सोमवार, मई 31, 2010

क्यों ना देखू पायरेट फिल्म ?????

कल ही कि बात है, सोचा कि दीदी घर आई हुई है चलो  कोई फिल्म देख कर आते है, जब ये बात दीदी को बोली तो उन्होंने कहा कि "कोई ऐसी फिल्म रिलीज़ हुई है जिस पर छ-सात सौ रुपए खर्च किए जा सके ???" सच कहू तो उस वक़्त मैं चुप हो गई ! वैसे भी इस मामले में अक्सर दीदी से डांट पड़ जाती है ! वैसे भी अब तक जितनी भी फिल्मे किसी मल्टीप्लेक्स  पर जा कर देखी है उन सभी में से कुछ को छोड़ कर बाकी सभी उतने पैसे खर्च करने लायक थी नहीं ! दिल्ली में अब वैसे भी सिंगल स्क्रीन थियेटर बंद होते जा रहे है और जो अब भी बाकी है उन पर अच्छी फिल्मे रिलीज़ नहीं होती ! तो बचते है मल्टीप्लेक्स ! वैसे बचते है क्या बल्कि आज यही एक ऑप्शन है ! अब अगर दो लोग भी इन मल्टीप्लेक्स पर फिल्म देखने जाये तो उनका खर्चा कितना होगा ! अगर फस्ट शो देखने जा रहे है तो
टिकेट = 150 /- रूपये (एक के लिए)
पोपकोर्न = 75 /- रूपये (एक छोटा टब)
कोल्ड ड्रिंक = 50 /- रूपये एक गिलास ( कही-कही मूल्य ज्यादा भी होता है )
और अगर पानी की प्यास लगी तो आपको पानी भी यही से खरीदना पड़ेगा क्योकि पानी की बोतल ले जाना मना होता है !
आने-जाने का खर्चा अलग ( अब तो पेट्रोल भी महंगा हो गया है )
अगर इस खर्च को जोड़ा जाये तो 150 +75 +50 = 275 /- रूपये ये एक का खर्चा होगा
और दोनों का खर्चा होगा 275 +275 = 550 /- रुपए
अब अगर ये 550 /- रुपए किसी अच्छी फिल्म पर खर्च किए जाये तो हम खुश हो कर यही कहते है कि पैसे वसूल हो गए लेकिन अगर इतने ही पैसे कुछ ऐसी फिल्मो पर खर्च किए जाये जो देखने लायक ही ना हो तो ??? तो मैं तो यही कहती हूँ "मेहनत कि कमाई पानी में बह गई !"
जब भी कोई फिल्म रिलीज़ होती है तो उस फिल्म के निर्माता-निर्देशक सभी से यही कहते है कि हमारी फिल्म सबसे अलग है और आप सभी लोग इन्हें थियेटर में जा कर देखे ! वाकई कई फिल्म इतनी अलग होती है कि वो या तो किसी  दूसरे गृह के प्राणियों को दिखाने के लिए बनाई  गई हो या फिर किसी को थर्ड डिग्री देने के लिए ! ऐसी फिल्मो पर पैसे खर्च करने से तो यही अच्छा है कि मैं पायरेट फिल्म देखू या इन्हें सीधे इंटरनेट से ही  डाऊनलोड कर लूँ  ! हालाँकि ये दोनों ही तरीके गैरकानूनी है ! लेकिन इस तरह इन बे सिर पैर कि फिल्मो पर खर्च की जाने वाली हमारी मेहनत की कमाई तो बच ही सकेगी, क्योकि वैसे भी हमारे बोलीवुड के ज़्यादातर निर्माता-निर्देशकों की फिल्मे या तो होलीवुड से प्रेरित होती है या फिर किसी भुतिया कहानी से ! वैसे इस तरह की फिल्मो को देखने के लिए या तो पैसे वापसी की गारंटी मिलनी चाहिए  या फिर टिकेट के पैसे शो ख़त्म होने के बाद लिए जाए ! लेकिन ऐसा हो नहीं सकता ! इसलिए जब तक अच्छी फिल्मे नहीं बनेंगी तब तक ये पायरेटेड फिल्मो का गोरखधंधा  यूही चलता रहेगा ! फिर चाहे ये निर्माता-निर्देशक कितना भी चिल्लाये, क्योकि ना तो ये टिकेट के पैसे ही  कम करते है ना ही अन्य खर्चे कम करते है ! लेकिन काम के साथ सभी को मनोरंजन भी चाहिए, लेकिन ऐसे महंगे होते मनोरंजन पर कैसे खर्च किया जाये ???

मंगलवार, मई 25, 2010

क्यों जीए 150 -200 साल ????

अभी  कुछ दिन पहले किसी न्यूज़ चैनल पर  बाबा रामदेव ने ये घोषणा की है, कि वो आयुर्वेद और योग के सहारे 150 से 200 वर्ष तक जिन्दा रह सकते है, और अगर जलवायु और वातावरण  स्वच्छ हो तब तो वो 400 वर्ष तक जिन्दा रह सकते है !
अब ये घोषणा बाबा रामदेव ने की है तो कुछ तो सच होगी ही (अब यूही तो उन्हें "योग गुरु बाबा रामदेव" कहा नहीं जाता) या हो सकता है सच ना भी हो, हाँ, लेकिन आयुर्वेद और योग के सहारे 100 वर्षो तक तो जीया जा  सकता है ! इतना भरोसा तो मुझे भी आयुर्वेद और योग पर है ही ! लेकिन क्या  वास्तव में ऐसा हो सकता है ???
अगर इसे दूसरे तरीके से समझा जाए तो मेरे विचार से तो, ऐसा नहीं हो सकता ! कोई भी अपनी म्रत्यु पर विजय नहीं पा सकता ! इंसान योग और आयुर्वेद की ताकत से अपने शारीर को अंदरूनी बीमारियों से तो बचा सकता है लेकिन बाहरी बीमारियों का क्या ?? जो आए दिन इंसानों पर अपना असर दिखाती रहती है !
बाबा रामदेव की इस घोषणा के अलावा आपने एक और खबर सुनी होगी, अभी आंध्र प्रदेश और तमिल नाडू  में भयानक तूफ़ान आया "लैला", ये तूफ़ान ना जाने कितनी ही जिंदगिया  लील गया ! इसके अलावा मेंगलोर में अभी एक हवाई हादसा भी हुआ जिसमे 150 से अधिक जिन्दगिया खाक हुई और इनके अलावा और ना जाने कितने ही हादसे रोज़ होते रहते है जिसमे कितनो कि जाने जाती रहती है !
अब अगर इन तीनो खबरों पर गौर किया जाए तो कोई भी बाबा रामदेव द्वारा की गई घोषणा को सिरे से नकार सकता है, और नकारे भी क्यों ना, आखिर इन दोनों हादसों और इन जैसे अनेक हादसों को देख कर तो यही साबित होता है कि कोई भी अपनी जिंदगी की गारंटी नहीं ले सकता !
लेकिन अगर कुछ देर के लिए हम ये मान भी ले की हमारे साथ ऐसा कोई हादसा नहीं होगा और हम अपनी जिंदगी कि गारंटी ले सकते है, (हालांकि ऐसा हो नहीं सकता, यहाँ तो अगले मिनट कि का पता नहीं कि क्या हो जाए ) तो क्या फिर भी हम 150 से 200 वर्ष जीना चाहेंगे ??? अब योग गुरु बाबा रामदेव इतने वर्ष जीए तो बात समझ में आती भी है आखिर उनके इतने चाहने वाले है उनके योग शिक्षा और उनके आयुर्वैदिक ज्ञान से से ना सिर्फ हमारे देश को बल्कि अब तो दुनिया को भी लाभ हो रहा है और इसलिए उन्हें तो 200 तो क्या 400 वर्ष भी जीना चाहिए ! लेकिन एक साधारण व्यक्ति क्या इतने वर्षो तक जीना चाहेगा ??? अब अगर मैं किसी और कि बात ना करके अपनी ही बात करू तो मैं तो शायद इतने वर्ष नहीं जीना चाहूंगी लेकिन ऐसा हो भी सकता है, अगर मेरे साथ-साथ मेरा परिवार, मेरे मित्र, मेरे जीवन से जुदा हर सदस्य  और सबसे ज्यादा तो मेरे लेखो को  पदने वाला हर इंसान भी अगर 150 से 200 वर्ष जीए तो शायद ऐसा हो सकता है !!!!!!

गुरुवार, मई 20, 2010

सोशल नेटवर्किंग साईट, फायदे का सौदा !!!!!

सोशल नेटवर्किंग साईट, एक ऐसा माध्यम जहां अनजाने भी अपने बन जाते है, और जहां जा कर कई बार हमारे अपने ही हमारे अनजाने बन जाते है ! ऐसा इसलिए क्योकि कई बार हम इन सोशल नेटवर्किंग साईट पर इतना वक़्त बिताते है कि हमें हमारे अपने नज़र ही नहीं आते ! ये साईट एक ऐसा जाल है जिसमे एक बार प्रवेश करने के बाद निकलना किसी को भी अच्छा नहीं लगता, और कुछ समय पहले तक तो ये सिर्फ आम लोगो में प्रचलित थी पर अब धीरे-धीरे ये आम लोगो से निकल कर खास लोगो के बीच प्रचलित होने लगी है और  इसके कई उधाहरण रोज़ देखने को मिल रहे है ! अभी कुछ ही दिन पहले कि बात है जब अमिताभ बच्चन जी ने ट्विटर ज्वाइन किया उससे पहले सचिन तेंदुलकर ने ! दोनों ने ही पहले ही दिन अपने कई फोलोअर बना लिए ! लेकिन इन सबसे भी बड़ी बात ये है कि अब आपकी और हमारी दिल्ली ट्रेफिक पुलिस भी ट्विटर और फेसबुक से जुड़ गई है ! जो हर पल कि ट्रेफिक अपडेट आपको देती रहती है, कहाँ जाम लगा है , कहाँ बस पलटी है, कहाँ ट्रेफिक डायवर्ट किया गया है , वगेरह-वगेरह ! हालाँकि उनकी ये सारी कसरत कॉमन वेल्थ गेम के लिए है लेकिन फिर भी लोगो को दिल्ली ट्रेफिक पुलिस से सीधे जुड़ने का ये तरीका बड़ा पसंद आ रहा है ! सभी अपनी परेशानियों का सीधे-सीधे हल दूंद रहे है ! किसी को जानना है की वो अपनी गाड़ी के शिशो पर कितने mm की फिल्म चद्वाए तो किसी को जानना है की वो आज किस रास्ते ना गुजरे सभी के जवाब भी कुछ ही देर में मिल रहे है ! लेकिन बेचारी दिल्ली ट्रेफिक पुलिस उसे ये पता नही की उसने किस ओखली में सर दिया है और शायद यही बताने के लिए  दिल्ली के कुछ समझदार लोग भी है जो ये जानना  चाह रहे ही अगर उन्होंने हेलमेट नहीं पहना तो "मामा जी" कितने में मानेंगे ! हालाँकि इसका कोई जवाब नहीं मिला जबकि जवाब तो इसका भी मिलना चाहिए था ! लगे हाथ मैंने भी पूछ डाला की क्या मैं यहाँ उन "मामो " के नाम ले सकती हूँ जिन्होंने बिना वजह हम लोगो से चदावा  लिया ! लेकिन इसका भी जवाब नहीं मिला बल्कि कुछ देर बाद देखा तो ये दोनों और इन जैसे और कमेन्ट डिलीट किए जा चुके थे ! ऐसी उमीद तो नहीं थी लेकिन हुआ ऐसा ही  !
लेकिन अगर दिल्ली ट्रेफिक पुलिस खुद को मिलने वाले सभी कमेन्ट को गभीरता से तो कॉमन वेल्थ गेम तक पूरी व्यवस्था ही सुधर जाएगी, लेकिन ये " दिल्ली ट्रेफिक पुलिस" है जो हमेशा हमारे साथ रहने के स्लोगन तो लिख सकती है पर उसे निभा नहीं सकती !
खैर ये बात तो रही दिल्ली ट्रैक पुलिस की, लेकिन अगर सोच कर देखा जाए तो इस तरह की शुरुवात अगर सभी सरकारी विभाग कर दे तो हमारी सरकारी व्यवस्था काफी हद तक सुधर सकती है ! लोग सीधे तौर पर अपनी शिकायते सम्बंधित विभाग के पास पंहुचा सकते है ! जिसका सीधा लाभ लोगो तक पहुच सकेगा  और तब शायद ये भ्रष्ट होती सरकार कुछ हद तक सुधर सके ! आज तरह-तरह लोग इन साइट्स  से जुड़ कर सीधे लोगो से संपर्क साध रहे है ! अभी कुछ दिन पहले ही बाबा राम देव के राजनीति में आने की चर्चा के बाद बाबा रामदेव को लेकर कई तरह की बाते की जाने लगी कई तरह के प्रश्न  किए जाने लगे और उन सभी प्रश्नों का जवाब बाबा रामदेव ने प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के साथ-साथ सीधे ही अपने सोशल नेटवर्किंग अकाउंट पर देना शुरू किया ! जिससे लोगो को उन्हें सीधे तौर पर समझने में मदद मिली ! अगर ऐसी ही पहल आज हर राजनितिक पार्टी कर दे तो पार्टी के आलाकमान को  अपने ही कार्य्कर्तऔ के उलजलूल बयानों और उटपटांग हरकतों की वजह से शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा ! और इससे सीधे-सीधे उस पार्टी को यह भी पता चल जायेगा की किस जगह उसकी पार्टी कितनी प्रगति कर रही है ! तब कोई भी पार्टी यह नहीं कह सकेगी की वो  काम तो कर रही लेकिन कुछ लोगो की वजह से उनका किया काम सफल नहीं हो पा रहा !
शशि थरूर के मामले में अभी पिछले दिनों जो भी हुआ वो सभी ने देखा और उस पूरे मामले में ट्विटर ने एक अहम्  भूमिका निभाई ! बेशक ललित मोदी की एक ट्विट ने पूरा हंगामा खड़ा किया लेकिन उस एक ट्विट से काफी बड़ा खुलासा हो गया ! जो शायद नहीं हो पता अगर दोनों ही दिग्गज उस सोशल नेटवर्किंग साईट से ना जुड़े होते ! हालाँकि इस मामले के बाद सभी नेता इस तरह की साईट से तौबा कर चुके हो लेकिन मेरा तो मानना यही है की हमारे सभी राजनेताओ  को इस तरह की सोशल नेटवर्किंग साईट से जुड़ना चाहिए ! ताकि लोग तब सीधे ही उनसे सवाल जवाब कर सके !
अगर ऐसा होता है तो ये आने वाले समय में हमारे देश के लिए बहुत ही अच्छा प्रयोग होगा जिससे ना सिर्फ देश को भ्रष्टाचार से मुक्ति मिल सकेगी बल्कि आम जानता भी सही मायनो में अपने चहेतों को परख भी सकेगी !

गुरुवार, मई 13, 2010

धर्म बड़ा या कर्म फैसला आपका ........

 मुझे धर्म के नाम पर बोलना ज्यादा आता नही क्योकि या तो इसका ज्ञान मुझे नहीं है या फिर जितना है वो बहुत थोडा है और इस आधे अधूरे ज्ञान के सहारे मैं अज्ञानता नहीं फैलाऊंगी ! हाँ, लेकिन आज एक कहानी ज़रूर सुनाउंगी जिससे ये तय हो सके की जिस धर्म के लिए हम अक्सर लड़ते है,या जिस धर्म के नाम पर हमारे नेता अपना वोट बैंक भरने की जुगत में लगे रहते है  वो धर्म ज्यादा बड़ा है या फिर हमारा कर्म ! एक गाँव  में एक परिवार रहता था जिसमे सिर्फ तीन लोग थे एक बूदी  माँ उसका बेटा और उसकी पत्नी ! एक बार की बात है कुम्भ का मेला लगा हुआ था तब माँ ने अपने बेटे से इच्छा जाहिर की कि बेटा मेरी तो उम्र हो गई है सोच  रही हूँ इस दुनिया से विदा लेने से पहले कुम्भ नहा लू ! बेटा, माँ कि इस इच्छा को सुन कर बोला हाँ माँ अगर तेरा मन है तो मैं तुझे ज़रूर कुम्भ ले जाऊंगा इस पर माँ बोली नहीं ठीक है बेटा तू मेरे जाने के तयारी कर दे और बहु से कहा कि बहु मैं कुम्भ जा रही हु रास्ते में खाने के  लिए कुछ बना देना बहु को अपनी सास का कुम्भ जाना अच्छा नहीं लगा क्योकि उसे खर्चे कि चिंता थी उसने अपने पति से पूछा कि क्या बनाऊ सास के लिए तो बेटे ने बोला  लड्डू बना दो माँ को ताकि माँ को खाने कि परेशानी ना हो इस पर बहु और चिद गई उसने गुस्से में आकर अपनी सास के आटे कि भूसी के लड्डू बना दिए और अपनी सास को दे दिए ! अगले दिन बेटा अपनी माँ को लेकर कुम्भ पहुच गया और माँ को एक झोपडी में ठहरा दिया और कुछ दिन बाद ले जाने के लिए कह कर चला गया ! अब वो बूदी माँ रोज़ सुबह उठती और गंगा स्नान करके अपनी झोपडी में आकर पूजा पाठ में लग जाती जैसे ही उसकी पूजा खत्म हुई तो उसे भूख लगी और उसने खाने के लिए लड्डू निकाले जो उसकी बहु ने बना कर दिए थे परन्तु जैसे ही लड्डू खाना चाहा वैसे ही किसी ने दरवाज़े के बाहर से आवाज़ लगाई "टातरिया खाद्काऊ गोपाल लड्डू पाउ" माँ उठ कर देखा तो एक छोटा सा बालक दरवाज़े पर खड़ा था, माँ ने बड़े प्यार से उसे अपना लड्डू दे दिया ! अगले दिन जब वो बूदी माँ फिर से स्नान करके आई और फिर से अपने लड्डू निकले तो तभी वो बालक दौबारा आ गया और फिर से यही कहने लगा "टातरिया खाद्काऊ गोपाल लड्डू पाउ" माँ ने फिर से उसे अपनी थाली का लड्डू दे दिया इसी तरह रोज़ ऐसा होने लगा और इस तरह माँ के अपने साथ लाये हुए सभी लड्डू वो बालक ही खा गया ! अब कुछ दिन बाद उस माँ का बेटा उसे ले जाने के लिए आया तब माँ स्नान करने के लिए गई हुई थी तब उस बेटे ने दिखा कि झोपडी में चारो तरफ स्वर्ण मुद्राए बिखरी हुई है जब उसकी माँ स्नान करके वापस आई तब उसने अपनी माँ से पूछा माँ ये सब किसके है माँ ने कहा बेटा पता नहीं इस झोपडी में मेरे सिवा तो कोई नहीं आता तब बेटे ने वो सभी मुद्राए उठाई और अपनी माँ के साथ उन्हें भी अपने घर  ले गया ! जब उसकी बहु ने ये सब देखा तो उसने अपनी माँ को भी कुम्भ में जा कर स्नान करने के लिए कहा और अपनी माँ के लिए उसने असली घी और मेवे और गुड के लड्डू बनाये और अपने पति से कहा वो उसकी भी माँ को कुम्भ में ले जाए ! तब वो बेटा अपनी सास को लेकर कुम्भ में ले गया और उसे भी एक झोपडी में ठहरा कर कुछ दिन बाद आपने के लिए कह कर चला गया अब उस बहु कि माँ रोज़ सुबह उठती और स्नान करके झोपडी में ही बेठ कर पूजा करने लगती वो पूजा कर करके जैसे ही अपने खाने के लिए लड्डू निकलने लगी तभी दरवाजे पर से एक आवाज़ आई "टातरिया खाद्काऊ गोपाल लड्डू पाउ" तब उस बहु कि माँ ने जवाव दिया 'जा मरे, गुड घी के लड्डू धी के जमाई के तोय दोऊ या आप खाऊ" ऐसा कह कर उसने उस बालक को वहाँ से भगा दिया और इसके बाद अब रोज़ ऐसा होने लगा वो बालक रोज़ आता और रोज़ वो उसे ऐसे ही भगा देती ! अब कुछ दिन बाद उसका जमाई उसे वापस लेने आया तो उसने झोपडी में देखा तो उसे अपनी सास वहाँ ना दिखाई दी तब उसने सोचा कि वो शायद अभी स्नान के लिए गई होगी ये सोच कर उसने रुक कर थोडा इंतज़ार किया लेकिन उसकी सास नहीं आई तब उसने वहाँ आस पास के लोगो से पूछा तो उन्होंने कहा कि इस झोपडी में तो उन्होंने किसी भी औरत को नहीं देखा तब वो उस झोपडी के अन्दर गया तो  उसे वहाँ लड्डू का खाली बर्तन  मिला और वही पर उसे एक चुहिया भागती हुई दिखाई दी, जब उसने उस चुहिया को पकड़ा तो वो चुहिया झट से उसके पास आ गई और तब वो उसी खाली बर्तन और उस चुहिया को ले कर अपनी पत्नी पास गया और ले जा कर उसने वो चुहिया अपनी पत्नी को दे दी और कहा कि यही तुम्हारी माँ है !
पहली औरत ने धर्म भी निभाया  और कर्म भी लेकिन दूसरी औरत ने धर्म तो निभाया पर कर्म नहीं, वो रोज़ गंगा सनान करती रही लेकिन उसका कर्म उसके धर्म के आगे हार गया ! तो इसका क्या मतलब हो सकता है धर्म बड़ा या कर्म ????

बुधवार, मई 12, 2010

सतयुग से चली आ रही है निरुपमा .........

"यत्र नारिय्स्ते पूज्यन्ते तत्र देवता रमयंते"
जहां नारी कि पूजा होती है वहीँ देवताओं का वास होता है ! कई बार सुनी है ये बात ! नारी को पूजना मतलब नारी को भगवान् का स्थान देना और कहा भी गया है कि नारी भगवान् का दूसरा रूप होती है, लेकिन जब भगवान् के इस दूसरे रूप को पुरुष अपनी संपत्ति समझने लगे तब ???
रामायण के उत्तर काण्ड में वाल्मीकि जी द्वारा लिखा गया है कि जब भगवान् श्री राम, सीता जी को लंका विजय के बाद लेकर आये तो उन्होंने सीता जी से कहा कि "मैंने तुम्हे अपने प्रतिष्ठा कि रक्षा के लिए छुड़ाया है और अब तुम दसो दिशाओ में जहां चाहो, जा सकती हो !"
कुछ ऐसा ही संदर्भ एक और कथा में मिलता है, जब ऋषि परशुराम ने अपने पिता, जमदग्नि के कहने पर अपनी माता रेणुका का वध किया और ये वध ऋषि परशुराम द्वारा अपने पिता को अपने आज्ञाकारी होने का प्रमाण देने के लिए किया गया था !
अगर हम हिन्दू पुराण-शास्त्र पदे तो हमे ऐसे कई उधाहरण मिलेंगे जिसमे एक स्त्री को पुरुषो द्वारा अपनी प्रतिष्ठा कि रक्षा के लिए मारा या छोड़ा गया है !
अब क्योकि इतिहास खुद को दोहराता है इसलिए सतयुग से चली आ रही ये परम्परा या प्रथा आज खुद को दोहरा रही है, बल्कि यू कहे कि ये सतयुग से ही चलायमान रही है ! ये कभी समाप्त ही नहीं हुई थी !
पहले सतयुग और अब कलयुग में वर्ष-प्रतिवर्ष इसकी संख्या में इजाफा होता रहा है ! प्रतिष्ठा के लिए की जाने वाली नारी हत्याए ना सिर्फ़ भारत में बल्कि अन्य देशो में भी देखने को मिलती है, इसलिए हम यह नहीं कह सकते की प्रतिष्ठा हत्या या ओनर किलिंग जैसी विचारधारा सिर्फ भारत में ही विकसित हो रही है ! ये वर्ष-प्रतिवर्ष बदती जा रही है ! लेकिन अक्सर ये देखने में आता है की इस तरह की ओनर किलिंग का शिकार ज्यादातर महिलाए ही होती आई है !
इसकी गहराई में उतर कर जितना इसके बारे में जानने की कोशिश की ये खाई उतनी ही गहरी होती चली गई ! कितनी ही निरुपमाये आज अतीत में दफन हो चुकी है !
मई 2008 में हरियाणा के पूर्वी राज्य बल्ला गाँव में इसी तरह एक शादी-शुदा जोड़े की लड़की के परिवारवालों ने इसलिए हत्या कर दी गई क्योकि लड़का नीची जाती का था, उस वक़्त लड़की 22 सप्ताह की गर्भवती थी ! इस दोहरी हत्या के बाद लड़की के पिता और और उसके चचेरे भाइयो का कहना था की हमने जो किया उस पर हमे गर्व है क्योकि ये नेतिकता के लिए ज़रूरी था !
कैसी नेतिकता ???  9 मई को अंतर्राष्ट्रीय मदर डे था, सभी ने माँ को ख़ुशी देने के कुछ ना कुछ किया होगा सभी ने माँ को इस दिन पूजा पर उस माँ का क्या जिसकी  उसके गर्भ समेत  हत्या कर दी गई ! उसके भी अपने बच्चे के लिए कुछ अरमान रहे होंगे, क्या तब माँ की इज्ज़त करना ज़रूरी नहीं समझा गया ! यहाँ एक और तथ्य याद आता है, रामायण में बताया गया है की जब राम जी ने सीता जी को निर्वासित (त्याग) किया तब सीता जी भी गर्भवती थी !लेकन फिर भी उनका निर्वासन किया गया बिना ये सोचे की वो अपने शिशु की रक्षा कैसे करेंगी !
20 जुलाई 2007 को साउथ लन्दन में भी एक ओनर किलिंग हुई जिसमे लड़की जिसका नाम बनाज़ महमूद था, उस वक़्त गर्भवती थी और उसकी हत्या उसके पिता और चाचा द्वारा करवाई गई ! यहाँ भी मामला उंच नीच का था !
कुछ इसी तरह की घटना भागलपुर में हुई जिसमे एक साथ 8 लोगो की हत्या की गई, इसमें भी लड़का नीची जाती का था !
घटनाएं और भी है इनका कोई अंत नहीं है, आज ये ओनर किलिंग ना सिर्फ भारत में बल्कि ग्रेटब्रिटेन,ब्राज़ील,इटली,पकिस्तान,स्वीडन,अमेरिका  जैसे देशो में भी होती आ रही है ! यू एन कमीशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व में 5000 हज़ार ओनर किलिंग हर साल होती है !
 आज भले ही हम इकिस्वी सदी में जी रहे है लेकिन हम फिर भी इस ऊँच-नीच के भेद को नहीं भुला पा रहे है ! यही वजह है की ये ओनर किलिंग की घटनाएं लगातार बदती जा रही है !
आज निरुपमा को इन्साफ दिलाने के लिए केंडल मार्च निकाले जा रहे है हर तरफ उसे इन्साफ दिलाने की मांग की जा रही है और पूरी उम्मीद है की निरुपमा को इन्साफ ज़रूर मिलेगा, लेकिन क्या इसके बाद किसी और निरुपमा की हत्या नहीं होगी ? क्या निरुपमा को मिला इन्साफ लोगो के लिए एक सबक बन सकेगा ? ज्यादा दिन नहीं हुए जब मनोज और बबली हत्याकांड में भी कुछ इसी तरह के इन्साफ की मांग उठी थी और दोनों को इन्साफ भी मिला, लेकिन उसके बाद क्या हुआ ? सभी जानते है गाँव की पंचायत ने दोषियों को बचाने के लिए घर-घर जा कर पैसे इकट्ठे किये !
मैं अक्सर अपने लेख में एक रास्ता, एक उम्मीद तलाश ही लेती हूँ की हाँ, आज नहीं तो कल,  ऐसा होना बंद हो जायेगा लेकिन आज ओनर किलिंग की गहराइयों जब उतर कर देखा तो इससे बाहर आने का कोई रास्ता नज़र नहीं आया बल्कि ऐसा  लग ही नहीं रहा की ये कभी ख़त्म होंगी ! मुझे ऐसा कोई रास्ता नज़र नहीं आया कि जिस पर चल कर इसे हमेशा के लिए ख़त्म करने की कोशिश  की जा सके !  लेकिन क्या आपको कोई रास्ता नज़र आ रहा है ???

मंगलवार, मई 04, 2010

सब हो जायेगा....... अपने पास जुगाड़ है !!!

अक्सर आप सभी ने ये शब्द सुना होगा और सुना क्या होगा खुद इस्तेमाल भी किया होगा हाँ भई आखिर आज के समय में बिना किसी जुगाड़ के कोई काम तो वैसे भी नहीं होता ! अब कल ही बात है  किसी को ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना था तो इसके लिए वो आरटीओ के ऑफिस का रास्ता ढूंढने के बजाये लगा कोई जुगाड़ तलाशने की कही से कोई मिल जाये तो लाइसेंस जल्दी बन जाये सही भी है अब इतनी गर्मी में सरकारी दफ्तरों के चक्कर कौन काटे, और वो भी तब जब इनके काम करने की रफ़्तार सभी जानते हो ! खेर बताने की ज़रूरत नहीं की उसका लाइसेन्स कैसे बना होगा ! आप सभी जानते है आपने भी अपने-अपने लाइसेन्स ऐसे ही किसी दलाल या किसी जुगाड़ की मार्फ़त बनवा लिए होंगे, बिना कोई ड्राइविंग टेस्ट दिए, तभी तो आजकल दिल्ली की सडको पर हर तरह का ड्राइवर उपलब्ध है !
वैसे ऐसे कितने काम है जो हम ऐसे ही जुगाड़ लगा कर कर लेते है या करवा लेते है सोचो-सोचो थोडा तो सोच कर देखो ! सोच लिया तो अब बताओ  की उन सब से किस का फ़ायदा हुआ ? ये लो जी कर दिया मैंने मूर्खो वाला सवाल अरे भई फ़ायदा तो आप ही का हुआ बस एक जुगाड़ से सब कुछ हो गया ! लाइसेन्स बन गया,राशन कार्ड बन गया, और राशन कार्ड बन गया तो वोटर आईडी भी बन गया और एक बार वोटर आईडी बन जाये तो फिर तो पासपोर्ट भी बन गया लो जी मुबारक हो इस तरह आप बन गए एक देश के नागरिक, फिर चाहे आप उस देश के नागरिक हो या नहीं लेकिन एक जुगाड़ ने आपको देश की नागरिकता दिला दी ! अब ये तो वास्तव में मिठाई बाटने वाली बात है अरे भई सीधी से बात है एक छोटी सी जुगाड़ कितने फायदे की साबित हुई ! इस एक जुगाड़ से कोई भी ऐरा गेरा नत्थू गेरा बन जाता है किसी भी देश का नागरिक, अरे नहीं-नहीं किसी भी देश का नहीं सिर्फ भारत का क्योकि ये जुगाड़ तो यही चलता है ना ! कभी सोच कर देखा है सिर्फ एक राशन कार्ड बन जाने से ही कोई भी बाहरी हमारे देश की नागरिकता कितनी आसानी से हासिल कर लेता है ! बहुत ज्यादा नहीं सिर्फ 100 -200 रूपये दे कर कोई भी आसानी से राशन कार्ड बनवा लेता है और यही वो एक सबसे बड़ा प्रूफ होता है जिससे आगे की सारी प्रक्रिया चलती है !
कभी-कभी तो अपनी इस जुगाड़ की आदत पर गर्व भी होता है और सच में फक्र से कह भी देती हूँ की हम भारतीय तो वो इंसान है जो ताले के मार्केट में आने से पहले ही उसकी  चाबी  दूंद  लेते  है, भई आखिर  हम अक्ल के धनी जो है ! इसका एक उधारण है ना बिजली के मीटर जिसकी रफ़्तार एक छोटी सी तार से ही रुक जाती है, उधारण तो और भी है लेकिन बता कर क्या फायदा आप सब समझदार है ! वैसे कितना अच्छा लगता है ये सुन कर जब अमेरिका का राष्ट्रपति भी अपने देश के नागरिको से कह देता है की अगर भारतीयों विद्यार्थियों से आगे निकलना है तो हमे उनके जैसे सोचना पड़ेगा ! बोले तो जुगाड़ी बनना पड़ेगा ! जहां किसी देश में किसी प्रवेश परीक्षा पास करने के लिए विद्यार्थी गढ़ मेहनत करते है वही यहाँ के विद्यार्थी मास्टरों की जेब गर्म करते है और जो नहीं कर पाते वो मुन्ना भाई बन जाते है ! हालाँकि सभी ऐसे नहीं होते, मैंने भी अपनी डिग्रिया  मेहनत से हांसिल की है मुन्ना भाई बन कर नहीं !
अभी कुछ दिन पहले एक फिल्म आई थी जिसका नाम था "रण" और उसको देखने के बाद तो मिडिया पर से भी भरोसा उठने लगा ! वैसे भी अक्सर नेता और अभिनेता ये कह भी देते है कि हमारे बारे में गलत छापा गया तब सुन कर लगता था कि हाँ आज ये पकड़ा गया तो ऐसा कह रहा है ! लेकिन अब धीरे-धीरे चीज़े समझ आने लगी और यही याद आया कि जब "हर शाख पर उल्लू बैठा हो, तो अंजामे गुलिस्ता क्या होगा ?"
फिर सोचा कि क्यों ना इस सबके खिलाफ आवाज़ उठाई जाए तो अचानक एक और दोहा याद आया कि "अकेला चना क्या भांड फोड़े" और साथ ही साथ बाबा रामदेव भी याद आ गए जिनके इस सबके खिलाफ आवाज़ उठाने को लेकर कुछ राजनीतिज्ञों ने उन्हें सनकी तक कह दिया ! फिर अचानक टीवी पर एक विज्ञापन देखा जिसकी टेग लाइन है "आज से खिलाना बंद और पिलाना शुरू" पर ये भी कुछ असर दिखाती नज़र नहीं आ रही तो क्या करे हम भी मूक और बधिर बन कर तमाशा देखे या कुछ करे या फिर सच में इस देश का कुछ नहीं हो सकता ??????