रविवार, जुलाई 04, 2010

जब उड़ी मेरे नाम की धज्जियाँ !!!!!

मुझे नियमित रूप से पढने  वालो को पता होगा की मैंने अपनी एक पोस्ट में एक व्यंग्य लिखा था ! जिसका शीर्षक था, "नेता जी की नरक यात्रा" ! ये हास्य व्यंग्य लिखा तो मैंने था लेकिन इसकी मूल रचनाकार मैं नहीं थी ! ये बात मैं तब बता चुकी थी !
मेरी आदत है की कुछ भी अच्छी लाइन या कोई अच्छा वालपेपर या फिर अपनी ही कोई चुनिन्दा पोस्ट को मैं अपने फेसबुक अकाउंट पर अपडेट कर देती हूँ और यहीं मैंने इस हास्य व्यंग्य के साथ भी किया  और वहाँ भी कमेन्ट आने शुरू हो गए ! तब वहाँ भी मुझे अपनी सफाई देनी पड़ी और यही हाल जागरण जक्शन पर भी हुआ ! खैर अब वो बात ख़त्म हो चुकी थी ! लेकिन जब मैंने अपनी आदत अनुसार एक  वालपेपर अपने फेसबुक अकाउंट पर अपडेट किया तो फिर से वही सब पिछला शुरू हो गया ! लोगो के कमेन्ट आने शुरू हुए ! सभी ने मेरे उस लिखने की शेली की तारीफ की जो मेरे लिए टेढ़ी खीर है ! आप भी इस वालपेपर पर एक नज़र डालिए !




इसे लिखने में किसका दिमाग है मुझे पता नहीं ये तो मैंने गूगल से डाऊनलोड किया था ! वैसे भी ऐसा कुछ लिखने की कला मुझमे नहीं है ! लेकिन वहीँ अपना पुराना राग की अगर कुछ अच्छा लगता है तो उसे पोस्ट कर देती हूँ  और जब इस वालपेपर को अपडेट करने के बाद एक बार फिर से सभी को ये बताना पड़ा की ये मैंने नहीं लिखा !
इसलिए  अब तय किया हैं कि जब भी ऐसा कुछ हास्यपूर्ण पढूंगी तो रचनाकार के नाम के साथ सीधा लिंक ही पोस्ट कर दूंगी ! तो इसी के चलते आज एक लिंक दे रही हूँ इस कहानी  के लेखक और नायक है श्री आर. के. खुराना जी ! आप भी एक नज़र डालिए इनकी कहानी पर !
बेशक, मैं खुद तीखा लिखती हूँ लेकिन मुझे हास्य पढना ज्यादा पसंद है और अक्सर ऐसा कुछ तलाशती रहती हूँ ! इस कारण ही मैं खुद कुछ हास्य कवियों और कार्टूनिस्ट कलाकारों को फोलो भी करती हूँ ! ऐसे ही  हास्य की तलाश  में मैंने श्री सचिन देव  जी बाउंसर पढे ! बाउंसर ऐसे की कोई भी क्लीन बोल्ड हो जाये ! इनके बाउंसर में एक नाम मेरा भी था तो आप भी पढ़िए की किस तरह इन्होने अपने चोथे बाउंसर में मेरे नाम और मेरे ब्लॉग teekha bol को क्लीन बोल्ड किया ! 
हालाँकि उनके ये बाउंसर ११ जून को फैके गए थे लेकिन मेरी लेटलतीफी की हद देखिये कि मेरा  इनसे सामना  ३ जुलाई को हुआ या यू कहे कि इनके बाउंसर मुझ तक पहुचने से पहले थक गए !  वैसे जवाबी कारवाही तो मैंने भी कर  दी ! लेकिन फिर भी इन लाज़वाब बाउंसर के आगे टिकना थोडा मुश्किल ही लगा !
तो आज आप सभी हंसिये अगली बार अपने तीखे बोल के साथ जल्द ही मिलूंगी ! वैसे भी इस बार आने में थोड़ी देर हो गई !

12 टिप्‍पणियां:

  1. सोनी बिटिया,
    आजकल तुमरा आना भी कम है अऊर कोनो कारन भी नहीं मालूम... खैर ऊ सब बाद में.. हास्य बहुत अच्छा चीज है, अऊर जो वालपेपर तुम लगाई हो ऊ आज से तीन चार साल पहले हमको मिला था.. इसलिए इसका असली जनमदाता कऊन है पता नहीं. जो भी है, हमको इस तरह का हास्य नहीं अच्छा लगता है. हम नास्तिक हैं, लेकिन भगवान के नाम से मजाक नहीं पसंद है. फिर क्या अनतर है हुसैन अऊर हममें. ऊ पेंटिंग में नंगा किया, हम बात से नंगा कर रहे हैं.
    जब हम छोटा में रेडियो में काम करते थे तो पहिला सीख एही दिया गया था कि कोई लाचार, विकलांग (अंधा, लंगड़ा पर बहुत जोक बनता है), धर्म (जैसे सिख धरम वालों पर) और व्यक्ति बिसेस पर चुटकुला नहीं सुनाया जाना है. तब से आज तक एही कर रहे हैं. अऊर भगवान के नाम पर तो लोग सिनेमा तक बनाया है अऊर एगो सिनेमा बहुत साल तक बैन रहा देस में.
    एगो कहावात त सुनबे की होगी कि इंसानऐसा जीव है जो हँस सकताहै अऊर ऐसा भी जिसपर हँसा जा सकता है. का मालूम कईसा लगा होगातुमको.काहे कि हमरा पोस्ट भी तो नहीं पढती हो तुम.
    बाबू जी

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  2. नमस्ते बाबूजी
    मेरा यहाँ कम आने का कोई खास कारण नहीं है ! ..............मैंने जब ये वालपेपर इस पोस्ट के साथ अटेच किया था उस वक़्त सबसे पहले आपका और चैतन्य और साहिल जी (संवेदना के स्वर) का ही ध्यान आया था मुझे पता था मैं क्या कर रही हूँ ! और ये भी पता था की आप लोगो से मुझे कैसी प्रतिक्रियाये मिलेंगी लेकिन फिर भी इसे अटेच किया और इसका कारण सिर्फ एक था और वो ये की मेरे फेसबुक अकाउंट पर जब ये अपडेट हुआ तो उस वक़्त सभी को यही लगा की मैंने ऐसा कुछ लिखना शुरू कर दिया है ! बस उन्ही सब को ये बताने के लिए था ! मैंने ऐसा ना तो कभी कुछ लिखा है और ना ही लिख सकती ! लेकिन बाबूजी आपने बाकी को दोनों कहानियो के बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी !
    आपने सही कहा की इंसान ही एक ऐसा जीव है जो हँस सकता है और जिस पर हँसा भी जा सकता है लेकिन आपने ऐसा क्यों कहा की मुझे कैसा लगा होगा आपकी ये बात समझ नहीं आई !

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  3. पगली कहीं की...बस हमको लगा कि तुमको बुरा लगेगा कि इस बार बाबू जी तीखा बोल बोल रहे हैं... बाकी दुनो पढकर मजा आया...बाउंसरवा कमाल था...

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  4. "अब ये अच्छा हुआ कि आप लिंक भी दे रही हैं, इससे लोगों को शांति मिलेगी..वैसे इस दुनिया में सिवाए ईश्वर के कुछ भी मौलिक नहीं है...."

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  5. ये क्या बाबूजी आप कब से teekha bol बोलने लगे ??? और क्या हम क्या आपको ऐसे है बाबूजी कहे है जो आप कुछ बोलने से पहले ये सोचे की मुझे कैसा लगा होगा ???

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  6. bahut badhiya vyangya. padhakar bahut majaa aayaa.bahut sundar lekhani.

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  7. सोनी जी बहुत - बहुत धन्यबाद ! हमने आपके बताये लिंक पर आपका पोस्ट पढ़ा, अच्छे लेख के लिए बधाई, और एक बार फिर से आपका बहुत - बहुत धन्यबाद, मेरी पुरानी फिल्म Bouncer सोनी टीवी पर दिखाने के लिए ! आखिर settlite का ये एक फायदा ये भी है, की एक फिल्म कई channels पर प्रसारित की जा सकती है, और हमारी फिल्म अपने Channel पर दिखाने के लिए आभार !
    Sachin Dev
    Allrounder

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  8. विवादों मे व्यस्त थे इसलिए देर हुई. हमारे भी मन की बात बिहारी बाबू कह ही चुके हैं,इसलिए डिट्टो हमारी तरफ से. आपके और आपके बाबूजी के सम्वाद आपकी पोस्ट के साथ साथ कमेंट बॉक्स की शोभा बढा देते हैं.लेकिन सोनी बहन आपने हमसे बदला ले ही लिया. चलिए हिसाब बराबर… एक बार हमने आपको सीमा कहकर सम्बोधित किया था, आज आपने सलिल जी को साहिल जी कह दिया.
    अच्छी पोस्ट, लेकिन धर्म का मज़ाक अच्छा नहीं.

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  9. @ संवेदना के स्वर
    माफ़ कीजियेगा सलिल भाई बदला लेने जैसा तो मेरा कोई इरादा नहीं था और बदला भी किस से आप से कभी भूल कर भी नहीं ! बस इसे बहन की गलती समझ कर माफ़ कर दीजिये !

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  10. हमको कॉल करो चाहे अपना ई मेल आईडी दो...हमरा नम्बर 9810715727.

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  11. मजेदार है लिखापढ़ी और नोकझोंक! जय हो!

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