जब से इस ब्लॉग जगत में कदम रखा है इस ब्लोगिंग के कीड़े ने ऐसा काटा है की हर तरफ बस ब्लॉग नज़र आते है मतलब की जहां भी कुछ लिखा दिखे उसे पढ़ कर कमेन्ट देने की इक्छा प्रबल होने लगती है ! अब चाहे वो पूरा ब्लॉग हो या फेसबुक और ट्विटर जैसी साईट पर किसी का स्टेटस या फिर किसी की लिखी चार लाइने, लेकिन ये सब तो रही इन्टरनेट की बात लेकिन उसका क्या जो हमारे आस पास चलते फिरते ब्लॉग घूमते है !
अभी पिछले दिनों दिल्ली से बाहर जाना हुआ बाढ़ के डर से नहीं किसी ज़रूरी काम से और बस वही हाइवे पर नज़र आए ये एक के बाद एक चलते फिरते ब्लॉग ! हाइवे से गुजरते हुए रास्ते में कई ट्रक और मिनी ट्रक और टेम्पो आदि देखे जिन पर लिखी लाइने किसी माइक्रो ब्लोगिंग से कम नहीं थी ! वैसे उन सभी को पढ़ कर आज की सबसे प्रचलित माइक्रो ब्लोगिंग साईट ट्विटर की याद आ गयी वास्तव में इन ट्रक वालो ने तो चलता फिरता ट्विटर ही खोल रखा है और ट्विटर इसलिए क्योकि जिस तरह ट्विटर पर अपनी बात कहने के लिए आपके पास 140 शब्दों की सीमा होती है उसी तरह ये भी अपनी बात कुछ शब्दों में ही कह देते है ! अब मैंने इनकी चलती फिरती ब्लोगिंग में जो कुछ भी पढ़ा वो बड़ा ही रुचिपूर्ण और असरकारक लगा ! आप भी पढ़िए
तेरे यार दा ट्रक (तेरे पास कैसे आया)
जट दी मर्सिडीज़ (नीले रंग की)
13 मेरा 7 (?????)
चल मेरी रानी कम पी इराक का पानी (मैंने तो सुना था गाड़िया डीज़ल और पेट्रोल से चलती है)
जट रिस्की आफ्टर विस्की ( हा हा हा )
सत्येन्द्र का सत्तू (पता नहीं कहा मिलेगा)
दिल 20 तेरा 80 20 तेरे ( वाह वाह वाह )
यो तो ऐसे ही चाल्लेगी ( चला चला आगे तेरा मामा तेरा इंतजार कर रहा है )
अनारकली भर के चली (बदबूदार कूड़ा)
यारां दा टशन ( बजाएगा मामा का बैंड )
वजन घटाए सिर्फ 45 दिनों में (जय हो बाबा रामदेव )
सोनू मोनू दी गड्डी (तो सोनू मोनू कहाँ है)
बुरी नज़र वाले तेरा मुहँ कला ( कोई नी जी फेयर एंड लवली है ना )
होर्न प्लीज़ ( सॉरी, होर्न ख़राब है )
फिर मिलेंगे (इस बारे में सोचा जायेगा )
तो ये थी मेरी चलती फिरती ब्लोगिंग अरे नहीं मेरी नहीं उन ट्रक वालो की जिन्हें मैंने पढ़ा लेकिन कमेन्ट यहाँ किया ! वैसे ऐसी चलती फिरती ब्लोगिंग पढ़ कर समय कब कट गया पता ही नहीं चला ! आपने भी ऐसी ही चलते फिरते ब्लॉग देखे होंगे, तो ज़रा आप भी बताईये अपने कमेन्ट के साथ !
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति के प्रति मेरे भावों का समन्वय
कल (30/8/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
बढ़िया पोस्ट. पढ़कर आनंद आ गया ...लिखती रहें ... बधाई.
जवाब देंहटाएंमजेदार !!
जवाब देंहटाएंआनंद आ गया
बहुत ही मजेदार पोस्ट :):)
जवाब देंहटाएंजनाब बशीर बदर का एगो सेर है बहुत मसहूरः
जवाब देंहटाएंउजालेअपनी यादों के, हमारे साथ रहने दो
नजाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए.
लेकिन एक बार ऊ अपने इंटरव्यू में बोले कि जब कहीं मुसायरा में ऊ ई सेर पढे, त मुसायरा खतम होने के बाद एगो आदमी आया अऊर बोला कि ई आपका लिखा हुआ है.. हम आज तक समझते थे कि ई ट्रक पर लिखा जाने वाला कोनो गुमनाम सायर का सेर है.
वैसे ट्रक पर बहुत सा साहित्यिक ब्लॉग भी मिलता है, जैसेः
बीवी राखो टिप टॉप, दो के बाद फुल स्टॉप ( भईया तेरे कितने हैं)
लिखता हूँ खत खून से, स्याही न समझना (एतना पढे लिखे हो!!)
ख़ुदा ग़ारद करे इस ट्रक बनाने वाले को
घर से बेघर कर दिया, इस ट्रक चलाने वाले को.(बाप की सुन लेते तो ट्रक बनाते, चलाते नहीं)
बहुत बड़ा ब्लॉग संसार है,ट्रक के पीछे,और एक संसार भी, जिसका चर्चा बाद में कभी!!
वाह बाबूजी, क्या टीप टाप कमेन्ट किया है !
जवाब देंहटाएंट्रकों पर एक शेर भी होता था:-
जवाब देंहटाएंचांदनी चांद से होती है सितारों से नहीं...
@ जहां भी कुछ लिखा दिखे उसे पढ़ कर कमेन्ट देने की इक्छा प्रबल होने लगती है !
जवाब देंहटाएंसच कहा।
अब तो कोई बात घर दफ़्तर में भी होती है तो मुंह से निकल जाता है कि "इस पर मेरी टिप्पणी है ...!"
चलती फिरती ब्लॉगिंग ही तो होती हैं वे !!
जवाब देंहटाएं"17 के फ़ूल, 56 की माला
जवाब देंहटाएंबुरी नज़र वाले, तू मेरा साला"
एक अलग ही दुनिया है इन चलते फ़िरते ब्लॉग्स्पॉट्स की भी,
लुधियाना में मैंने एक छोटे वाले टैम्पो पर लिखे देखा था कि
"मैं वड्डा होके ट्र्क बनांगा" और इस एक वाक्य ने मेरी जिंदगी बदल दी है।
रोचक संकलन और उस पर टीपें.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसही है..... :-)
जवाब देंहटाएंएक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !
उम्दा चयन।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
ha ha ...bahut majedaar.
जवाब देंहटाएंsundar prastuti,
जवाब देंहटाएंयहाँ भी पधारें :-
अकेला कलम
Satya`s Blog
bahut he sahi topic hai..nice
जवाब देंहटाएंHi Soni,
जवाब देंहटाएंI am truly loving this post of yours. Great imagination of the title- "chale-firte blog "
with best wishes,
Divya
zealzen.blogspot.com
.
अरे सोनी कितनी ट्रक याद दिला दिए। लोग इतनी टिपया दिए भी हैं कि हम क्या कहें। वैसे भी ट्रक और ब्लू लाइन बसां में तो कई छोटे छोटे ब्लॉग मिल जाया करते थे।
जवाब देंहटाएंपर स्मति पटल से सब कुछ साफ हो गया सा लगता है। इसलिए इस बार कोई याद नहीं आ रहा। क्या करें....आपाधापी में छोटी छोटी खुशी खो गई है..सो ये भी...। आज ही ट्कों के ट्रैफिक में फंसा था रात दो बजे. पर याद नहीं आया कोई ट्रक पढ़ना..वैसे बचपन में नजर अटक जाती थी इनपर। उस वक्त गाड़ी में या बस में यात्रा करते वक्त कोई ट्रक आगे निकल जाता तो हमारी नजर उसी पर टिकी रहती। कई बार उसके पीछे लिखा टिव्वट आधा ही पढ़ पाते थे कि ट्रक निकल जाता या हमारी गाड़ी या बस आगे निकल जाती। कई बार कुछ किलोमीटर तक साथ चलने के बाद ही बाकी का आधा पढ़ पाते थे।
बहुत रोचक यादें है ट्र्क के पीछे छपने वाले इस साहित्य पर. एक बार इस पर प्रतिबन्ध लगाने की बात भी कुछ सिरफिरों ने की थी, परंतु तब खुश्वंत सिहं जी ने प्रतिबन्ध के खिलाफ मुहिम चलायी थी, पहले खुश्वंत सिहं अपने साप्तहिक कालम का अंत ट्रक के पीछे छपी किसी लाइन से करके, अपनी यायावरी से वाकिफ कराते थे.
जवाब देंहटाएंमुझे याद आता है कि बहुत पहले पाकिस्तान को इंगित करता एक शेर मैने किसी ट्रक के पीछे पड़ा था तथा बहुत बाद में सनी देवल की किसी फिल्म में फिर सुना था:
दूध मांगोगे, खीर देंगें!
कश्मीर मांगोगे, चीर देंगें!
@ चैतन्य भाई, आपका कमेन्ट पढ़ कर याद आया की "सिंह इस किंग" फिल्म का नाम भी एक ट्रक के पीछे से पढ़ कर ही लिया गया था ! वाकई ये ट्रक वाले अपनी लाइनों से काफ्फी कुछ कह जाते है !
जवाब देंहटाएंकृपया अपने बहुमूल्य सुझावों और टिप्पणियों से हमारा मार्गदर्शन करें:-
जवाब देंहटाएंअकेला या अकेली
aapke blog ko pahli baar pada ....bahut prabhawit hua aapke lakhen se.....!! bas aise hi likhte rahen !!!
जवाब देंहटाएंJAI SHRI RADHE KRISHNA
एक थकेले, धुंआ छोड़ते 80 की आवाज़ में 20 की स्पीड पर चलते मिनी लोडिंग ट्रक पर मैंने ये लाइनें पढ़ी. मुलाहिजा फरमाएं (ट्रक वाले की हिंदी और अंगरेज़ी पर गौर कीजिये जरा)
जवाब देंहटाएंदम है तो क्रास कर ...नहीं तो बरदास कर! :D
Awesome post ! :)
जवाब देंहटाएंtoo gud :))
जवाब देंहटाएंसोनी गर्ग जी
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक लिखा है आपने …
बधाई !
… और भी बहुत कमाल की लाइनें होती हैं …
याद करके वापस आता हूं …
इंतज़ार कीजिएगा …
शुभकामनाओं सहित …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
@ सोनी बहन
जवाब देंहटाएंआज 11 सितम्बर, आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें!
जीवन में सुख-समृद्दि फैले तथा आपका लेखन और आपके भीतर की सम्वेदनायें हमेशा अक्षुण रहें!
-चैतन्य
ये आपके ब्लोग पर यह एक दिन पीछे की (अमेरिका की तिथि) क्यों आ रही है? समय भी शायद गलत आ रहा है!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया चैतन्य भाई .........
जवाब देंहटाएंऔर तारीख और समय की गलती सुधार ली है लेकिन फिर भी आपके पहले कमेन्ट की तारीख 10 सितम्बर ही आ रही है !
��
हटाएंTRP ke liye chanels kuch bhi karega
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