बुधवार, अक्तूबर 06, 2010

हमें कोई तो सुधारे !!!!

आज भारत दुनिया के उन देशो में है से एक है जहां की जनसख्याँ में युवाओ की संख्या का  प्रतिशत सबसे  अधिक है और यही वजह है की  आज भारत को "यंग इंडिया" भी कहा जाता है ! ये जान कर ख़ुशी होती है की आज भारतीय  युवा दुनिया में अपनी  एक अलग पहचान बना रहा है ! आज भारत का युवा वर्ग हर क्षेत्र में आगे बढ़ कर अपनी मोजूदगी भी दर्ज़ करा रहा है ! ऐसे बहुत से  यंग लीडर है जिहोने अपने क्षेत्र में ना सिर्फ अपनी एक पहचान बनाई है बल्कि अपने क्षेत्र में कई असरकारक कार्य भी किए है ! अभिनव बिंद्रा,नारायण मूर्ति, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रियंका चोपड़ा, सुशिल कुमार,बिजेंद्र सिंह, मिताली राज़,झूलन गोस्वामी, अंकित फाडिया, सिद्दार्थ वरदराजन, नारायण मूर्ति, सुष्मिता सेन जैसे नाम आज भारतीय यंग ब्रिगेड का हिस्सा है ! ये वो बड़े नाम है जो आज विश्व पटल पर अपना परचम लहरा रहे है !
वही इसके उलट आज भारतीय युवा वर्ग में एक ऐसा वर्ग भी है जो नाम,दोलत,शोहरत सब  कमाना चाहता है लेकिन बिना किसी मेहनत के या फिर एक बहुत छोटे शोर्टकट के साथ और आज ऐसे युवाओ की संख्या दिनोंदिन बदती जा रही है ! पिछले कुछ दिनों से अखबार के पन्ने ऐसी खबरों से अटे पड़े रहे ! जिसमे से एक खबर में दिल्ली में एक बी कॉम फ़ाइनल ईअर की युवती करोडो के गहनों के साथ पकड़ी जाती है और कुछ दिन पहले गाज़ियाबाद में एक ३० वर्षीय विवाहित युवक करोडो के गहनों के साथ पकड़ा जाता है युवती का गुनाह अभी साबित नहीं हुआ लेकिन युवक के गुनाह के साबित होने के बाद पता लगा की वो अपने शौक के लिए चोरी करता था ! इसके अलावा आज का भारतीय युवा चेन स्नेचिंग,झपटमारी,चोरी की वारदातों, हत्या नशाखोरी, साइबर क्राइम जैसे और ना जाने कितने ही अपराधो में लिप्त होता जा रहा है ! लेकिन इस सबकी वजह क्या है ! क्यों आज युवा वर्ग इस अपराध की दुनिया की तरफ आकर्षित होता जा रहा है ?? बल्कि सारी सुविधाए मिलने के बाद भी क्यों आज धनाड्य वर्ग के युवा भी इस ओर आकर्षित हो रहे है ?? क्यों वो इतनी आसानी से इस ओर मुड़ रहे है ??
अगर इन सबकी वजह तलाशी जाये तो एक नहीं अनेक होंगी ओर सबका अपना अपना कारण  होगा ! सबसे बड़ा कारण जो आजकल ज़्यादातर लोगो के मुह से सुना है वो है आज की फिल्मे और  टीवी पर आने वाले शोस जो इन युवाओ को बिगाड़ने  में पर्याप्त है ! लेकिन क्या सिर्फ यहीं एक कारण है अक्सर बुजुर्गो को युवाओ के पहनावे को लेकर कहते सुना है कि आजकल के लड़के लडकियों ने तो हद ही कि हुई है कोई शर्म हया नहीं बची इनमे ! मुझे याद है कि मेरे घर पर एक बुजुर्ग महिला आती है जो कि हरियाणा से है और अक्सर आज के युवाओ के पहनावे को लेकर अपनी भाषा में एक बात ज़रूर कहती है "आजकल के छोरे छोरियां ने देख के तो  पता ही को नी चालता कि छोरा कोण  ते अर छोरी कोण !" जिसे सुन कर मुझे अक्सर हँसी आ जाती है वैसे उनका कहना  गलत भी नहीं है खुद में एक दो बार मेट्रो ट्रेन में लडको को लड़की समझने की गलती कर चुकी हूँ ! अक्सर देखा जाता है की जहां बड़े बुजुर्ग बैठे हो वहाँ आज के युवाओ पर चर्चा ज़रूर होती है  जिसमे सभी अपने अपने विचार व्यक्त  करते नज़र आते है ! किसी की नज़र में आज का युवा जोशीला होता है तो कोई कहता है की गर्म  खून है इसलिए ऐसा है तो किसी की नज़र में ये सब माता पिता की शय का असर होता है तो किसी की नज़र में ये आजकल की फिल्मो में उटपटांग  चीजों को देखकर बिगड़ रहे है ! 
सबके अलग अलग विचार है आज के युवाओ को लेकर ! जोकि गलत भी नहीं है लेकिन अगर आज के युवा वर्ग को उसी की नज़र से समझा जाए तो और भी कई कारण सामने आयेंगे और सबसे बड़ा और पहला कारण जो मुझे नज़र आता है वो है "पियर प्रेशर" जो बहुत ज़ल्दी और गहरा असर करता है और जिसने कभी मेरे ऊपर भी असर करने की कोशिश  शुरू की थी  लेकिन उस वक़्त अपने टीचर्स और मम्मी-पापा के सपोर्ट के चलते मैं तो इस पियर प्रेशर से बच गयी, लेकिन ये सच है कि इसकी वजह से कई युवा ना चाहते हुए भी ऐसे काम करने लगते  है जिसे वो जानते है कि वो गलत है लेकिन अपने दोस्तों के सामने टशन मारने के लिए और उनके सामने खुद को कमतर ना आंके  जाने लिए वो इसे ज़रूरी भी समझते है ! ये इसी का नतीजा है कि छोटी सी उम्र में ही कश लगाने से लेकर ड्रग्स जैसी नशीली चीजों के प्रोयोग से वे खुद को मोर्डन और बेहतर साबित करना चाहते है इसके अलावा आज अक्सर एक चीज़ जो हर छोटे चौक चोराहो  से लेकर मॉल्स, शोपिंग काम्प्लेक्स जैसे बड़ी जगहों पर नज़र आती है और वो ये है, हाथो में हाथ डाले घूमते हुए प्रेमी युगल ! अब वो कितने सच्चे और कितने झूठे होते है ये तो वही जाने लेकिन इस सबसे एक बात ज़रूर साबित हो जाती  है की गर्ल फ्रेंड और बॉय फ्रेंड रखना अब एक फैशन  बन गया है ठीक उस तरह जैसे कि कभी महंगे मोबाईल और गेजेट रखना फैशन के साथ-साथ स्टेटस सिम्बल हुआ करता था  और अब ये फैशन इस कदर परवान चड़ने लगा है कि युवा वर्ग अपनी इन ज़रुरतो को पूरा करने के लिए अपराधिक दुनिया में कदम रखने से भी नहीं हिचकता बल्कि अब वो अपनी इंटेलिजेंस, अपने जोश और जूनून का भरपूर फायदा अपराध जगत में शमिल होकर उठाने लगा है ! अभी पिछले दिनों एक फिल्म आई थी "बदमाश कम्पनी" जिसमे कुछ युवाओ को अपने अनोखे लेकिन "गैरकानूनी" आइडियास के चलते शोर्टकट के सहारे लखपति बनते दिखाया गया था ! वास्तव में यही है आज का कडवा सच ! जिसे आज हर कोई सुधारना चाहता है !
हम युवाओ को सुधारने कि ज़िम्मेदारी हमारे अपनों की ही है लेकिन जिस तरह गहनों की चोरी के मामले में पकड़ी गयी लकड़ी को उसके घरवाले ने इज्ज़त का हवाला देते हुए उसे अपने घर से बरसो पहले निकाल दिया था अगर इसी तरह आज हर माता-पिता करने लगे तो शायद ही कोई सुधरे इसलिए अगर आज वास्तव में पथ भ्रमित हो चुके युवाओ को कोई सुधारना चाहता है या सुधार सकता है तो वो उनके टीचर्स और उनके माता-पिता ही है खासतौर पर टीचर्स की ज़िम्मेदारी थोड़ी ज्यादा होती है क्योंकि घर के बाहर एक वही होते है जो हमें समझ सकते है और समझा सकते है !