पिछले कई दिनों से मेरे घर मे छोटी छोटी चुहिया आ गयी है पहले पहल जब ये आयी थी तब इनकी संख्या एक या दो थी माने अल्पसंख्यक ही थी तो मुझे कोई परेशानी भी नही थी इधर उधर घूमती रहती, यहाँ वहाँ से कुछ भी खा लिया और सारे घर मे खेलती रहती ! मेरा छोटा बेटा इनको देख कर तब बड़ा खुश होता था उसके लिए तो ये चलता फिरता खिलौना थी ! उस वक़्त मैंने भी इनके निवारण के लिए कुछ नहीं किया क्योंकि इनसे कोई परेशानी थी ही नही और वैसे ये भी एक जीव ही है तो क्या हुआ अगर ये मेरे घर मे आ कर रह रही है सभी को जीने का अधिकार है तो मैं क्यों इनसे इनका ये अधिकार छिनू !
दिन बीते हफ़्ते बीते और फिर एक दिन मैंने गौर किया कि अचानक इनकी संख्या बढ़ गयी है अब ये 2-4 की संख्या में नहीं थी पहले वाली चुहिया शायद मेरी शराफत का फायदा उठा कर बाहर से औरो को भी ले आयी थी और अब ये अल्पसंख्यक नहीं थी अब ये धीरे-धीरे बहुसंख्यक में बदल रही थी ! अब इनकी इस बढ़ती संख्या ने धीरे-धीरे मेरे घर की चीज़ों को नुकसान पहुँचना शुरू कर दिया ! इन्होंने सबसे पहले मेरे रसोई में रखी खाने की चीज़ों पर हमला किया आये दिन कभी सब्जियां बर्बाद की तो कभी बच्चों के खाने के लिए रखे बिस्कुट,ब्रेड और नमकीन ! अब मेरा छोटा बेटा भी जो इन्हें पहले देख कर खुश होता था बल्कि इनके आगे पीछे भागता था अब वो भी इनसे डरने लगा और इनके सामने आते ही रोने लगता ! अब जब इनका आतंक बढ़ने लगा तो मुझे भी इनका निवारण करना ज़रूरी लगा तो मैंने घर मे चूहेदानी लगा दी जिसके कांटे में मैंने पनीर का टुकड़ा फँसाया लेकिन ये बड़ी समझदार निकली ये बिना किसी आहट के आती और पनीर लेकर भाग जाती ! मतलब पनीर भी जाता और उसको खाकर ये तंदुरुस्त भी होती और दिन प्रतिदिन इनकी सँख्या बढ़ती गई वो अलग ! और इसके मेरे घर में की जाने वाली इनकी मनमर्जी के तो कहने ही क्या !!
कई दिन तक यूँही चलता रहा,घर मे भी इनकी तेज गंध फैलने लगी साथ ही साथ इनसे होने वाली बीमारियों का डर भी सताने लगा, लेकिन जब देखा कि बहुत कोशिशों के बाद भी ना ही ये पकड़ में आ रही और ना ही इनके बढ़ते आतंक में कोई कमी आ रही तो तब मैंने इनको पकड़ने के लिए स्टिकी कार्ड का इस्तेमाल करना ठीक समझा, वो कार्ड जिस पर आते ही चुहिया वही उस कार्ड पर चिपक जाती है और मरने तक तड़पती रहती है हालांकि ये उपाय बड़ा ही क्रूर और बर्बर था क्योंकि इसमें इनकी मौत तड़प-तड़प कर होनी थी, लेकिन जब इन चुहियों के आतंक से मेरे घर के सामान पर और मेरे बच्चों पर इनका प्रतिकूल असर पड़ने लगा तो मुझे यही सही लगा और मैंने रात को कार्ड लगा दिया सुबह उठ कर देखा तो उस पर एक चुहिया चिपकी हुई थी जो शायद तड़प तड़प कर मर चुकी थी जिसका मुझे बड़ा दुःख भी हुआ और खुद पर गुस्सा भी आया कि उसे ऐसे क्यों मारा लेकिन फिर सोचा अगर ये शांति से रह लेती तो शायद इसके साथ ये ना होता लेकिन नहीं ये तो मेरे घर रहकर मुझे ही सताने लगी थी बस यही वजह थी जो मुझे ये कड़ा कदम उठाना पड़ा ! खैर मैंने वो कार्ड उठा कर फेंक दिया और अपने काम मे लग गयी !
इस एक घटना के बाद मैंने नोटिस किया कि सारी चुहियाँ अचानक से गायब हो गई, जैसे सभी ने एकसाथ ही मेरे घर से पलायन कर दिया हो, मै ये देख कर बड़ी ख़ुश हुई मुझे लगा वाह चलो एक चुहिया की मौत बाकियों को काफ़ी कुछ सीखा गयी, लेकिन मेरी ये खुशफहमी ज्यादा देर ना रही !
दिन बीते हफ़्ते बीते और फिर एक दिन मैंने गौर किया कि अचानक इनकी संख्या बढ़ गयी है अब ये 2-4 की संख्या में नहीं थी पहले वाली चुहिया शायद मेरी शराफत का फायदा उठा कर बाहर से औरो को भी ले आयी थी और अब ये अल्पसंख्यक नहीं थी अब ये धीरे-धीरे बहुसंख्यक में बदल रही थी ! अब इनकी इस बढ़ती संख्या ने धीरे-धीरे मेरे घर की चीज़ों को नुकसान पहुँचना शुरू कर दिया ! इन्होंने सबसे पहले मेरे रसोई में रखी खाने की चीज़ों पर हमला किया आये दिन कभी सब्जियां बर्बाद की तो कभी बच्चों के खाने के लिए रखे बिस्कुट,ब्रेड और नमकीन ! अब मेरा छोटा बेटा भी जो इन्हें पहले देख कर खुश होता था बल्कि इनके आगे पीछे भागता था अब वो भी इनसे डरने लगा और इनके सामने आते ही रोने लगता ! अब जब इनका आतंक बढ़ने लगा तो मुझे भी इनका निवारण करना ज़रूरी लगा तो मैंने घर मे चूहेदानी लगा दी जिसके कांटे में मैंने पनीर का टुकड़ा फँसाया लेकिन ये बड़ी समझदार निकली ये बिना किसी आहट के आती और पनीर लेकर भाग जाती ! मतलब पनीर भी जाता और उसको खाकर ये तंदुरुस्त भी होती और दिन प्रतिदिन इनकी सँख्या बढ़ती गई वो अलग ! और इसके मेरे घर में की जाने वाली इनकी मनमर्जी के तो कहने ही क्या !!
कई दिन तक यूँही चलता रहा,घर मे भी इनकी तेज गंध फैलने लगी साथ ही साथ इनसे होने वाली बीमारियों का डर भी सताने लगा, लेकिन जब देखा कि बहुत कोशिशों के बाद भी ना ही ये पकड़ में आ रही और ना ही इनके बढ़ते आतंक में कोई कमी आ रही तो तब मैंने इनको पकड़ने के लिए स्टिकी कार्ड का इस्तेमाल करना ठीक समझा, वो कार्ड जिस पर आते ही चुहिया वही उस कार्ड पर चिपक जाती है और मरने तक तड़पती रहती है हालांकि ये उपाय बड़ा ही क्रूर और बर्बर था क्योंकि इसमें इनकी मौत तड़प-तड़प कर होनी थी, लेकिन जब इन चुहियों के आतंक से मेरे घर के सामान पर और मेरे बच्चों पर इनका प्रतिकूल असर पड़ने लगा तो मुझे यही सही लगा और मैंने रात को कार्ड लगा दिया सुबह उठ कर देखा तो उस पर एक चुहिया चिपकी हुई थी जो शायद तड़प तड़प कर मर चुकी थी जिसका मुझे बड़ा दुःख भी हुआ और खुद पर गुस्सा भी आया कि उसे ऐसे क्यों मारा लेकिन फिर सोचा अगर ये शांति से रह लेती तो शायद इसके साथ ये ना होता लेकिन नहीं ये तो मेरे घर रहकर मुझे ही सताने लगी थी बस यही वजह थी जो मुझे ये कड़ा कदम उठाना पड़ा ! खैर मैंने वो कार्ड उठा कर फेंक दिया और अपने काम मे लग गयी !
इस एक घटना के बाद मैंने नोटिस किया कि सारी चुहियाँ अचानक से गायब हो गई, जैसे सभी ने एकसाथ ही मेरे घर से पलायन कर दिया हो, मै ये देख कर बड़ी ख़ुश हुई मुझे लगा वाह चलो एक चुहिया की मौत बाकियों को काफ़ी कुछ सीखा गयी, लेकिन मेरी ये खुशफहमी ज्यादा देर ना रही !
अभी कल ही की बात है जब मैं घर के परदे बदल रही थी तो अचानक ही एक चुहिया पर्दो में लटकी हुयी दिखी जो वहाँ हवा में लटके हुए करतब दिखा रही थी और उसे देख मैं बहुत डर गई और अब मुझे खुद पर गुस्सा आने लगा कि क्यों मैंने ये यकीन कर लिया कि अब ये मेरे घर को नुक्सान नहीं पहुंचाएंगी ??? क्यों ये मान लिया कि एक चुहिया की मौत से मुझे बाकी सबसे निजात मिल गया ??? ये मेरी सच में बहुत बड़ी भूल थी, खैर अब इनसे छुटकारा पाने के लिए मुझे इनका कुछ पक्का इलाज करना होगा वरना ये यूँही गाहे बगाहे नुक्सान पहुंचाती रहेंगी और वैसे भी जब बात मेरे बच्चों के स्वस्थ जीवन की है तो उसके लिए थोड़ा सा क्रूर बनना शायद ग़लत नहीं होगा !
और यही हालात आजकल कुछ धर्म और समुदाय विशेष के भी है जिनका इलाज बहुत जरुरी हो गया है ! खैर अब और क्या कहूँ इस बारे में क्यूँकि यहाँ समझदार भी सभी है और ज्ञानी भी !!
और यही हालात आजकल कुछ धर्म और समुदाय विशेष के भी है जिनका इलाज बहुत जरुरी हो गया है ! खैर अब और क्या कहूँ इस बारे में क्यूँकि यहाँ समझदार भी सभी है और ज्ञानी भी !!
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