कुछ हफ्ते पहले एक फिल्म आई थी "राजनीति" जिसमे वर्तमान राजनीति को दिखाने की कोशिश की गयी थी और अब पिछले हफ्ते एक फिल्म आई थी "खट्टा मीठा", इस फिल्म में पी डब्ल्यू डी और एम् सी डी जैसे विभागों के काम करने के तरीके को दिखाया गया है इस फिल्म में अक्षय कुमार ने एक बड़ा ही सटीक डायलोग बोला है कि " पैसा दो तो पुलिस मुजरा भी करेगी" तो लीजिये हो गया मुजरा शुरू ! अभी तो कॉमनवेल्थ गेम्स शुरू भी नहीं हुए और सभी विभागों ने अपना-अपना मुजरा शुरू कर दिया ! सभी की कारगुजारिया धीरे-धीरे करके बाहर आने लगी है और ये तो होना ही था भई, ये भारत देश है जहां सौ में से नब्बे बेईमान का नारा लगता है , तो इतना बड़ा करोडो का गेम्स प्रोजेक्ट आखिर शराफत से कैसे संपन हो सकता है घपला तो होना ही था लेकिन उस घपले की पोल गेम्स से ही पहले खुल जाएगी ये अंदाजा कम ही था, लेकिन इसकी भविष्यवाणी हमारे "चैतन्य" भाई मेरी पिछली पोस्ट "अच्छा, महंगा ..................हमारा शहर दिल्ली !" पर कर चुके थे ! हालांकि उनकी ये भविष्यवाणी बारिश से होने वाली समस्याओं को लेकर थी !
खैर, अभी तो मुजरा शुरू ही हुआ है वैसे मुजरा तो लगभग आज हर सरकारी और गैरसरकारी विभाग करता है लेकिन इस मुजरे के पीछे किसका हाथ है ये खुलने में समय लगता है और समय भी इतना की एक पूरी नस्ल जवान हो जाये और यहाँ भी यही होने वाला है ! अभी बहुत से ऐसे लोग है जिन्होंने खा कर डकार भी नहीं मारी है बल्कि उनका खाना पीना अभी चालू ही है या अगर अक्षय के स्टाइल में ही कहूँ तो उनके मुजरे तो अभी चालू है और अब इन मुजरो से सबसे ज्यादा परेशानी उस पक्ष (विपक्ष) को होने वाली है जिसे ये मुजरा करने को नहीं मिला और अब शुरू होगा पक्ष और विपक्ष का कोमन्वेल्थ गेम, जिसका नतीजा तो ऊपरवाला ही जाने या फिर धरती पर बैठा कोई ज्ञानी ! मैं अज्ञानी तो इसका नतीजा नहीं बता सकती !
अब हर कोई, क्या जनता और क्या नेता, वो सब जो इस मौके की तलाश में ही थे कि कब मौका मिले और वो कब चौका मारे तो उनकी तो इस घपले कि खबर सुन कर बाछे ही खिल गयी ! अरे भई, अंधे को क्या चाहिए दो आँखे, सो मिल गयी ! जंतर-मंतर पर प्रदर्शनों की शुरुवात तो हो चुकी है ! अब देखना ये है कि ये खेल उस खेल से कितना लम्बा चलता है ! गेम्स तो कुछ दिन में निबट जायेंगे लेकिन ये "खेल" तो पीढ़िया देखेंगी !
इन "खेलो" की भनक शायद इतनी जल्दी नहीं लगती अगर इंद्र देवता मेहरबान ना होते क्योकि बारिश ने ही घटिया मेटेरियल की पोल खोली है ! कहीं स्टेडियम स्विमिंग पुल में तब्दील हो चुके है तो कहीं की टाइले उखड-उखड कर खिलाडियों को ज़ख़्मी करने लगी है ! कहीं वर्ल्ड क्लास स्टेडियम का दर्ज़ा पाने वाले स्टेडियम की छत टपकने लगी है तो कहीं के हाई क्लास रोड तालाब बनगए है और ये सब तब है जबकि इन प्रोजेक्टों को पूरा करने के लिए कई वर्ल्ड क्लास विदेशी कम्पनियों को टेंडर दिए गए थे ! कल ट्विटर पर जूनियर बच्चन ने एक ट्विट पोस्ट की "कोई तो बारिश बंद करवाओ वर्ना कोमनवेल्थ कमिटी को स्विमिंग पुल बनाने की ज़रूरत नहीं होगी क्योकि उसके लिए सड़के ही काफी होंगी !" दिल्ली की हालत देख कर तो कई लोग सोशल नेटवर्किंग साईट पर अपने स्टेटस में ये कहने लगे है कि "दिल्ली किस मुहँ से बारिश होने की दुआ कर रही है !" अभी कुछ दिन पहले एक मंत्री ने अपने कोमनवेल्थ गेम्स को लेकर ब्यान में ये दुआ मांगी कि " भगवान् गेम्स के दौरान इतनी बारिश हो कि गेम्स बर्बाद हो जाये !" अब अगर सता के गलियारों में बैठे ये नेता गण अपने फायदे के लिए साफ़ तौर पर देश की इज्ज़त की धज्जियाँ उड़ने के ख्वाब देखेंगे तो बेचारी जनता अपना सहयोग क्यों देगी !
इन "खेलो" कि खबर लीक होने से एक सबसे बड़ा फायदा या नुक्सान ये हुआ कि 2019 में होने वाले एशियाड खेलो के लिए भेजी जाने वाली दावेदारी सरकार कि तरफ से नामंजूर होने की गंध आने लगी है ! हालाँकि इन घपलो पर "शीला" सरकार और कोमनवेल्थ गेम्स के चेयरमेन "सुरेश कलमाड़ी" ये चीख-चीख कर कह रहे है की कोई घपला नहीं हुआ और उनके पास सारा हिसाब मौजूद है लेकिन क्या आप इस पर विश्वास करेंगे ??? अभी तो सिर्फ धुआं उठना शुरू हुआ है लेकिन आग तलाशनी बाकि है ! क्या लगता है उस आग तक पहुचने में कितना समय लगेगा ??? या फिर उस आग तक पहुंचा ही नहीं जा सकेगा ! चलिए एक और प्रश्न का जवाब तलाशते है !
खैर, अभी तो मुजरा शुरू ही हुआ है वैसे मुजरा तो लगभग आज हर सरकारी और गैरसरकारी विभाग करता है लेकिन इस मुजरे के पीछे किसका हाथ है ये खुलने में समय लगता है और समय भी इतना की एक पूरी नस्ल जवान हो जाये और यहाँ भी यही होने वाला है ! अभी बहुत से ऐसे लोग है जिन्होंने खा कर डकार भी नहीं मारी है बल्कि उनका खाना पीना अभी चालू ही है या अगर अक्षय के स्टाइल में ही कहूँ तो उनके मुजरे तो अभी चालू है और अब इन मुजरो से सबसे ज्यादा परेशानी उस पक्ष (विपक्ष) को होने वाली है जिसे ये मुजरा करने को नहीं मिला और अब शुरू होगा पक्ष और विपक्ष का कोमन्वेल्थ गेम, जिसका नतीजा तो ऊपरवाला ही जाने या फिर धरती पर बैठा कोई ज्ञानी ! मैं अज्ञानी तो इसका नतीजा नहीं बता सकती !
अब हर कोई, क्या जनता और क्या नेता, वो सब जो इस मौके की तलाश में ही थे कि कब मौका मिले और वो कब चौका मारे तो उनकी तो इस घपले कि खबर सुन कर बाछे ही खिल गयी ! अरे भई, अंधे को क्या चाहिए दो आँखे, सो मिल गयी ! जंतर-मंतर पर प्रदर्शनों की शुरुवात तो हो चुकी है ! अब देखना ये है कि ये खेल उस खेल से कितना लम्बा चलता है ! गेम्स तो कुछ दिन में निबट जायेंगे लेकिन ये "खेल" तो पीढ़िया देखेंगी !
इन "खेलो" की भनक शायद इतनी जल्दी नहीं लगती अगर इंद्र देवता मेहरबान ना होते क्योकि बारिश ने ही घटिया मेटेरियल की पोल खोली है ! कहीं स्टेडियम स्विमिंग पुल में तब्दील हो चुके है तो कहीं की टाइले उखड-उखड कर खिलाडियों को ज़ख़्मी करने लगी है ! कहीं वर्ल्ड क्लास स्टेडियम का दर्ज़ा पाने वाले स्टेडियम की छत टपकने लगी है तो कहीं के हाई क्लास रोड तालाब बनगए है और ये सब तब है जबकि इन प्रोजेक्टों को पूरा करने के लिए कई वर्ल्ड क्लास विदेशी कम्पनियों को टेंडर दिए गए थे ! कल ट्विटर पर जूनियर बच्चन ने एक ट्विट पोस्ट की "कोई तो बारिश बंद करवाओ वर्ना कोमनवेल्थ कमिटी को स्विमिंग पुल बनाने की ज़रूरत नहीं होगी क्योकि उसके लिए सड़के ही काफी होंगी !" दिल्ली की हालत देख कर तो कई लोग सोशल नेटवर्किंग साईट पर अपने स्टेटस में ये कहने लगे है कि "दिल्ली किस मुहँ से बारिश होने की दुआ कर रही है !" अभी कुछ दिन पहले एक मंत्री ने अपने कोमनवेल्थ गेम्स को लेकर ब्यान में ये दुआ मांगी कि " भगवान् गेम्स के दौरान इतनी बारिश हो कि गेम्स बर्बाद हो जाये !" अब अगर सता के गलियारों में बैठे ये नेता गण अपने फायदे के लिए साफ़ तौर पर देश की इज्ज़त की धज्जियाँ उड़ने के ख्वाब देखेंगे तो बेचारी जनता अपना सहयोग क्यों देगी !
इन "खेलो" कि खबर लीक होने से एक सबसे बड़ा फायदा या नुक्सान ये हुआ कि 2019 में होने वाले एशियाड खेलो के लिए भेजी जाने वाली दावेदारी सरकार कि तरफ से नामंजूर होने की गंध आने लगी है ! हालाँकि इन घपलो पर "शीला" सरकार और कोमनवेल्थ गेम्स के चेयरमेन "सुरेश कलमाड़ी" ये चीख-चीख कर कह रहे है की कोई घपला नहीं हुआ और उनके पास सारा हिसाब मौजूद है लेकिन क्या आप इस पर विश्वास करेंगे ??? अभी तो सिर्फ धुआं उठना शुरू हुआ है लेकिन आग तलाशनी बाकि है ! क्या लगता है उस आग तक पहुचने में कितना समय लगेगा ??? या फिर उस आग तक पहुंचा ही नहीं जा सकेगा ! चलिए एक और प्रश्न का जवाब तलाशते है !
main aapki baato se sahmat nahi hoon......:(
जवाब देंहटाएंjab bhi koi bada kaam hota hai, to unme kuchh aisee gandh swabhavit rup se aane lagti hai..........
hame to abhi bas iss Commonwealth games ke success hone ki chinta karni chahiye........:)
best wishes for commonwealth games.......2010
soni ji,, bahut achhi rachna,,
जवाब देंहटाएंhardik badhai
plz mera blog padhkar protsahan den -- sproutsk.blogspot.com
ये तो होना ही था... इसमें भविष्यवाणी जैसी कोई बात ही नज़र नहीं आती..अरे भाई ये तो हमारे देश के सारे ड्रीम प्रोजेक्ट्स का हाल है...बरसात तो आनी ही थी..सावन का महीना पवन करे शोर.. अब देखो सारे के सारे शोर मचा रहे हैं, विरोधी भी और सत्तारूढ दल भी... सब के सब झेंप मिटाने की कोशिश में लगे हैं... क्रिकेट बोर्ड से भीख मांगी थी नहीं मिली (एक है थैले के चट्टे बट्टे हैं, पता है भीख मांगकर सिगरेट पी जाएंगे)... सारा खेल वेल्थ का है और कॉमन है दोनों पार्टियों के लिए... जब जिसके हाथ गेंद आ जाए!!!
जवाब देंहटाएंसोनी जी आपसे बिलकुल सहमत हूँ
जवाब देंहटाएंसोनी बिटिया!
जवाब देंहटाएंकऊन कहता है कि टाइल टूट कर गिर रहा है..ध्यान से देखो देस का चीर हरण हो रहा है अऊर तन ढकने का बस्त्र तार तार होकर गिर रहा है...बरसात के पानी से स्विमिंग पूल नहीं बना है, ई त आँसू भरा है हमरा देस के आँख में… जब चारो ओर धृतराष्ट्र, दुर्योधन अऊर दुःसासन खड़ा हो त कॉमनवेल्थ का कोठा पर तब देस तो कहबे करेगा कि इन्हीं लोगों ने ले लीना दुपट्टा मेरा!!
@सोनी जी
जवाब देंहटाएं" ब्लॉग संसद " का follower बनने के लिए धन्यवाद , " ब्लॉग संसद " की एक पोस्ट पर आपकी टिपण्णी पढ़ी थी जिसमें आपने " नेगेटिव वोटिंग " के बारे में हम सबको detail में जानकारी दी थी ,सच में मुझे खुद नहीं पता था की ऐसा भी कोई सिस्टम है हमारे संविधान में , मुझे लगता है की हम सबके साझा ब्लॉग " ब्लॉग संसद " को आपके जैसे लोगों की बहुत आवश्यकता है ,इसलिए मैं आपको " ब्लॉग संसद " का सिर्फ follower ना बनकर member बनने के लिए भी सादर आमंत्रित करता हूँ
member बनने से आप अपने खुद के ऐसे प्रस्ताव "ब्लॉग संसद " पर पेश कर सकेंगी जो की हमारे देश की प्रगति में सहायक हों और जिन पर की एक सार्थक बहस और फिर सदस्यों द्वारा मतदान किया जा सके
" ब्लॉग संसद " का निर्माता और संचालक होने के नाते मेरी ये ही कोशिश रहती है की ज्यादा से ज्यादा अच्छे लोगों को इस ब्लॉग से जोड़ सकूँ ,इसलिए आपसे भी निवेदन है की आप भी इससे जुड़ें
धन्यवाद
महक
@ Mahak जी
जवाब देंहटाएंआपकी प्रतिक्रिया के लिए आभार और मुझे आपके "ब्लॉग संसद" से जुड़ कर ख़ुशी होगी बताईये इसमें मैं आपकी क्या सेवा कर सकती हूँ !
@सोनी जी
जवाब देंहटाएंअपनी सहमति प्रदान करने के लिए आपका बहुत-२ शुक्रिया, member बनने के लिए आपको बस अपनी e-mail id मुझे बतानी है जिसे की मैं ब्लॉग की settings में जाकर डाल दूंगा
अगर आप अपनी e-mail id यहाँ ब्लॉग पर ना बताना चाहें तो मुझे mail भी कर सकती है ,
मेरी e-mail id है - mahakbhawani@gmail.com
उसके बाद आपकी e-mail id पर एक invitation आएगा , उस पर क्लिक करने पर वो आपसे आपकी e-mail id और उसका पासवर्ड मांगेगा ,उसे भरने के बाद आप भी "ब्लॉग संसद " की member बन जायेंगी और अपना नाम members की लिस्ट में देख सकती हैं और देश में सुधार के लिए अपने प्रस्ताव पोस्ट के रूप में प्रस्तुत कर सकती हैं
लेकिन ज़रा भी फ़िक्र ना करें ,ये पासवर्ड मेरे या किसी और के पास नहीं आना ,ये सीधा blogspot वेबसाइट के पास जाएगा ,ये मेरा बनाया हुआ नियम नहीं है ,ये इस वेबसाइट का नियम है ,
मैं आपको ये इसलिए बता रहा हूँ की हमारे एक ब्लॉगर हैं महेश सिन्हा जी ,उन्होंने भी आपकी ही तरह " ब्लॉग संसद " को follow किया था ,उनके ब्लोग्स पढ़ने के बाद वो भी मुझे आप ही की तरह एक भले और नेक दिल इंसान लगे और आपकी ही तरह मैंने उन्हें भी member बनने का निमंत्रण दिया ,उन्होंने खुशी से इसे स्वीकार भी किया लेकिन जब वो invitation उनकी e-mail id पर आया और उस पर क्लिक करने पर जब उसने उनसे उनकी e-mail id और उसका पासवर्ड पुछा तो उन्हें थोड़ा संदेह हुआ की कहीं ये id hack करने की कोशिश तो नहीं है ,अब उनका संदेह जायज़ भी था ,उन्होंने मुझसे इस बारे में बात की ,मैंने उन्हें समझाया की इसमें आप हम कुछ नहीं कर सकते ये इस ब्लॉग जगत की वेबसाइट blogspot का ही नियम है और अगर आपको यकीन ना हो तो किसी ऐसे ब्लॉगर से इस बारे में पूछे जो किसी common blog का member हो क्योंकि किसी भी साझा ब्लॉग का member बनने के लिए हर ब्लॉगर को इस प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है
तब जाकर के उन्हें यकीन हुआ और वो भी हमारे इस साझा ब्लॉग के follower के साथ-२ member भी बने
ये सब मैं आपको इसलिए बता रहा हूँ की कहीं उन्ही की तरह आपको भी संदेह हो तो आप भी उक्त बातों को आजमा सकती हैं
आप जैसी इंसान को " ब्लॉग संसद " का member पाकर मुझे बेहद खुशी होगी
धन्यवाद
महक
भ्रष्टाचार ने हमारे देश की नीव को खोखला कर के रख दिया है. इसके लिए केवल नेता और अफसर नहीं बल्कि अनपढ़ जनता भी बराबर की हिस्सेदार है. भ्रष्टाचार की ये बीमारी आज हमारे समाज में कैंसर की तरह फ़ैल गई है जिस से निकलने का मुझे तो कोई उपाय नजर नहीं आता.
जवाब देंहटाएंकामनवेल्थ का मतलब ही है,कि मिल जुल कर वेल्थ बढाईए।
जवाब देंहटाएंखूब भ्रष्टाचार किजिए,पोल तो खेलों के बाद खुलेगी कि किसने कितने डकारे।
इसे भी पढिए फ़ूंकनी चिमटा बिना यार-मुहब्बत है बेकार
बहुत बढ़िया प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंsahi kaha hai ....umda prastuti
जवाब देंहटाएंएक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !
bahut hi saarthak lekhan...kuchh logon ne desh ke weath ko common kar liyaa hai....dhuaan to uth hi rahi hai......bahut satik post.
जवाब देंहटाएंकोई अगर ये कहता है कि सारा हिसाब मौजूद है ... उसे जांचेगा कौन ? कहने को तो कुछ भी कहा जा सकता है ... क्यूँ न सरकार अपनी हर गतिबिधि का हिसाब अखबार में छापना शुरू कर दे ...
जवाब देंहटाएंअब घपले करवाने के लिये ही तो इत्ते बडे बडॆ आयोजन किये जाते हैं. लोगों को समझना चाहिये.:)
जवाब देंहटाएंरामराम
अच्छी प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंउम्दा पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई हो !!!
soni ..gud one...magar is prashan se kain aur sawaal khade hone wale hai..saawdhaan :)
जवाब देंहटाएंnice post.
जवाब देंहटाएंCommonwealth games nahi circus shuru hone wali hai, desh jokro ke hath me jo hai. " khaya piya kuch nahi, glass toda 80000 cror ka" sab aam aadmi ke koon pasine ki kamai.
जवाब देंहटाएंSarkaar ko kisi bhi tarah ka tax dene se mana kar do.
Pahle nahi chahta tha par ab chahta hun ki ye games na ho aur inn choro ki poore vishv me fajihat ho.
Soni aapka likha achcha laga par teekha nahi,
ye jo lal mirchiyan taang rakhi hai ise kut kut kar blog me daalo. ummid karta hun ki agli baar mujhe paani ka glass le kar baithna padega.
Aplam Chaplam
ye bhi hona tha....woh bhi hona tha....aur jo nahi hua hai woh bhi hona hi hai :)
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट का तीखा व्यंग्य कई लोगों को बुरा लग सकता है, लेकिन मुझे अच्छा लगा। इतनी साफगोई तो होनी ही चाहिए.
जवाब देंहटाएंआपको बधाई
यूं ही धमाका करते रहिए...
मैं आपके साथ हूं
प्रशंसनीय ।
जवाब देंहटाएंसोनी जी आपकी बात सच है पर अपने देश क हाल ही ऐसा है ॥
जवाब देंहटाएंअपने देश कि पोल मत खोलिये जैसा भी है हमर प्यार भारत देश है ॥
हर देश मे थोडी प्रोब्लम है पर जैसा है हमारा है |
JAI HIND
चाहे हो देश में भुखमरी और भ्रष्टाचार ,देश में हो चाहे परेशानियाँ अपार ,
जवाब देंहटाएंहर रोज गायेंगे देश के नाम ,हर खेल देखेंगे देश के नाम ,
डट कर करेंगे हर कसाब का सामना ,दिखा देंगे ये है देश ऐ हिंदुस्तान ,
हर दुःख सुख सँग मिल सहूँगा, हर देश वासी को मै अपना कहूँगा |
मै एक भारतीय और अंततः भारतीय ही रहूँगा ||
aapki rachna ko padhkar likha hu
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सोनी जी.....गजब है...आफका ये ब्लॉग मैने तो पहले ही दिन पढ़ लिया था...मेरे दिमाग में एक सवाल था..जिसका जवाब देखने आय़ा था...पर पाया कि मेरी तो कोई टिप्पणी ही नहीं दर्ज है....अब सवाल टिप्पणी और दिमाग से गोल हो गया है तो जवाब का क्या कहूं....खैर मैने जो कहा उसे आपने भी कहा....देखिए आगे आगे क्या होता है.....
जवाब देंहटाएंहां आपकी टिप्पणी पढ़कर जवाब दे दी है..
sateek.......
जवाब देंहटाएंbadhai swikaren....
bahut kuch likha hai,bahut kuch hai padhne ke liye,bas likhte rahiye......
जवाब देंहटाएंshubhkamnayein
accha pryaas hai ..lage raho safalta jaroor milengi.............
जवाब देंहटाएंnaino ki vithiyo me pidao ka taral hai....
जवाब देंहटाएंkagaj ke jisam par ye syahi nahi garal hai...
sikko se lekhni ka kad kaise napiyega...
likhna bahut kathin hai bikna bahut saral hai.
bahut badhiya soch aur lekhan...badhaiya swikaar kare-DHEERENDRA GUPTA"DHEER"
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