सोमवार, सितंबर 13, 2010

परफेक्ट होना बोरिंग है !

अभी कुछ दिन पहले की बात है जब मैं अपनी ही एक फ्रेंड के घर गयी थी, बड़ी परेशान थी बेचारी और इस परेशानी में लगी हुई थी धडाधड अपने नाख़ून चबाने ! मुझे आज तक समझ नहीं आया कि  लोग परेशान होने पर अपने नाख़ून क्यों चबाने लगते है ! छी बहुत गन्दी आदत है ये ! खैर, उसकी इस परेशानी को देख कर मैंने उससे पूछा क्या हुआ क्यों परेशान है ? तब उसने थोडा सोचते हुए कहा की उसे समझ  नहीं आ रहा की "उसका ब्वाय फ्रेंड उसके लिए परफेक्ट है या नहीं"........ ये सुन कर मेरे मुहँ से निकला ....... है ?????? दरअसल वो  और उसका  ब्वाय फ्रेंड पिछले तीन साल से साथ है और अब तो घरवालो  की मंजूरी  भी मिल गयी है लेकिन आज अचानक ये सुन कर पहले मुझे हँसी आ गयी हंसी इसलिए क्योंकि दरअसल वो हमेशा अपने ही बनाये सवालों में अक्सर उलझ जाती है  और  पता था की आज भी ऐसा ही होने वाला  है ! लेकिन आज तीन साल बाद उसे क्या सूझी और वो भी तब जबकि उन दोनों की फैमली उनके रिश्ते पर अपनी मोहर लगा चुकी है ! तब मैंने पूछा की क्यों ऐसा क्या हो गया आज, कि तीन साल बाद  आज तू ये सब सोच रही  और तब जो उसने बताया वो तो और भी मजेदार था दरअसल उसने कुछ दिन पहले आमिर खान का किसी चैनल  पर interview देखा था अब आमिर खान तो वैसे भी मिस्टर परफेक्शनिस्ट कहलाते है (लेकिन अपने काम की वजह से) लेकिन मेरी फ्रेंड को ये सनक सवार हो गई कि उसका ब्वाय फ्रेंड भी मिस्टर परफेक्ट होना चाहिए आमिर खान की तरह और बाकि सभी लोग भी उसके ब्वायफ्रेंड को जो कि अब उसका होने वाला हसबेंड है इसी नाम से बुलाये "मिस्टर परफेक्शनिस्ट !
अब ये सब सुन कर मेरे मुंह से एक ही शब्द निकला "हे भगवान्" ! फिर मैंने पूछा की तुझे कैसा मिस्टर परफेक्ट चाहिए उसने बताया, जो सारे काम टाइम से करे टाइम पर घर आए टाइम पर ऑफिस जाए टाइम पर उठे टाइम पर सोये टाइम पर खाए सब कुछ एक दम टाइम पर करे  ...ओह तो तुझे टाइमटेबल चाहिए मेरा इतना कहना था कि ये सुन कर उसने मुझे कुछ ऐसे देखा की मुझे पता चल गया की अगर मैंने कुछ और बोला तो मेरा जिंदगी का टाइम टेबल बिगड़ जायेगा खैर, ये सुन कर अपने गुस्से पर काबू करती हुई वो बोली नहीं तुझे कुछ नहीं पता परफेक्ट ऐसे ही  होते है और मिस्टर परफेक्ट ही सब कुछ होता है , तब मैंने कहा कि  लेकिन मैंने तो सुना है की कोई भी परफेक्ट  नहीं होता और ये सही भी है...... ये सुन कर वो बोली प्रवचन  मत दे मुझे भी पता है कोई परफेक्ट नहीं होता लेकिन होना तो चाहिए ना !!!! हाँ तो तू होना तो चाहिए के चक्कर में जो है उसकी दुश्मन क्यों बन रही है !
खैर, ये बहस थोड़ी आगे जाकर ख़त्म हो गयी क्योंकि सभी को पता था की उसकी उलझन दिन बीतने के साथ दूर हो जाएगी हर बार की तरह ! लेकिन इस पूरी बहस से एक बात दिमाग में कोंधने लगी और वो ये की क्या "परफेक्ट होना ही सब कुछ है ???" और एक परफेक्ट इंसान कैसा होगा अब इस पर मेरा विश्लेषण शुरू हुआ जो कुछ -कुछ मेरी फ्रेंड के कहे अनुसार ही था शायद एक परफेक्ट ऐसा होगा जो रोज़ सुबह ठीक 5  बजे उठे उसके बाद फ्रेश होकर एक घंटे योगा करे फिर उस दिन का अखबार पढे ठीक टाइम पर नाश्ता करे ठीक टाइम पर ऑफिस जाए ठीक टाइम पर घर आए सही समय  पर लंच करे डिनर करे अच्छा सोचे कभी गुस्सा ना करे सभी से अच्छी तरह से बर्ताव करे कभी किसी से कोई झगडा नहीं करे कोई बुरी आदत नहीं हो सभी काम समय पर पूरे करे हमेशा अच्छा ही सोचे ! ईईईईई........ ऐसा इंसान भगवान् ने मेनुफेक्चर किया होगा ???? और अगर किया भी है तो क्या वो आज की लाइफ में सभी को अच्छा लगेगा ?????
माना कि आज सभी को   परफेक्शन  चाहिए लेकिन अगर हर कोई परफेक्ट हो जायेगा तो लाइफ तो बोरिंग हो जाएगी ! मतलब, अगर हर कोई सारे काम टाइम पर करने लगे कोई गलती ना करे किसी को शिकायत का मौका ना दे तो जिंदगी आधी से ज्यादा परेशानिये तो दूर हो जाएँगी लेकिन उसके साथ ही साथ जिंदगी नीरस भी हो जाएगी ! क्या मैं गलत कह रही हूँ ??? एक उधारण लेते है अगर एक घर में सभी लोग परफेक्ट हो जाये और  सभी लोग एक जैसे सोचने लगे एक जैसी बाते करे एक जैसे ही समय पर काम करने लगे तो ??? तब घर में सबसे पहले तो बच्चो को अपने बड़ो से डांट पढनी बंद हो जाएगी और दूसरा घर के किसी भी सदस्य में कोई बहस नहीं होगी टीवी रिमोट के लिए झगडा नहीं होगा क्योंकि तब तो एक ही चैनल चलेगा आखिर सब एक जैसा जो सोचने लगेंगे और जब एक जैसा सोचेंगे तो एक जैसा देखेंगे भी ! अब अगर यही उधारण हम थोड़े बड़े स्तर पर ले मतलब कि अगर आज देश का हर सरकारी कर्मचारी अपने काम में परफेक्ट हो जाये और अपने सारे काम टाइम पर करने लगे तो बेचारे विपक्ष का क्या होगा ?? तब विपक्ष की दुकान कैसे चलेगी बल्कि तब तो विपक्ष की भूमिका ही ख़त्म हो जाएगी ! अरे विपक्ष छोड़ो तब तो शायद देश में सरकार की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि तब जनता नेता सभी एक जैसा सोचने लगेंगे और तब ना तो कोई झगडा होगा और ना ही कोई बहस सब कुछ एक ही धारा में चलता जायेगा बिना कुछ सोचे ! उफ्फ्फ .....ये परफेक्ट ढूंढने के चक्कर में विश्लेषण ने अजीब ही दिशा पकड़ ली लेकिन बात सही है की अगर हर इंसान एक जैसा सोचने लगेगा और बिना कोई गलती किए हर इंसान अपने सभी काम समय पर करने लगेगा तो लाइफ शायद बोरिंग हो जाएगी !
अपने इस पूरे विश्लेषण के बाद एक बात समझ में आई अव्वल तो कोई परफेक्ट होता नहीं और अगर कोई इस कदर परफेक्ट होगा तो वो बोरिंग होगा या फिर टाइमटेबल होगा ! तो Don't be paerfect but be Good .....