसके ब्वायफ्रेंड को जो कि अब उसका होने वाला हसबेंड है इसी नाम से बुलाये "मिस्टर परफेक्शनिस्ट ! </div><div style="text-align: justify;">अब ये सब सुन कर मेरे मुंह से एक ही शब्द निकला "हे भगवान्" ! फिर मैंने पूछा की तुझे कैसा मिस्टर परफेक्ट चाहिए उसने बताया, जो सारे काम टाइम से करे टाइम पर घर आए टाइम पर ऑफिस जाए टाइम पर उठे टाइम पर सोये टाइम पर खाए सब कुछ एक दम टाइम पर करे ...ओह तो तुझे टाइमटेबल चाहिए मेरा इतना कहना था कि ये सुन कर उसने मुझे कुछ ऐसे देखा की मुझे पता चल गया की अगर मैंने कुछ और बोला तो मेरा जिंदगी का टाइम टेबल बिगड़ जायेगा खैर, ये सुन कर अपने गुस्से पर काबू करती हुई वो बोली नहीं तुझे कुछ नहीं पता परफेक्ट ऐसे ही होते है और मिस्टर परफेक्ट ही सब कुछ होता है , तब मैंने कहा कि लेकिन मैंने तो सुना है की कोई भी परफेक्ट नहीं होता और ये सही भी है...... ये सुन कर वो बोली प्रवचन मत दे मुझे भी पता है कोई परफेक्ट नहीं होता लेकिन होना तो चाहिए ना !!!! हाँ तो तू होना तो चाहिए के चक्कर में जो है उसकी दुश्मन क्यों बन रही है ! <br />
खैर, ये बहस थोड़ी आगे जाकर ख़त्म हो गयी क्योंकि सभी को पता था की उसकी उलझन दिन बीतने के साथ दूर हो जाएगी हर बार की तरह ! लेकिन इस पूरी बहस से एक बात दिमाग में कोंधने लगी और वो ये की क्या "परफेक्ट होना ही सब कुछ है ???" और एक परफेक्ट इंसान कैसा होगा अब इस पर मेरा विश्लेषण शुरू हुआ जो कुछ -कुछ मेरी फ्रेंड के कहे अनुसार ही था शायद एक परफेक्ट ऐसा होगा जो रोज़ सुबह ठीक 5 बजे उठे उसके बाद फ्रेश होकर एक घंटे योगा करे फिर उस दिन का अखबार पढे ठीक टाइम पर नाश्ता करे ठीक टाइम पर ऑफिस जाए ठीक टाइम पर घर आए सही समय पर लंच करे डिनर करे अच्छा सोचे कभी गुस्सा ना करे सभी से अच्छी तरह से बर्ताव करे कभी किसी से कोई झगडा नहीं करे कोई बुरी आदत नहीं हो सभी काम समय पर पूरे करे हमेशा अच्छा ही सोचे ! ईईईईई........ ऐसा इंसान भगवान् ने मेनुफेक्चर किया होगा ???? और अगर किया भी है तो क्या वो आज की लाइफ में सभी को अच्छा लगेगा ????? <br />
माना कि आज सभी को परफेक्शन चाहिए लेकिन अगर हर कोई परफेक्ट हो जायेगा तो लाइफ तो बोरिंग हो जाएगी ! मतलब, अगर हर कोई सारे काम टाइम पर करने लगे कोई गलती ना करे किसी को शिकायत का मौका ना दे तो जिंदगी आधी से ज्यादा परेशानिये तो दूर हो जाएँगी लेकिन उसके साथ ही साथ जिंदगी नीरस भी हो जाएगी ! क्या मैं गलत कह रही हूँ ??? एक उधारण लेते है अगर एक घर में सभी लोग परफेक्ट हो जाये और सभी लोग एक जैसे सोचने लगे एक जैसी बाते करे एक जैसे ही समय पर काम करने लगे तो ??? तब घर में सबसे पहले तो बच्चो को अपने बड़ो से डांट पढनी बंद हो जाएगी और दूसरा घर के किसी भी सदस्य में कोई बहस नहीं होगी टीवी रिमोट के लिए झगडा नहीं होगा क्योंकि तब तो एक ही चैनल चलेगा आखिर सब एक जैसा जो सोचने लगेंगे और जब एक जैसा सोचेंगे तो एक जैसा देखेंगे भी ! अब अगर यही उधारण हम थोड़े बड़े स्तर पर ले मतलब कि अगर आज देश का हर सरकारी कर्मचारी अपने काम में परफेक्ट हो जाये और अपने सारे काम टाइम पर करने लगे तो बेचारे विपक्ष का क्या होगा ?? तब विपक्ष की दुकान कैसे चलेगी बल्कि तब तो विपक्ष की भूमिका ही ख़त्म हो जाएगी ! अरे विपक्ष छोड़ो तब तो शायद देश में सरकार की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि तब जनता नेता सभी एक जैसा सोचने लगेंगे और तब ना तो कोई झगडा होगा और ना ही कोई बहस सब कुछ एक ही धारा में चलता जायेगा बिना कुछ सोचे ! उफ्फ्फ .....ये परफेक्ट ढूंढने के चक्कर में विश्लेषण ने अजीब ही दिशा पकड़ ली लेकिन बात सही है की अगर हर इंसान एक जैसा सोचने लगेगा और बिना कोई गलती किए हर इंसान अपने सभी काम समय पर करने लगेगा तो लाइफ शायद बोरिंग हो जाएगी ! <br />
अपने इस पूरे विश्लेषण के बाद एक बात समझ में आई अव्वल तो कोई परफेक्ट होता नहीं और अगर कोई इस कदर परफेक्ट होगा तो वो बोरिंग होगा या फिर टाइमटेबल होगा ! तो <strong>Don't be paerfect but be Good .....</strong><br />
</div>soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com25tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-60303968069628909202010-08-29T13:39:00.000+05:302010-08-29T13:39:42.951+05:30चलती फिरती ब्लोगिंग !!!<div style="text-align: justify;">जब से इस ब्लॉग जगत में कदम रखा है इस ब्लोगिंग के कीड़े ने ऐसा काटा है की हर तरफ बस ब्लॉग नज़र आते है मतलब की जहां भी कुछ लिखा दिखे उसे पढ़ कर कमेन्ट देने की इक्छा प्रबल होने लगती है ! अब चाहे वो पूरा ब्लॉग हो या फेसबुक और ट्विटर जैसी साईट पर किसी का स्टेटस या फिर किसी की लिखी चार लाइने, लेकिन ये सब तो रही इन्टरनेट की बात लेकिन उसका क्या जो हमारे आस पास चलते फिरते ब्लॉग घूमते है ! </div><div style="text-align: justify;">अभी पिछले दिनों दिल्ली से बाहर जाना हुआ बाढ़ के डर से नहीं किसी ज़रूरी काम से और बस वही हाइवे पर नज़र आए ये एक के बाद एक चलते फिरते ब्लॉग ! हाइवे से गुजरते हुए रास्ते में कई ट्रक और मिनी ट्रक और टेम्पो आदि देखे जिन पर लिखी लाइने किसी माइक्रो ब्लोगिंग से कम नहीं थी ! वैसे उन सभी को पढ़ कर आज की सबसे प्रचलित माइक्रो ब्लोगिंग साईट ट्विटर की याद आ गयी वास्तव में इन ट्रक वालो ने तो चलता फिरता ट्विटर ही खोल रखा है और ट्विटर इसलिए क्योकि जिस तरह ट्विटर पर अपनी बात कहने के लिए आपके पास 140 शब्दों की सीमा होती है उसी तरह ये भी अपनी बात कुछ शब्दों में ही कह देते है ! अब मैंने इनकी चलती फिरती ब्लोगिंग में जो कुछ भी पढ़ा वो बड़ा ही रुचिपूर्ण और असरकारक लगा ! आप भी पढ़िए </div><div style="text-align: justify;"><strong>तेरे यार दा ट्रक</strong> (तेरे पास कैसे आया)</div><div style="text-align: justify;"><strong>जट दी मर्सिडीज़</strong> (नीले रंग की)</div><div style="text-align: justify;"><strong>13 मेरा 7</strong> (?????)</div><div style="text-align: justify;"><strong>चल मेरी रानी कम पी इराक का पानी</strong> (मैंने तो सुना था गाड़िया डीज़ल और पेट्रोल से चलती है) </div><div style="text-align: justify;"><strong>जट रिस्की आफ्टर विस्की</strong> ( हा हा हा )</div><div style="text-align: justify;"><strong>सत्येन्द्र का सत्तू</strong> (पता नहीं कहा मिलेगा)</div><div style="text-align: justify;"><strong>दिल 20 तेरा 80 20 तेरे</strong> ( वाह वाह वाह )</div><div style="text-align: justify;"><strong>यो तो ऐसे ही चाल्लेगी</strong> ( चला चला आगे तेरा मामा तेरा इंतजार कर रहा है )</div><div style="text-align: justify;"><strong>अनारकली भर के चली</strong> (बदबूदार कूड़ा)</div><div style="text-align: justify;"><strong>यारां दा टशन</strong> ( बजाएगा मामा का बैंड )</div><div style="text-align: justify;"><strong>वजन घटाए सिर्फ 45 दिनों में</strong> (जय हो बाबा रामदेव )</div><div style="text-align: justify;"><strong>सोनू मोनू दी गड्डी</strong> (तो सोनू मोनू कहाँ है)</div><div style="text-align: justify;"><strong>बुरी नज़र वाले तेरा मुहँ कला</strong> ( कोई नी जी फेयर एंड लवली है ना ) </div><div style="text-align: justify;"><strong>होर्न प्लीज़</strong> ( सॉरी, होर्न ख़राब है )</div><div style="text-align: justify;"><strong>फिर मिलेंगे</strong> (इस बारे में सोचा जायेगा )</div><div style="text-align: justify;">तो ये थी मेरी चलती फिरती ब्लोगिंग अरे नहीं मेरी नहीं उन ट्रक वालो की जिन्हें मैंने पढ़ा लेकिन कमेन्ट यहाँ किया ! वैसे ऐसी चलती फिरती ब्लोगिंग पढ़ कर समय कब कट गया पता ही नहीं चला ! आपने भी ऐसी ही चलते फिरते ब्लॉग देखे होंगे, तो ज़रा आप भी बताईये अपने कमेन्ट के साथ ! </div>soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com33tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-44489881869735165592010-08-13T21:26:00.000+05:302010-08-13T21:26:13.517+05:30आज़ादी या सरकारी छुट्टी ???<div style="text-align: justify;">15 अगस्त 1947 ये वो दिन था जब हमारा "भारत" आज़ाद हुआ और हमें अग्रेज़ी हुकूमत से आज़ादी मिली ! <strong>"आज़ादी"</strong>, क्या है ये आज़ादी ? क्या मतलब होता है देश की आज़ादी का ? ये प्रश्न इसलिए क्योकि मैंने अग्रेज़ी हुकूमत की गुलामी नहीं देखी, देखा है तो सिर्फ आज का भारत जिसे आज़ाद(?) कहा जाता है ! मुझे नहीं पता की जब भारत गुलाम था तब वो कैसा था ? उस वक़्त के लोगो का गुलामी को लेकर क्या मनोभाव था ? उस वक़्त लोग किस हद तक अपने देश से प्यार करते थे ? उस वक़्त का गुलामी का मंजर कैसा रहा होगा ? कितना जूनून था लोगो में अपने देश की आज़ादी को लेकर ? लोग किस कदर देश की आज़ादी के लिए अपना खून बहाने के लिए तत्पर थे ? माँए, कैसे अपने बेटो को अपने देश के लिए शहीद होने के लिए भेज दिया करती थी ? ये और इस जैसे और ना जाने कितने ही प्रश्न आज मन में उठते है क्योंकि मैंने गुलाम भारत नहीं देखा ! देखा है तो सिर्फ आज का भारत, जो की में अब देख भी रही हूँ ! </div><div style="text-align: justify;">भारत को मिली आज़ादी के बारे में सिर्फ वही सब जानती हूँ जो अब तक किताबो और अखबारों में पढ़ा फिल्मो में देखा और बुजुर्गो से सुना है (और उपरवाले से ये प्रार्थना करती हूँ की फिर कभी वो मंज़र ना देखने पड़े !) उस सब पर यकीं करते हुए कहती हूँ की भारत वास्तव में एक सोने की चिड़िया हुआ करता था जहां की मिटटी सोना उगलती थी, सभी में आपसी भाई चारा था, तब हर कोई अपने देश से प्यार करता था, अपनी आज़ादी को जीता था, भारत की आज़ादी के लिए जो शहीद हुए, तब उन्हें भगवान से कम नहीं आँका जाता था ! सभी लोग 15 अगस्त को लाल किले पर होने वाले समारोह को कोसो दूर से पैदल चल कर देखने आया करते थे ! ये था आज़ादी का वो जूनून जो बिना किसी लागलपेट के बिना किसी स्वार्थ के सभी के अन्दर था ! ये था, वो आज़ाद भारत जिसे सोने की चिड़िया कहा जाता था, लेकिन मेरे लिए तो ये सब एक सपने जैसा ही है ! </div><div style="text-align: justify;">अब अगर आज के भारत की बात की जाए तो आज आज़ादी के जश्न का मतलब ही ख़त्म हो गया ! आज 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे दिन सिर्फ एक सरकारी छुट्टी से बढ़ कर और कुछ नही है ! आज जब घर के बड़ो से आज़ाद भारत की कहानी सुनती हूँ तो उस भारत और आज के भारत में एक फर्क देखने लगती हूँ क्योंकि मेरे लिए आज़ादी के बाद का भारत और आज का भारत, जो की आज़ाद (?) कहलाता है दोनों में फर्क है !</div><div style="text-align: justify;">भारत को तो आज भी सोने की चिड़िया कहा जा सकता है क्योकि भारत एक कृषि प्रधान देश है और वो आज भी कृषि उत्पादन में विश्व पटल पर छाया हुआ है ! कम ही लोग जानते होंगे की भारत आज <a href="http://internationaltrade.suite101.com/article.cfm/top_ten_wheat_countries">गेंहू </a>उत्पादन में विश्व में दूसरे स्थान पर है और <a href="http://internationaltradecommodities.suite101.com/article.cfm/top_rice_producing_countries">चावल </a>के उत्पादन में भी भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है ! विश्व में चावल और गेहूं जैसे आधारभूत अनाज के उत्पादन में दूसरा स्थान प्राप्त करने के बाद भी आज भारत में कितने ही ऐसे लोग है जो भर पेट भोजन के लिए भी तरसते है और कितने ही ऐसे लोग है जिन्हें साफ़ सुथरा अनाज मिलता होगा ?? आज सडको चोराहो पर ना जाने कितने ही छोटे बच्चे हाथ फैलाए खड़े नज़र आते है ! </div><div style="text-align: justify;">ये उस भारत के हाल है जहां की मिटटी आज भी सोना उगलती है लेकिन अफ़सोस ये है की वो सोना सही हाथो में नहीं पहुँच पाता ! ये अनाज जब खेतो से निकल कर सरकारी मंडियों से होता हुआ जब लोगो तक पहुँचता है तो उसमे से ज्यादातर अनाज तो सड़ चुका होता है और निर्यात करने के बाद जो थोडा बहुत साफ़ सुथरा अनाज बचा होता है उसकी कीमत कहीं ज्यादा होती है ! हमारे देश में कितने ऐसे लोग है जो गेहूं और चावल के इतने बड़े उत्पादक देश के वासी होने पर भी बासमती चावल और शुद्ध गेहूं का आटा खरीद पाते है ?? </div><div style="text-align: justify;">इसके अलावा भी भारत में आज भी कई ऐसी खूबियाँ है जिनके लिए हम भारत के कृषि उत्पादन का शुक्रिया अदा कर सकते है ! आज भारत ना सिर्फ गेहूं बल्कि <a href="http://internationaltrade.suite101.com/article.cfm/top_ten_cotton_countries">कपास </a> और <a href="http://world-trade-organization.suite101.com/article.cfm/top_ten_sugar_exporters">चीनी</a> के उत्पादन में विश्व में तीसरे स्थान पर है लेकिन यहाँ भी यही हाल है ! ना तो किसी को साफ़ और उचित मूल्य पर चीनी मिल पाती और ना ही ऐसा कभी हुआ की कपास के इतने बड़े उत्पादक होने पर भी सर्दियों में ठण्ड से किसी की जान ना गयी हो ! आखिर इस सब की वजह क्या है ? क्यों हम लोग अपने देश की इन खूबियों को जी नहीं पाते है ! इसका एक ही जवाब होगा और वो है भ्रष्टाचार, जिसमे हमारे देश ने विश्व में <a href="http://www.dnaindia.com/india/report_india-84th-most-corrupt-country-in-the-world-says-survey_1313133">84 वां</a> स्थान प्राप्त किया है ! लेकिन जिस गति से ये भ्रष्टाचार अपने पैर फैला रहा है उससे तो यहीं डर है कि कहीं 84 का आंकड़ा उल्टा ना हो जाये ! </div><div style="text-align: justify;">ये है हमारे आज़ाद भारत का एक छोटा सा सच ! आज जो हालात देश के है और जिस क़र्ज़ में हमारा देश डूबता जा रहा है और जिन लोगो के हाथ में देश की कमान है उसके आधार पर कह सकते है की देश ना तो राजनितिक रूप मे आज़ाद है और ना ही आर्थिक रूप में और आज की जो राजनितिक स्थिति है उससे तो यही लगता है की देश शायद फिर से गुलाम हो जायेगा ! लेकिन क्या इसके लिए सिर्फ हमारे देश के भ्रष्ट नेता और हमारा कमजोर प्रशासन ही जिम्मेदार है ??? आज भी कश्मीर और राम मंदिर जैसे मुद्दे राजनेताओ की सियासी रोटियां सेकने के काम आते है ! ये वो मुद्दे है जो अगर सुलझ गए तो नेताओ का वोट मांगने का जरिया ख़त्म हो जायेगा ! </div><div style="text-align: justify;">लेकिन इसमें गलती सिर्फ इन नेताओ की तो नहीं है ! जब भी भ्रष्टाचार की बात आती है तो लोग अक्सर सफेदपोशो और खाकी वर्दी को कोसने लगते है कि इन्होने देश का सत्यानाश कर दिया ! ये देश को फिर से विदेशी ताकतों का गुलाम बना देंगे ! इन्होने ऐसा कर दिया वैसा कर दिया ये कर दिया वो कर दिया वगेरह-वगेरह ! लेकिन एक बार खुद से पूछ कर देखिये क्या हम सभी अपने देश के लिए समर्पित है ??? क्या हमारे अन्दर आज़ाद भारत की आज़ादी का जश्न बनाने का जज्बा है ??? क्या हम 15 अगस्त के अलावा कभी और अपने शहीदों को याद कर पाते है ?? क्या हमने कभी कोई भ्रष्ट काम नहीं किया ?? क्या हमने कभी किसी को रिश्वत नहीं दी ?? क्या हमने कभी अपने गलत काम को सही करवाने के लिए सिफ़ारिशो और नोटों का सहारा नहीं लिया ??? ऐसे और भी ना जाने कितने ही सवाल है जिनके जवाब शायद नहीं में ही होंगे और शायद ही क्यों पक्का होंगे ! चलिए "गाँधी जी" की कही बात को याद करते है उन्होंने कहा था "जब हम किसीपर एक ऊँगली उठाते है तो बाकी की तीन उँगलियाँ हमारी तरफ ही होती है !" इसके अलावा ये भी सुना ही होगा "स्वयं को सुधारो, जग सुधरेगा !" वैसे ये सब तो में अपने एक <a href="http://soni-teekhabol.blogspot.com/2010/05/blog-post.html">पूर्व लेख</a> में भी कह चुकी हूँ ! जिसमे एक कमेन्ट जो "आशीष" जी के नाम से आया था उसमे उन्होंने बड़े ही खुले अंदाज़ में अपने जुगाड़ लगाने की बात कबुली थी ! </div><div style="text-align: justify;">आज हमारे समाज में कई लोग ऐसे है जो इन सब चीजों का सहारा लेते है और कोस देते है सिस्टम को लेकिन हम ये भूल जाते है कि इस सिस्टम को ऐसे बनाने वाले भी हम लोग ही है इन नेताओ का चदावा चडाने वाले भी हम लोग ही है और कह देते है कि छोड़ो यार जैस चल रहा है चलने दो अपना काम तो हो रहा है ना बस और क्या चाहिए ! कहीं बम ब्लास्ट हो जाये तो पहले अपने लोगो कि खैर खबर ले लो वो सब तो ठीक है ना और जब सभी के ठीक होने कि खबर मिल जाती है तो यहीं कहते है शुक्र है हम बच गए ! लेकिन कब तक ??? आज तो हम बच गए क्या ये ज़रूरी है कि कल किसी और बम ब्लास्ट में भी हम बच जाए ! क्या इस आतंकवाद को जड़ से ख़त्म करने में हमारी कोई भूमिका नहीं है ?? मेरी नज़र में ये है हमारे आज के आज़ाद भारत कि कहानी जहां हर कोई एक दूसरे पर दोष मड देता है लेकिन कोई भी खुद को सुधारने कि कोशिश नहीं करता ! </div><div style="text-align: justify;">आज हमारे भारत को फिर से आज़ादी की ज़रूरत है और वो आज़ादी हमें भ्रष्टाचार, आतंकवाद , घोटालो , बड़ते अपराध , बढती हुई महगाई कश्मीर और राम मंदिर जैसी और भी कई समस्याओं से तो चाहिए लेकिन उस सबसे पहले हमें अपनी छोटी मानसिकता से आज़ादी चाहिए ! जो इन सियासतदारो को अपनी गन्दी सोच और अपनी घटिया सियासत चलाने का मौका देती है तो उठाईये आज़ादी कि तरफ कदम माना की मुश्किल है लेकिन नामुमकिन तो नहीं ! कब तक बैठे के इन मंत्रियो के सहारे ??</div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><iframe allowfullscreen='allowfullscreen' webkitallowfullscreen='webkitallowfullscreen' mozallowfullscreen='mozallowfullscreen' width='320' height='266' src='https://www.blogger.com/video.g?token=AD6v5dyuiaCukZPRGNZvlChNViACuuMKzvIXA200hGn6d_O-wKCVgejy92kR1z_FPcW_Lr53BOz5FMtHETW9rcbblA' class='b-hbp-video b-uploaded' frameborder='0'></iframe></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><br />
</div><div align="left" class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><iframe allowfullscreen='allowfullscreen' webkitallowfullscreen='webkitallowfullscreen' mozallowfullscreen='mozallowfullscreen' width='320' height='266' src='https://www.blogger.com/video.g?token=AD6v5dzM_p04LIBI6tkIHu8NE-AEjOHsuguXDXZ3LZ70RfkAkziEOC3FYlHdLC7D39Py4kR-NC1AVNyPVrQhRsOh_w' class='b-hbp-video b-uploaded' frameborder='0'></iframe></div><div align="left" class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><br />
</div><div align="justify" class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><br />
</div>soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com20tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-41388482379055719842010-08-03T14:47:00.000+05:302010-08-03T14:47:21.316+05:30अभी तो मुजरा शुरू हुआ है !<div style="text-align: justify;">कुछ हफ्ते पहले एक फिल्म आई थी "राजनीति" जिसमे वर्तमान राजनीति को दिखाने की कोशिश की गयी थी और अब पिछले हफ्ते एक फिल्म आई थी "खट्टा मीठा", इस फिल्म में पी डब्ल्यू डी और एम् सी डी जैसे विभागों के काम करने के तरीके को दिखाया गया है इस फिल्म में <strong>अक्षय कुमार</strong> ने एक बड़ा ही सटीक डायलोग बोला है कि <strong>" पैसा दो तो पुलिस मुजरा भी करेगी</strong>" तो लीजिये हो गया मुजरा शुरू ! अभी तो कॉमनवेल्थ गेम्स शुरू भी नहीं हुए और सभी विभागों ने अपना-अपना मुजरा शुरू कर दिया ! सभी की कारगुजारिया धीरे-धीरे करके बाहर आने लगी है और ये तो होना ही था भई, ये भारत देश है जहां सौ में से नब्बे बेईमान का नारा लगता है , तो इतना बड़ा करोडो का गेम्स प्रोजेक्ट आखिर शराफत से कैसे संपन हो सकता है घपला तो होना ही था लेकिन उस घपले की पोल गेम्स से ही पहले खुल जाएगी ये अंदाजा कम ही था, लेकिन इसकी भविष्यवाणी हमारे <a href="http://samvedanakeswar.blogspot.com/">"चैतन्य" </a>भाई मेरी पिछली पोस्ट<a href="http://soni-teekhabol.blogspot.com/2010/07/blog-post_14.html"> "अच्छा, महंगा ..................हमारा शहर दिल्ली !"</a> पर कर चुके थे ! हालांकि उनकी ये भविष्यवाणी बारिश से होने वाली समस्याओं को लेकर थी ! <br />
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खैर, अभी तो मुजरा शुरू ही हुआ है वैसे मुजरा तो लगभग आज हर सरकारी और गैरसरकारी विभाग करता है लेकिन इस मुजरे के पीछे किसका हाथ है ये खुलने में समय लगता है और समय भी इतना की एक पूरी नस्ल जवान हो जाये और यहाँ भी यही होने वाला है ! अभी बहुत से ऐसे लोग है जिन्होंने खा कर डकार भी नहीं मारी है बल्कि उनका खाना पीना अभी चालू ही है या अगर अक्षय के स्टाइल में ही कहूँ तो उनके मुजरे तो अभी चालू है और अब इन मुजरो से सबसे ज्यादा परेशानी उस पक्ष (विपक्ष) को होने वाली है जिसे ये मुजरा करने को नहीं मिला और अब शुरू होगा पक्ष और विपक्ष का कोमन्वेल्थ गेम, जिसका नतीजा तो ऊपरवाला ही जाने या फिर धरती पर बैठा कोई ज्ञानी ! मैं अज्ञानी तो इसका नतीजा नहीं बता सकती ! <br />
अब हर कोई, क्या जनता और क्या नेता, वो सब जो इस मौके की तलाश में ही थे कि कब मौका मिले और वो कब चौका मारे तो उनकी तो इस घपले कि खबर सुन कर बाछे ही खिल गयी ! अरे भई, अंधे को क्या चाहिए दो आँखे, सो मिल गयी ! जंतर-मंतर पर प्रदर्शनों की शुरुवात तो हो चुकी है ! अब देखना ये है कि ये खेल उस खेल से कितना लम्बा चलता है ! गेम्स तो कुछ दिन में निबट जायेंगे लेकिन ये "खेल" तो पीढ़िया देखेंगी ! <br />
इन "खेलो" की भनक शायद इतनी जल्दी नहीं लगती अगर इंद्र देवता मेहरबान ना होते क्योकि बारिश ने ही घटिया मेटेरियल की पोल खोली है ! कहीं स्टेडियम स्विमिंग पुल में तब्दील हो चुके है तो कहीं की टाइले उखड-उखड कर खिलाडियों को ज़ख़्मी करने लगी है ! कहीं वर्ल्ड क्लास स्टेडियम का दर्ज़ा पाने वाले स्टेडियम की छत टपकने लगी है तो कहीं के हाई क्लास रोड तालाब बनगए है और ये सब तब है जबकि इन प्रोजेक्टों को पूरा करने के लिए कई वर्ल्ड क्लास विदेशी कम्पनियों को टेंडर दिए गए थे ! कल ट्विटर पर जूनियर बच्चन ने एक ट्विट पोस्ट की "कोई तो बारिश बंद करवाओ वर्ना कोमनवेल्थ कमिटी को स्विमिंग पुल बनाने की ज़रूरत नहीं होगी क्योकि उसके लिए सड़के ही काफी होंगी !" दिल्ली की हालत देख कर तो कई लोग सोशल नेटवर्किंग साईट पर अपने स्टेटस में ये कहने लगे है कि "दिल्ली किस मुहँ से बारिश होने की दुआ कर रही है !" अभी कुछ दिन पहले एक मंत्री ने अपने कोमनवेल्थ गेम्स को लेकर ब्यान में ये दुआ मांगी कि " भगवान् गेम्स के दौरान इतनी बारिश हो कि गेम्स बर्बाद हो जाये !" अब अगर सता के गलियारों में बैठे ये नेता गण अपने फायदे के लिए साफ़ तौर पर देश की इज्ज़त की धज्जियाँ उड़ने के ख्वाब देखेंगे तो बेचारी जनता अपना सहयोग क्यों देगी ! <br />
इन "खेलो" कि खबर लीक होने से एक सबसे बड़ा फायदा या नुक्सान ये हुआ कि 2019 में होने वाले एशियाड खेलो के लिए भेजी जाने वाली दावेदारी सरकार कि तरफ से नामंजूर होने की गंध आने लगी है ! हालाँकि इन घपलो पर "शीला" सरकार और कोमनवेल्थ गेम्स के चेयरमेन "सुरेश कलमाड़ी" ये चीख-चीख कर कह रहे है की कोई घपला नहीं हुआ और उनके पास सारा हिसाब मौजूद है लेकिन क्या आप इस पर विश्वास करेंगे ??? अभी तो सिर्फ धुआं उठना शुरू हुआ है लेकिन आग तलाशनी बाकि है ! क्या लगता है उस आग तक पहुचने में कितना समय लगेगा ??? या फिर उस आग तक पहुंचा ही नहीं जा सकेगा ! चलिए एक और प्रश्न का जवाब तलाशते है ! <br />
</div>soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com31tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-47196505911593789092010-07-26T15:54:00.000+05:302010-07-26T15:54:15.747+05:30अपने बच्चे, बच्चे और दूसरो के मुसीबत !!!<div style="text-align: justify;">आज सुबह की ही बात है,मम्मी से मिलने घर पर एक आंटी आई थी ! कई सालो की जान-पहचान है उनकी हमारे साथ ! आते ही बातो का सिलसिला शुरू हुआ और उन्होंने मम्मी को बताया कि "उनके घर में दो सिंगल रूम सेट खाली है कोई अच्छा किरायदार बताना !" मम्मी ने कहा "ठीक है, कोई पूछने आएगा तो बता दूंगी !" अब इस पर आंटी जी की अगली लाइन थी कि 'कोई ऐसा बताना जिसके बच्चे ना हो ! " है.....???? आंटी जी की बात सुन कर मेरा रिएक्शन कुछ ऐसा ही था ! अब इससे पहले की मम्मी कुछ बोलती मैंने झट से पूछ लिया "क्यों,आंटी आपको बिना बच्चो वाले किरायदार ही क्यों चाहिए ??" आंटी, बजाय कोई जवाब देने के मुझे देखने लगी ! मम्मी को आंटी की बात का कारण शायद पता था इसलिए उन्होंने मुझे चुप रहने को कहा, और आंटी से बोली आप छोड़ो इसकी बातो को !" लेकिन मैं भी मैं हूँ अपने सवाल का जवाब लिए बगैर चुप रहना मुझे नहीं आता ! हालाँकि इस वजह से कभी-कभी डांट भी पढ़ जाती है ! लेकिन फिर भी जवाब तो मैं लेकर ही रहती हूँ ! इसलिए अपना सवाल फिर से दोहराया "आंटी बताओ ना,आपको बिना बच्चो वाला किरायदार ही क्यों चाहिए" अब वो थोड़ी झेंप चुकी थी और तुरंत बोली "अरे नहीं, मेरा मतलब है जिसकी नयी-नयी शादी हुई हो या फिर कोई ऐसा जिसके एक ही बच्चा हो" !</div><div style="text-align: justify;">मैंने कहा "मुझे समझ नहीं आया,अभी तो आप कह रहे थे कि आपको बिना बच्चो वाले किरायदार ही चाहिए और अब आप कह रहे हो कि एक बच्चा हो, इसलिए ठीक से समझाओ कि आप कह क्या रहे हो !" अब आंटी, मेरी मम्मी से बोली "देखना इसको" ! "तब मम्मी बोली "कुछ नहीं बस बच्चे थोडा परेशान करते है इसलिए मना कर रही थी !" मैंने कहा "मतलब ???' तब आंटी बोली "अरे,अभी तू नहीं जानती, जब छोटे बच्चे होते है तो कितना परेशान करते है ! मैंने कहा "तो वो तो सभी के बच्चे करते है,आप इस वजह से किसी किरायदार को कमरा नहीं दोगी !" आंटी बोली "अरे नहीं, घर में बच्चे होते है तो शोर बहुत करते है और हमेशा उधम मचा कर रखते है सर में दर्द कर देते है !"तब मैंने कहा,"आंटी,अभी तक तो सुना था कि जब कोई मकान मालिक किरायदार रखता है तो पूछता है कि तुम शाकाहारी हो या मांसाहारी लेकिन आप ने तो नया रुल बना दिया !" तब मम्मी बोली " नहीं, अब बहुत से लोग बिना बच्चो वाले किरायदार ही चाहते है !" </div><div style="text-align: justify;">मुझे ये बात बुरी लगी कि बेचारा आदमी पहले तो एक अदद कमरे के लिए परेशान और अब मकान मालिको के नए-नए रूल्स से परेशान ! फिर कुछ देर बाद मुझे याद आया कि बच्चे तो आंटी जी के भी है और वो भी एक नहीं चार ! अभी लगभग चार-पांच साल पहले तक तो ये भी किराए पर ही रहती थी, अब इन्होने एक मकान बनवा लिया है ! तब मैंने आंटी से कहा, आंटी किराये पर तो आप भी रहती थी आप सोचो कि अगर आप किसी से उस वक़्त अपने लिए कमरा पूछती और तब आपसे कोई ये कहता तो आप को कैसा लगता ???" आंटी बोली 'सोनी, तेरी बात सही है, लेकिन फिर भी कौन मुसीबत चाहता है ??? मैंने कहा "मुसीबत ???? आंटी, बच्चे तो सभी के ऐसे होते है तो आप किसी और के बच्चो को मुसीबत कैसे कह सकते हो !" तब आंटी ने कहा "अरे तुझे पता नहीं है, किरायेदारो के बच्चे कितना परेशान करते है !" मैंने कहा, " फिर भी आंटी आपको सिर्फ इस वजह से तो किसी को कमरा देने से मना नहीं करना चाहिए !" इसके बाद आंटी जी एक के बाद एक अनोखे कारण देने लगी और मम्मी ने भी मुझे चुप ही रहने को कह दिया, लेकिन मुझे ये सारी बातें अच्छी नहीं लगी ! </div><div style="text-align: justify;">जब ये आंटी जी खुद किरायदार थी तब अक्सर कहती थी कि मकान मालिक बहुत चिक-चिक करते है और अब जब मकान मालिक बन गई है तो कहती है कि किरायदार परेशान करते है ! पता नहीं लोग अपना अतीत को क्यों भूल जाते है ?? </div><div style="text-align: justify;">दिल्ली में वैसे भी किराए पर कमरे मिलना मुश्किल होता है और उस पर कुछ लोग ऐसे होते है जो अपने मकान को एक सराय की तरह बना देते है जिसमे ना तो कोई सहूलियत होती है और ना ही कोई सुविधा, फिर भी इन मकान मालिको के रूल्स ऐसे होते है कि जैसे किसी को महल किराये पर दे रहे है ! बेचारा, किरायदार ना हो इनका गुलाम हो ! कुछ लोग अक्सर पापा को भी सलाह देते है कि आप भी अपने घर कि छत पर एक कमरा बनवा लो और किराए पर उठा दो कमाई हो जाएगी, तब पापा कह देते है अरे नहीं, छत पर धूप बहुत आती है क्योकि हमारा घर चारो तरफ से घिरा हुआ नहीं है "तो इस पर सलाहकारों का कहना होता है तो इसमें क्या हुआ जिसको ज़रूरत होगी वो लेगा ! </div><div style="text-align: justify;">मकान मालिको का ऐसा बर्ताव ही किरायदारो को परेशान करता है ! एक तो वो वैसे ही अपने हालातो से परेशान होते होंगे और दूसरे ये अनोखे मकान मालिक उन्हें चैन नहीं लगने देते ! सभी को सभी की परेशानी समझते हुए अपना सहयोग देना चाहिए ! आखिर सभी के हालत हमेशा एक से तो नहीं रहते ! </div>soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com34tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-15911450506829069502010-07-14T14:19:00.000+05:302010-07-14T14:19:55.814+05:30अच्छा, महंगा, अस्तव्यस्त, और डूबता हुआ .........आपका और हमारा शहर "दिल्ली" !!!!कुछ दिन पहले अखबारों में कुछ सर्वे छपे थे जो दिल्ली को लेकर थे और वो इस तरह थे !<br />
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<ol><li> दिल्ली देश का रहने लायक सबसे अच्छा और नंबर वन शहर है ! </li>
<li>एक न्यूज़ चैनल के अनुसार दिल्ली देश का सबसे महंगा शहर है !</li>
<li>एक अन्य सर्वे के अनुसार दिल्ली, ट्रैफिक अस्तव्यस्तता के मामले में दुनिया का पांचवा शहर है !</li>
<li>एक अन्य सर्वे के अनुसार देश में आने वाले सभी विदेशी टूरिस्ट्स में से 67 % लोगो के अनुसार दिल्ली एक असुरक्षित शहर है ! </li>
</ol> इन सभी सर्वे में कितनी सच्चाई है ये तो पता नहीं, लेकिन अगर ये ज़रा भी सच है तो सोचने वाली बात ये है कि जिस शहर को देश का सबसे अच्छा और रहने लायक शहर कहा जा रहा है क्या वास्तव में ऐसा है ??? दो दिन पहले हुई बारिश ने गेम्स के लिए आधी से ज्यादा उधडी हुई दिल्ली को तालाब में तब्दील कर दिया ! आज आलम ये है की बारिश ख़त्म हो जाने के बाद भी कई इलाके जलमग्न हैं और हमेशा की ही तरह दिल्ली सरकार और एमसीडी ने आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू कर दिया और ये सिलसिला भी हमेशा की तरह बारिश ख़त्म होने के साथ-साथ ख़त्म हो जायेगा ! <br />
सर्वे में दिल्ली को सबसे अच्छा शहर कहने का आधार था यहाँ का रहन-सहन, हेल्थ और एजुकेशन ! इन आधारों पर दिल्ली को सर्वश्रेष्ट स्थान ???? ये वाकई हैरान कर देने वाली बात क्योकि इस शहर में फोन करने पर पिज्जा तो 30 मिनिट में आपके घर पहुँच जायेगा लेकिन अम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड और दिल्ली पुलिस जैसी सुविधाए 30 मिनिट में आपके घर पहुँच जाये इस बात की गारंटी नहीं ! लेकिन वी.आई.पी. इलाकों में ये सुविधाए 30 मिनिट से पहले भी पहुँच सकती है तो हुआ ना ये शहर रहने लायक अब सभी लोग वी.आई.पी. इलाकों में नहीं रहते तो इसमें बेचारे सर्वे करने वालो की क्या गलती ! अब अगर हेल्थ की बात करे तो दिल्ली में सभी तरह चिकित्सीय सुविधाए मौजूद है लेकिन यहाँ भी बात आती है की ये सब किसके लिए है, अब सभी तो प्राइवेट अस्पताल का खर्च उठाने में समर्थ हो नहीं सकते और जो सरकारी अस्पताल में शरण लेते है वो ज्यदातर भगवान् भरोसे ही जीते है और अगर एजुकेशन की बात की जाये तो जहां आपको कार लोन दो दिन में मिल सकता है वहीँ आपको एजुकेशन लोन के लिए दो हफ्ते से भी ज्यादा का इन्जार करना पढ़ सकता है ! अब बैंको के अनुसार देश की राजधानी में एजुकेशन ज़रूरी हो या ना हो लेकिन कार होना ज़रूरी है ! अब देश के सबसे अच्छे शहर में रहने के लिए कुछ तो स्टेटस होना ही चाहिए ! <br />
अब दूसरे सर्वे के अनुसार दिल्ली देश का सबसे महंगा शहर है ! ये सर्वे तो झूठ हो ही नहीं सकता ! अभी कल ही ही बात है मैंने टोमेटो सूप पीने की इच्छा जाहिर की लेकिन पता लगा की टमाटर 50 रूपये किलो हो गए है ! कीमत सुन कर मैंने इंस्टेंट मेक सूप से ही काम चलाया ! टमाटर, जो की हर सब्जी की जान है वो अगर इतना महंगा है तो बाकी सब्जियों का क्या ??? सब्जियों के अलावा रोज़मर्रा की ज़रुरतो में काम आने वाली सभी चीजों की कीमते आज आसमान में छलांगे लगा रही है तो कैसे नहीं होगा ये देश का सबसे महंगा शहर, बिलकुल होगा !<br />
तीसरे सर्वे में दिल्ली को ट्रेफिक अस्तव्यस्तता के मामले में विश्व में पांचवा स्थान प्राप्त हुआ है ! यह जान कर ख़ुशी हुई खुशी इसलिए की शुक्र है आज विश्व में दिल्ली से भी ज्यादा ट्रेफिक ट्रबल वाले शहर है लेकिन वास्तव में इस सर्वे पर यकीं नहीं हो रहा ! लेकिन अगर यही हालत रही तो कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान पूरे भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली दिल्ली गेम्स में इस ट्रैफिक ट्रबल से अपनी इज्ज़त बचा पायेगी ??? क्या तब सडको पर पदने वाला अतिरिक्त भार दिल्ली ढो पायेगी ???<br />
अब बात उन विदेशी सैलानियों की जिन्होंने दिल्ली को एक असुरक्षित शहर का तमगा दिया ! कुछ दिन पहले ट्विटर पर मंदिरा बेदी की ट्वीट पढ़ी थी जो शायद इसी सर्वे को लेकर लिखी गई थी जिसके अनुसार "दिल्ली, लडकियों के लिए मुंबई से ज्यादा असुरक्षित है !" वास्तव में अगर दिल्ली में लडकियों की सुरक्षा की बात की जाये तो दिल्ली में अब भी लडकियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण तैयार नहीं हुआ है ! अक्सर भीड़ में छूने की कोशिश में निकलता किसी पागल जानवर का हाथ, चौक-चौराहों पर घूरती हुई नज़रें, उलजलूल फब्तियां इस बात का सबूत है कि दिल्ली में आज भी एक अकेली लड़की दिल्ली के मर्दों की टेढ़ी नज़र का कारण है ! क्या इस माहौल में विदेशी युवतियां खुद को सुरक्षित रख पाएंगी ??? क्या सभी विदेशी सैलानी गेम्स का आनंद निर्भय हो कर ले पाएंगे ???<br />
आज दिल्ली को हर तरफ से सजाने की कोशिश की जा रही है ! कल ही पढ़ा था की अ़ब जगह-जगह सडको को गन्दा करने वालो पर डबल फाईन लगेगा ! लेकिन क्या ये फाईन लोगो को बदल सकेगा ??? क्या दिल्ली सरकार सडको के साथ-साथ लोगो के दिमाग भी चमका सकेगी, जिनमे अपने देश की इज्ज़त को लेकर कोई जागरूकता नहीं है ! क्या सिर्फ टैक्सी, ऑटो वालो को अंग्रेजी भाषा सीखा देने भर से उनके रवैये में सुधार हो सकेगा ??? डर है की उस वक़्त अखबारों में गेम्स से ज्यादा चर्चा विदेशी सैलानियों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार की ना हो ! जिस गेम्स से सरकार और जनता ये उम्मीद लगाये हुए है की भारत को इससे एक ऊँचा आयाम मिलेगा, भारत का विदेशी व्यापार बढेगा, या विश्व पटल पर भारत की मांग बढेगी, इश्वर ना करे की उस गेम्स के बाद ये नज़ारा उल्टा हो !soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com22tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-88693720558375111272010-07-12T14:05:00.000+05:302010-07-12T18:06:13.379+05:30पॉल, मणि और रेहान भाई की टोपी...............फुटबाल वर्ल्ड कप का नतीजा आ चुका है और पॉल की जीत हो चुकी है ! अब स्पेन की जीत कहने से तो पॉल की जीत कहना ज्यादा अच्छा लग रहा है क्योकि फुटबाल से ज्यादा तो इसके नतीजों की भविष्वाणी करने वाले पॉल और मणि ही मशहूर हो रहे थे ! आज चारो तरफ फुटबाल वर्ल्ड कप की विनर टीम से ज्यादा इनका शोर है ! वैसे पिछले कुछ दिनों से अच्छी खासी चर्चा पा रहे थे ये दोनों ! फिर चाहे सोशल नेटवर्किंग साईट हो, प्रिंट मिडिया हो या इलेक्ट्रोनिक मिडिया या फिर अपना ब्लोगर ! बल्कि पॉल शब्द तो ट्विटर पर एक दिन में इस्तेमाल होने वाला सबसे ज्यादा प्रचलित शब्द बन गया ! अब ये फुटबाल कप जो भी टीम जीतती, तो जीत उसकी भविष्वाणी करने वाले की ही जीत होती और इस बार जीत हुई पॉल की, मणि हार गया, वैसे भी जीत तो एक ही की होनी थी ! क्योकि अगर होलैंड जीतता तो मणि जीतता ! अब अपनी इस भविष्वाणी के सच हो जाने पर ना जाने कितनी ही और भविष्वाणी पॉल को करनी पड़ेंगी और कितने ही लोगो से रोज़ मिलना पड़ेगा ! पता नहीं लोगो को पॉल की अपोयिन्टमेंट मिलेगी भी या नहीं ! इस वक़्त तो देश के सबसे बड़े वी.वी.आई.पी. पॉल ही होगा ! लेकिन इस सबसे एक बात ज़रूर साबित हो गई कि अन्धविश्वाश ना सिर्फ अपने देश में बल्कि पूरे विश्व में आज अपनी चरम सीमा पर है ! अब इस की एक कड़ी देखिये "रेहान भाई" बिरयानी वाले ! <br />
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<img alt="Image413" class="alignleft size-medium wp-image-99" height="225" src="http://sonigarg.jagranjunction.com/files/2010/07/Image413-300x225.jpg" title="Image413" width="300" /><br />
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ये है रेहान भाई जो सिटी प्लाज़ा मार्केट, सेक्टर 62 नॉएडा में अपनी चलती फिरती दुकान के साथ दोपहर एक बजे पहुँच जाते है ! इन्हें यहाँ अपनी इस चलती फिरती दुकान को लगाते हुए तकरीबन छ से सात साल हो गए ! इनकी दुकान पर मिलने वाली चिकन बिरयानी के सभी कायल है और यहीं वजह है की दुकान लगने के लगभग छ घंटे के अन्दर ही रोज़ बना कर लायी हुई इनकी कई किलो बिरयानी हाथो-हाथ बिक जाती है ! 35 रूपए हाफ प्लेट का मूल्य भी लगभग सभी की जेबों को सूट करता है ! लेकिन अब ये रेहान भाई पिछले कुछ दिनों से अपनी दुकानदारी से खुश नहीं है और वजह भी बड़ी अनोखी है ! चलिए वजह जानने से पहले एक नज़र इनके स्टाइल पर डाल ली जाये !<br />
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<img alt="Image416" class="alignleft size-medium wp-image-109" height="225" src="http://sonigarg.jagranjunction.com/files/2010/07/Image4163-300x225.jpg" title="Image416" width="300" /><br />
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhUZSYBTeNbrYOteBRIHzGicqp0O5X8Nm68mf6dSiaUU4TgWFQ15y-E30brn2bkLPWPbVTAXry40FDZZPSymY6hUkSlIG5V19Uc0W-AzmikGpO55UTqyQNJ-WvVy5S94gOyn6Ohd-pG6uc/s1600/Image415.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" rw="true" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhUZSYBTeNbrYOteBRIHzGicqp0O5X8Nm68mf6dSiaUU4TgWFQ15y-E30brn2bkLPWPbVTAXry40FDZZPSymY6hUkSlIG5V19Uc0W-AzmikGpO55UTqyQNJ-WvVy5S94gOyn6Ohd-pG6uc/s320/Image415.jpg" width="320" /></a></div><br />
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अब इनका स्टाइल देख कर कोई सेलेब्रेटी तो याद आ ही गया होगा और अगर अब भी याद नहीं आया तो अब इस अगली तस्वीर को देख कर आपको समझ आ ही जायेगा की ये किसके स्टाइल की कोपी है !<br />
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<img alt="Image411" class="alignleft size-medium wp-image-112" height="225" src="http://sonigarg.jagranjunction.com/files/2010/07/Image411-300x225.jpg" title="Image411" width="300" /><br />
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जी हाँ, ये हिमेश रेशमिया की ही कोपी है ! लेकिन यहाँ बात सिर्फ स्टाइल कॉपी करने की नहीं है बात थोड़ी बड़ी है ! दरअसल ये रेहान भाई पिछले पाँच सालो से हिमेश रेशमिया का स्टाइल फोलो करते आ रहे है ! ड्रेस से लेकर टोपी तक सब कुछ, बहुत बड़े फैन है हिमेश रेशमिया के ! लेकिन आजकल थोड़े दुखी है और दुखी होने की वजह ये है की इनकी बिरयानी की बिक्री पहले के मुकाबले थोड़ी कम हो गई है ! अब इसकी कई वजह हो सकती है, लेकिन रेहान भाई अपनी बिरयानी की बिक्री कम होने की सिर्फ एक वजह मानते है और इनके अनुसार वो वजह है हिमेश रेशमिया का अब टोपी ना पहनना ! सुन कर हैरानी हुई कि हिमेश रेशमिया के टोपी ना पहनने से इनकी बिक्री का क्या लेना देना ????<br />
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लेकिन रेहान भाई तो यहीं मानते है की जबसे हिमेश रेशमिया ने अपनी टोपी उतारी है तब से ही इनकी बिरयानी की बिक्री कम हुई है और अब ये चाहते है की हिमेश रेशमिया फिर से टोपी पहनना शुरू कर दे ! वैसे कुछ समय पहले तक हिमेश रेशमिया भी अपनी टोपी को अपने लिए लकी मानते थे और अपनी ये टोपी वो म्यूजिकल शो "सारेगामापा" के कंटेस्टेंट विनीत को भी पहना चुके थे ! अब इस टोपी ने इन दोनों कि कितनी किस्मत बदली ये तो वही जाने लेकिन हमारे रेहान भाई तो पूरी तरह से इस टोपी को ही अपनी किस्मत मान चुके है ! मेरे लिए तो ये किसी अन्धविश्वास से कम नहीं है !<br />
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अब जबसे हिमेश रेशमिया ने टोपी पहनना छोड़ दिया है तब से रेहान भाई बड़े दुखी है ! लेकिन अब इन्हें कौन समझाए कि जो टोपी इनके स्टाइल आइकॉन हिमेश रेशमिया कि किस्मत नहीं बदल सकी वो इनकी बिरयानी कैसे बिकवायगी ! तो जाइये आप भी मिल कर आईये इन रेहान भाई उर्फ़ हिमेश रेशमिया के डुप्लिकेट से और लुत्फ़ उठाइए इनकी चिकन बिरयानी का शायद तब बिक्री थोड़ी ज्यादा हो जाये और इन्हें ये ज्ञात हो जाये, कि किसी और के टोपी पहनने या ना पहनने से इनकी दुकानदारी पर असर नहीं पढता ! <br />
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ये सभी तस्वीरे मेरे मित्र और इन्ही की बिरयानी के शौक़ीन प्रदीप लांबा द्वारा ली गई है ! <br />
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<img alt="Image436" class="alignright size-medium wp-image-119" height="225" src="http://sonigarg.jagranjunction.com/files/2010/07/Image436-300x225.jpg" title="Image436" width="300" />soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-13291954690777329562010-07-04T13:31:00.000+05:302010-07-04T13:31:30.380+05:30जब उड़ी मेरे नाम की धज्जियाँ !!!!!<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"></div>मुझे नियमित रूप से पढने वालो को पता होगा की मैंने अपनी एक पोस्ट में एक व्यंग्य लिखा था ! जिसका शीर्षक था, "नेता जी की नरक यात्रा" ! ये हास्य व्यंग्य लिखा तो मैंने था लेकिन इसकी मूल रचनाकार मैं नहीं थी ! ये बात मैं तब बता चुकी थी ! <br />
मेरी आदत है की कुछ भी अच्छी लाइन या कोई अच्छा वालपेपर या फिर अपनी ही कोई चुनिन्दा पोस्ट को मैं अपने फेसबुक अकाउंट पर अपडेट कर देती हूँ और यहीं मैंने इस हास्य व्यंग्य के साथ भी किया और वहाँ भी कमेन्ट आने शुरू हो गए ! तब वहाँ भी मुझे अपनी सफाई देनी पड़ी और यही हाल जागरण जक्शन पर भी हुआ ! खैर अब वो बात ख़त्म हो चुकी थी ! लेकिन जब मैंने अपनी आदत अनुसार एक वालपेपर अपने फेसबुक अकाउंट पर अपडेट किया तो फिर से वही सब पिछला शुरू हो गया ! लोगो के कमेन्ट आने शुरू हुए ! सभी ने मेरे उस लिखने की शेली की तारीफ की जो मेरे लिए टेढ़ी खीर है ! आप भी इस वालपेपर पर एक नज़र डालिए !<br />
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg4nFwANK5TvTdbt9QNqoV0SO6vcqggrQYlxHFgmTyYF4mAS-68R_j3477EFGMLLv4xI_J1jQFMo0kca1FVBhM5rYqDgVbASELkTHqrqLps4pr-QE0UWNg9vdg7f35G47ZQVW-6U0DR2nI/s1600/Ramayan.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" rw="true" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg4nFwANK5TvTdbt9QNqoV0SO6vcqggrQYlxHFgmTyYF4mAS-68R_j3477EFGMLLv4xI_J1jQFMo0kca1FVBhM5rYqDgVbASELkTHqrqLps4pr-QE0UWNg9vdg7f35G47ZQVW-6U0DR2nI/s320/Ramayan.jpg" width="280" /></a></div><br />
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"></div>इसे लिखने में किसका दिमाग है मुझे पता नहीं ये तो मैंने गूगल से डाऊनलोड किया था ! वैसे भी ऐसा कुछ लिखने की कला मुझमे नहीं है ! लेकिन वहीँ अपना पुराना राग की अगर कुछ अच्छा लगता है तो उसे पोस्ट कर देती हूँ और जब इस वालपेपर को अपडेट करने के बाद एक बार फिर से सभी को ये बताना पड़ा की ये मैंने नहीं लिखा ! <br />
इसलिए अब तय किया हैं कि जब भी ऐसा कुछ हास्यपूर्ण पढूंगी तो रचनाकार के नाम के साथ सीधा लिंक ही पोस्ट कर दूंगी ! तो इसी के चलते आज एक लिंक दे रही हूँ इस कहानी के लेखक और नायक है श्री आर. के. खुराना जी ! आप भी एक नज़र डालिए<a href="http://khuranarkk.jagranjunction.com/2010/06/02/%e0%a4%b9%e0%a5%81%e0%a4%86-%e0%a4%95%e0%a5%81%e0%a4%9b-%e0%a4%ad%e0%a5%80-%e0%a4%a8%e0%a4%b9%e0%a5%80%e0%a4%82/"> इनकी कहानी पर ! </a><br />
बेशक, मैं खुद तीखा लिखती हूँ लेकिन मुझे हास्य पढना ज्यादा पसंद है और अक्सर ऐसा कुछ तलाशती रहती हूँ ! इस कारण ही मैं खुद कुछ हास्य कवियों और कार्टूनिस्ट कलाकारों को फोलो भी करती हूँ ! ऐसे ही हास्य की तलाश में मैंने श्री सचिन देव जी बाउंसर पढे ! बाउंसर ऐसे की कोई भी क्लीन बोल्ड हो जाये ! इनके बाउंसर में एक नाम मेरा भी था तो आप भी पढ़िए की किस तरह इन्होने अपने चोथे बाउंसर में मेरे नाम और मेरे ब्लॉग teekha bol को <a href="http://allrounder.jagranjunction.com/2010/06/11/%e0%a4%86%e0%a4%b2%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%89%e0%a4%82%e0%a4%a1%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%89%e0%a4%a8%e0%a4%b8%e0%a4%b0-%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%af/">क्लीन बोल्ड किया ! </a><br />
हालाँकि उनके ये बाउंसर ११ जून को फैके गए थे लेकिन मेरी लेटलतीफी की हद देखिये कि मेरा इनसे सामना ३ जुलाई को हुआ या यू कहे कि इनके बाउंसर मुझ तक पहुचने से पहले थक गए ! वैसे जवाबी कारवाही तो मैंने भी कर दी ! लेकिन फिर भी इन लाज़वाब बाउंसर के आगे टिकना थोडा मुश्किल ही लगा ! <br />
तो आज आप सभी हंसिये अगली बार अपने तीखे बोल के साथ जल्द ही मिलूंगी ! वैसे भी इस बार आने में थोड़ी देर हो गई !soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com12tag:blogger.com,1999:blog-8585914291652019412.post-7845490871750255252010-06-17T11:10:00.000+05:302010-06-17T11:10:14.330+05:30कब बदलेगी ये "इज्ज़त" की सोच ????कल के अखबार में एक खबर पढ़ी, खबर दिल्ली के स्वरूप नगर की थी जिसमे एक लड़का और एक लड़की शादी करना चाहते थे मतलब प्रेम विवाह ! अपने घर वालो की मर्जी से, लेकिन जब लड़का, लड़की के घर अपनी शादी की बात करने गया तो लड़की के घर वालो ने लड़के को बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया और ये देख कर जब लड़की ने लड़के को बचाने की कोशिश की तो उन लोगो ने लड़की को भी पीटना शुरू कर दिया ! पीटते-पीटते भी जब उनका मन नहीं भरा तो उन्होंने दोनों को लोहे के ट्रंक में डाल कर उन्हें तब तक बिजली का करंट दिया जब तक वो मर नहीं गए ! आज उन दोनों को मारने वाले लड़की के ताऊ और लड़की के पिता दोनों की पुलिस की गिरफ्त में है !और दोनों में से किसी को भी अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है !<br />
अब दूसरी खबर .........अभी कुछ दिन पहले की ही बात जब एक युवक और एक युवती ने गंगनहर में कूद कर जान दे दी और यहाँ भी वजह वही थी दोनों शादी करना चाहते थे लेकिन दोनों के शायद घरवाले इस बात से राज़ी नहीं थे !<br />
ऐसी और ना जाने कितनी ही घटनाएं हम रोज़ अखबारों में पदते है और अपने आस-पास देखते है ! इन सभी घटनाओं में सिर्फ एक ही चीज़ उभर कर आती है और वो है घर की इज्ज़त ! जिसके लिए माता-पिता अपने ही बच्चो का क़त्ल करने से नहीं हिचकते ! अभी पिछले दिनों ही 'निरुपमा' का केस सामने आया जिसकी चर्चा मैं अपने ही एक<a href="http://sonigarg.jagranjunction.com/2010/05/13/67/"> पूर्व</a> <a href="http://soni-teekhabol.blogspot.com/2010/05/blog-post_11.html">लेख </a>में कर चुकी हूँ !<br />
<span style="font-size: small;">आखिर माँ-बाप अपनी ही बेटी का क़त्ल कैसे कर सकते है ??? वो भी उस बेटी का ------</span><br />
<strong>जिस बेटी को एक माँ ने अपने ढूध से सीचा,</strong><br />
<strong>जिस बेटी की ऊँगली पकड़कर पिता ने उसे चलना सिखाया,</strong><br />
<strong>जिसकी उंगलियों ने अपने भाई की कलाई को राखी से सजाया,</strong><br />
<strong>जिसकी एक मुस्कराहट ने पिता का हर गम दूर किया, </strong><br />
<strong>जिसकी गूंजती किलकारी ने माँ के होटो पर एक मुस्कान बिखेरी, </strong><br />
<strong>जिसे कभी पिता ने अपने घर की रौनक कहा,</strong><br />
<strong>जिसकी मासूम शरारतो ने भाई को हंसाया तो कभी परेशान किया,</strong><br />
<strong>जिसकी एक छोटी सी ख्वाइश पर भी पिता ने अपना सब कुछ वार दिया,</strong><br />
<strong>जिसकी हर पसंद नापसंद को पिता ने अपनी पसंद नापसंद बनाया,</strong><br />
<strong>जिसकी एक छोटी सी आह पर पिता ने दुनिया सर पर उठा ली,</strong><br />
<strong>जिसे पिता ने कभी अपने जीने की वजह बताया,</strong><br />
<strong>जिसकी हर सांस से माता-पिता ने अपनी हर सांस जोड़ ली,</strong><br />
<strong>जिसकी चंचलता ने माता-पिता को प्रफुल्लित कर दिया,</strong><br />
<strong>जिस पिता के आँगन में खेल कर वो बड़ी हुई,</strong><br />
<strong>उसकी एक चाहत ने ऐसा क्या कर दिया कि,</strong><br />
<strong> <span style="color: red;"><em> "एक पिता अपनी ही बेटी का कातिल बन गया" </em></span></strong><br />
स्वरुप नगर कि घटना में अपनी ही बेटी का क़त्ल करने के बाद एक पिता और एक ताऊ को (जो मेरी नजरो में पिता समान ही है) उन्हें अपने किए पर कोई पछतावा नहीं ! क्या ये सब करने के बाद वो दोनों पिता कहलाने लायक है ??<br />
हमेशा से सुनती आई हूँ कि माता-पिता अपने बच्चो के लिए कुछ भी कर सकते है ! किसी भी माता-पिता के जिंदगी कि सबसे बड़ी चाहत अपने बच्चो को खुश देखना ही होती है ! लेकिन क्या वास्तव में ऐसा है ???<br />
किस इज्ज़त और किस समाज के लिए वो ऐसा कुक्र्त्य करते है !<br />
<strong><span style="color: red;"> क्या इज्ज़त, अपने ही जन्म दिए बच्चो कि ख़ुशी से बढकर है ??? </span></strong><br />
अगर माता-पिता को कुछ वास्तव में गलत लगता है तो बच्चो को समझाया भी जा सकता है उन्हें उनकी गलतियों से अवगत भी कराया जा सकता है, लेकिन शायद नहीं क्योकि माता-पिता अक्सर अपने बच्चो के प्रश्नों का ना तो जवाब देना चाहते और ना ही उन्हें समझना चाहते, उन्हें ये पसंद ही नहीं कि उनके बच्चे कोई फैसला ले या फिर वो अपनी पसंद का जीवनसाथी चुन सके और शायद इसलिए ही माता-पिता के पास अपने बच्चो की पसंद को खारिज कर उन्हें मौत के घाट उतारने में भी कोई हिचक महसूस नहीं होती ! बल्कि अपने किए हुए ऐसे नरसंहार को वो गर्व से सही भी ठहराते है ! हाँ भई, तो क्या हुआ बच्चे जिंदा नहीं है उनकी इज्ज़त तो जिंदा रह ही जाती है ! जिसे शायद वो ताउम्र अपने गले से लगा कर सके ! शायद यही इज्ज़त उन्हें हर ख़ुशी दे सके, शायद यही इज्ज़त उनके जीवन का सहारा बन सके, और शायद यही इज्ज़त उनकी आखिरी सांस में उन्हें सहारा दे सके ! <br />
ओनर किलिंग पर लिखे अपने पिछले लेख की ही तरह आज एक बार फिर से हार मान गई ! माता-पिता की सोच शायद बच्चो की बली दे कर ही बदलेगी लेकिन इस सोच को बदलने के लिए और कितनी बलीया देनी पड़ेंगी ???soni garg goyalhttp://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.com28