सोमवार, जुलाई 26, 2010

अपने बच्चे, बच्चे और दूसरो के मुसीबत !!!

आज सुबह की ही बात है,मम्मी से मिलने घर पर एक आंटी आई थी ! कई सालो की जान-पहचान है उनकी हमारे  साथ ! आते ही बातो का सिलसिला शुरू हुआ और उन्होंने मम्मी को बताया कि "उनके घर में दो सिंगल रूम सेट खाली है कोई अच्छा किरायदार बताना !" मम्मी ने कहा "ठीक है, कोई पूछने आएगा तो बता दूंगी !" अब इस पर आंटी जी की अगली लाइन थी कि 'कोई ऐसा बताना जिसके बच्चे ना हो ! " है.....???? आंटी जी की बात सुन कर मेरा रिएक्शन कुछ ऐसा ही था  ! अब इससे पहले की मम्मी कुछ बोलती मैंने झट से पूछ लिया "क्यों,आंटी आपको बिना बच्चो वाले किरायदार ही क्यों चाहिए ??" आंटी, बजाय कोई जवाब देने के मुझे देखने लगी ! मम्मी को आंटी की बात का कारण शायद पता था इसलिए उन्होंने मुझे चुप रहने को कहा, और आंटी से बोली आप छोड़ो इसकी बातो को !" लेकिन मैं भी मैं हूँ  अपने सवाल का जवाब लिए बगैर  चुप रहना मुझे नहीं आता ! हालाँकि इस वजह से कभी-कभी डांट भी पढ़ जाती है ! लेकिन फिर भी जवाब तो मैं लेकर ही रहती हूँ ! इसलिए अपना सवाल फिर से दोहराया "आंटी बताओ ना,आपको बिना बच्चो वाला किरायदार ही क्यों चाहिए" अब वो थोड़ी झेंप  चुकी थी और तुरंत बोली "अरे नहीं, मेरा मतलब है जिसकी नयी-नयी शादी हुई हो या फिर कोई ऐसा जिसके एक ही बच्चा हो" !
मैंने कहा "मुझे समझ नहीं आया,अभी तो आप कह रहे थे कि आपको बिना बच्चो वाले किरायदार ही चाहिए और अब आप कह रहे हो कि एक बच्चा हो, इसलिए ठीक से समझाओ कि आप कह क्या रहे हो !" अब आंटी, मेरी मम्मी से बोली "देखना इसको" ! "तब मम्मी बोली "कुछ नहीं बस बच्चे थोडा परेशान करते है इसलिए मना कर रही थी !" मैंने कहा "मतलब ???' तब आंटी बोली "अरे,अभी तू नहीं जानती, जब छोटे बच्चे होते है तो कितना परेशान करते है !  मैंने कहा "तो वो तो सभी के बच्चे करते है,आप इस वजह से किसी  किरायदार को कमरा नहीं दोगी !" आंटी बोली "अरे नहीं, घर में बच्चे होते है तो शोर बहुत करते है और हमेशा उधम मचा कर रखते है सर में दर्द कर देते है !"तब मैंने कहा,"आंटी,अभी तक तो सुना था कि जब कोई मकान मालिक किरायदार रखता है तो पूछता  है कि तुम शाकाहारी हो या मांसाहारी लेकिन आप ने तो नया रुल बना दिया !" तब मम्मी बोली " नहीं, अब बहुत से लोग बिना बच्चो वाले किरायदार ही चाहते है !"  
मुझे ये बात बुरी लगी कि बेचारा आदमी पहले तो एक अदद कमरे के लिए परेशान और अब मकान मालिको के नए-नए रूल्स से परेशान ! फिर कुछ देर बाद मुझे याद आया कि बच्चे तो आंटी जी के भी है और वो भी एक नहीं चार ! अभी लगभग चार-पांच साल पहले तक तो ये भी किराए पर ही रहती थी, अब इन्होने एक मकान बनवा लिया है ! तब मैंने आंटी से कहा, आंटी किराये पर तो आप भी रहती थी आप सोचो कि अगर आप किसी से उस वक़्त अपने लिए कमरा पूछती और तब आपसे कोई ये कहता तो आप को कैसा लगता ???" आंटी बोली 'सोनी, तेरी बात सही है, लेकिन फिर भी कौन मुसीबत चाहता है ??? मैंने कहा "मुसीबत ???? आंटी, बच्चे तो सभी के ऐसे होते है तो आप किसी और के बच्चो को मुसीबत कैसे कह  सकते हो !" तब आंटी ने कहा "अरे तुझे पता नहीं है, किरायेदारो के बच्चे कितना परेशान करते है !" मैंने कहा, " फिर भी आंटी आपको  सिर्फ इस वजह से तो किसी को कमरा देने से मना नहीं करना चाहिए !" इसके बाद आंटी जी एक के बाद एक अनोखे कारण देने लगी और मम्मी ने भी मुझे चुप ही रहने को कह दिया, लेकिन मुझे ये सारी बातें अच्छी नहीं लगी !
जब ये आंटी जी खुद किरायदार थी तब अक्सर कहती थी कि मकान मालिक बहुत चिक-चिक करते है और अब जब  मकान मालिक बन गई है तो कहती है कि किरायदार परेशान करते है ! पता नहीं लोग अपना  अतीत को क्यों भूल जाते है ??
दिल्ली में वैसे भी किराए पर कमरे मिलना मुश्किल होता है और उस पर कुछ लोग ऐसे होते है जो अपने मकान को एक सराय की तरह बना देते है जिसमे ना तो कोई सहूलियत होती है और ना ही कोई  सुविधा, फिर भी इन मकान मालिको के रूल्स ऐसे होते है कि जैसे किसी को महल किराये पर दे रहे है ! बेचारा, किरायदार ना हो इनका गुलाम हो ! कुछ लोग अक्सर पापा को भी सलाह देते है कि आप भी अपने घर कि छत  पर एक कमरा बनवा लो और किराए पर उठा दो  कमाई हो जाएगी, तब पापा कह देते है अरे नहीं, छत पर धूप बहुत आती है क्योकि हमारा घर चारो तरफ से घिरा हुआ नहीं है  "तो इस पर सलाहकारों का कहना होता है तो इसमें क्या हुआ जिसको ज़रूरत होगी वो लेगा !
मकान मालिको का ऐसा बर्ताव ही किरायदारो को परेशान करता है ! एक तो वो वैसे ही अपने हालातो से परेशान होते होंगे और दूसरे ये अनोखे मकान मालिक उन्हें चैन नहीं लगने देते ! सभी को सभी की परेशानी समझते हुए अपना सहयोग देना चाहिए ! आखिर सभी के हालत हमेशा एक से तो नहीं रहते !

बुधवार, जुलाई 14, 2010

अच्छा, महंगा, अस्तव्यस्त, और डूबता हुआ .........आपका और हमारा शहर "दिल्ली" !!!!

कुछ दिन पहले अखबारों में कुछ सर्वे छपे थे जो दिल्ली को लेकर थे और वो इस तरह थे !

  1.  दिल्ली देश का रहने लायक सबसे अच्छा और नंबर वन शहर है !
  2. एक न्यूज़ चैनल के अनुसार दिल्ली देश का सबसे महंगा शहर है !
  3. एक अन्य सर्वे के अनुसार  दिल्ली, ट्रैफिक अस्तव्यस्तता के मामले में दुनिया का पांचवा शहर है !
  4. एक अन्य सर्वे के अनुसार देश में आने वाले सभी विदेशी टूरिस्ट्स में से 67 % लोगो के अनुसार दिल्ली एक असुरक्षित शहर है !
 इन सभी सर्वे में कितनी सच्चाई है ये तो पता नहीं,  लेकिन अगर ये ज़रा भी सच है तो सोचने वाली बात ये है कि जिस शहर को देश का सबसे अच्छा और रहने लायक शहर कहा जा रहा है क्या  वास्तव में ऐसा है ??? दो दिन पहले हुई बारिश ने गेम्स के लिए आधी से ज्यादा उधडी हुई दिल्ली को तालाब में तब्दील कर दिया ! आज आलम ये है की बारिश ख़त्म हो जाने के बाद भी कई इलाके जलमग्न  हैं और हमेशा की ही तरह दिल्ली सरकार और एमसीडी ने आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू कर दिया और ये सिलसिला भी हमेशा की तरह बारिश ख़त्म होने के साथ-साथ ख़त्म हो जायेगा !
सर्वे में दिल्ली को सबसे अच्छा शहर कहने का आधार था यहाँ का रहन-सहन, हेल्थ और एजुकेशन ! इन आधारों पर दिल्ली को सर्वश्रेष्ट स्थान ???? ये वाकई हैरान कर देने वाली बात क्योकि इस  शहर में फोन करने पर पिज्जा तो 30 मिनिट में आपके घर पहुँच जायेगा लेकिन अम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड और दिल्ली पुलिस जैसी सुविधाए 30 मिनिट में आपके घर पहुँच जाये इस बात की  गारंटी नहीं ! लेकिन वी.आई.पी. इलाकों में ये सुविधाए 30 मिनिट से पहले भी पहुँच सकती है तो हुआ ना ये शहर रहने लायक अब सभी लोग वी.आई.पी. इलाकों में नहीं रहते तो इसमें बेचारे सर्वे करने वालो की क्या गलती !  अब अगर हेल्थ की बात करे तो दिल्ली में सभी तरह चिकित्सीय सुविधाए मौजूद  है लेकिन यहाँ भी बात आती है की ये सब किसके लिए है, अब सभी तो प्राइवेट अस्पताल का खर्च उठाने में समर्थ हो नहीं सकते और जो सरकारी अस्पताल में शरण लेते है वो ज्यदातर भगवान् भरोसे ही जीते है और अगर एजुकेशन की बात की जाये तो जहां आपको कार लोन दो दिन में मिल सकता है वहीँ आपको एजुकेशन लोन के लिए दो हफ्ते से भी ज्यादा का इन्जार करना पढ़ सकता है ! अब बैंको के अनुसार देश की राजधानी में एजुकेशन ज़रूरी हो या ना हो लेकिन कार होना ज़रूरी है ! अब देश के सबसे अच्छे शहर में रहने के लिए कुछ तो स्टेटस होना ही चाहिए !
अब दूसरे सर्वे के अनुसार दिल्ली देश का सबसे महंगा शहर है ! ये सर्वे तो झूठ हो ही नहीं सकता ! अभी कल ही ही बात है मैंने टोमेटो सूप पीने की इच्छा जाहिर की लेकिन पता लगा की टमाटर 50 रूपये किलो हो गए है ! कीमत सुन कर मैंने इंस्टेंट मेक सूप से ही काम चलाया ! टमाटर, जो की हर सब्जी की जान है वो अगर इतना महंगा है तो बाकी सब्जियों का क्या ??? सब्जियों के अलावा रोज़मर्रा की ज़रुरतो में काम आने वाली सभी चीजों की कीमते आज आसमान में छलांगे लगा रही है तो कैसे नहीं होगा ये देश का सबसे महंगा शहर, बिलकुल होगा !
तीसरे सर्वे में दिल्ली को ट्रेफिक अस्तव्यस्तता के मामले में विश्व में पांचवा स्थान प्राप्त हुआ है ! यह  जान कर  ख़ुशी हुई खुशी इसलिए की शुक्र है आज विश्व में दिल्ली से भी ज्यादा ट्रेफिक ट्रबल वाले शहर है लेकिन वास्तव में इस सर्वे पर यकीं नहीं हो रहा ! लेकिन अगर यही हालत रही तो कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान पूरे भारत  का प्रतिनिधित्व करने वाली दिल्ली गेम्स में इस ट्रैफिक ट्रबल से अपनी इज्ज़त बचा पायेगी ??? क्या तब  सडको पर पदने वाला अतिरिक्त भार दिल्ली ढो पायेगी ???
अब बात उन विदेशी सैलानियों की जिन्होंने दिल्ली को एक असुरक्षित शहर का तमगा दिया ! कुछ दिन पहले ट्विटर पर मंदिरा बेदी की ट्वीट पढ़ी थी जो शायद इसी सर्वे को लेकर लिखी गई थी जिसके अनुसार "दिल्ली, लडकियों के लिए मुंबई से ज्यादा असुरक्षित है !" वास्तव में अगर दिल्ली में लडकियों की सुरक्षा की बात की जाये तो दिल्ली में अब भी लडकियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण तैयार नहीं हुआ है ! अक्सर भीड़ में छूने की कोशिश में निकलता किसी पागल जानवर का हाथ, चौक-चौराहों पर घूरती  हुई नज़रें, उलजलूल फब्तियां इस बात का सबूत है कि दिल्ली में आज भी एक अकेली लड़की दिल्ली के मर्दों की टेढ़ी नज़र का कारण है ! क्या इस माहौल  में विदेशी युवतियां खुद को सुरक्षित रख पाएंगी ??? क्या सभी विदेशी सैलानी गेम्स का आनंद निर्भय हो कर ले पाएंगे ???
आज दिल्ली को हर तरफ से सजाने की कोशिश की जा रही है ! कल ही पढ़ा था की अ़ब जगह-जगह सडको को गन्दा करने वालो पर डबल फाईन लगेगा ! लेकिन क्या ये फाईन लोगो को बदल सकेगा ??? क्या दिल्ली सरकार सडको के साथ-साथ लोगो के दिमाग भी चमका सकेगी, जिनमे अपने देश की इज्ज़त को लेकर कोई जागरूकता नहीं है ! क्या सिर्फ टैक्सी, ऑटो वालो को अंग्रेजी भाषा सीखा देने भर से उनके रवैये में सुधार हो सकेगा ??? डर है की उस वक़्त अखबारों में गेम्स से ज्यादा चर्चा विदेशी सैलानियों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार की ना हो ! जिस गेम्स से सरकार और जनता ये उम्मीद लगाये हुए है की भारत को इससे एक ऊँचा आयाम मिलेगा, भारत का विदेशी व्यापार बढेगा, या विश्व पटल पर भारत की मांग  बढेगी, इश्वर ना करे की उस गेम्स के बाद ये नज़ारा उल्टा हो !

सोमवार, जुलाई 12, 2010

पॉल, मणि और रेहान भाई की टोपी...............

फुटबाल वर्ल्ड कप का नतीजा आ चुका है और पॉल की जीत हो चुकी है ! अब  स्पेन की जीत कहने से तो पॉल की जीत कहना ज्यादा अच्छा लग रहा है क्योकि फुटबाल से ज्यादा तो इसके नतीजों की भविष्वाणी करने वाले पॉल और मणि ही मशहूर हो रहे थे ! आज चारो तरफ फुटबाल वर्ल्ड कप की विनर टीम से ज्यादा इनका शोर है ! वैसे पिछले कुछ दिनों से अच्छी खासी चर्चा पा रहे थे ये दोनों ! फिर चाहे सोशल नेटवर्किंग साईट हो, प्रिंट मिडिया हो या इलेक्ट्रोनिक मिडिया या फिर अपना ब्लोगर ! बल्कि पॉल शब्द तो ट्विटर पर एक दिन में इस्तेमाल होने वाला सबसे ज्यादा प्रचलित शब्द बन गया ! अब ये फुटबाल कप जो भी टीम जीतती, तो जीत उसकी भविष्वाणी करने वाले की ही जीत होती और इस बार जीत हुई पॉल की, मणि हार गया, वैसे भी जीत तो एक ही की होनी थी ! क्योकि अगर होलैंड जीतता तो मणि जीतता ! अब अपनी इस भविष्वाणी के सच हो जाने पर  ना जाने कितनी ही और भविष्वाणी पॉल को करनी पड़ेंगी और कितने ही लोगो से रोज़ मिलना पड़ेगा ! पता नहीं लोगो को पॉल की अपोयिन्टमेंट मिलेगी भी या नहीं ! इस वक़्त तो देश के सबसे बड़े वी.वी.आई.पी. पॉल ही होगा ! लेकिन इस सबसे एक बात ज़रूर साबित हो गई कि अन्धविश्वाश ना सिर्फ अपने देश में बल्कि पूरे विश्व में आज अपनी चरम सीमा पर है ! अब इस की एक कड़ी देखिये "रेहान भाई" बिरयानी वाले !


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ये है रेहान भाई जो सिटी प्लाज़ा मार्केट, सेक्टर 62 नॉएडा में अपनी चलती फिरती दुकान के साथ दोपहर एक बजे पहुँच जाते है ! इन्हें यहाँ अपनी इस चलती फिरती दुकान को लगाते हुए तकरीबन छ से सात साल हो गए ! इनकी दुकान पर मिलने वाली चिकन बिरयानी के सभी कायल है और यहीं वजह है की दुकान लगने के लगभग छ घंटे के अन्दर ही रोज़ बना कर लायी हुई इनकी कई किलो बिरयानी हाथो-हाथ बिक जाती है ! 35 रूपए हाफ प्लेट का मूल्य भी लगभग सभी की जेबों को सूट करता है ! लेकिन अब ये रेहान भाई पिछले कुछ दिनों से अपनी दुकानदारी से खुश नहीं है और वजह भी बड़ी अनोखी है ! चलिए वजह जानने से पहले एक नज़र इनके स्टाइल पर डाल ली जाये !



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अब इनका स्टाइल देख कर कोई सेलेब्रेटी तो याद आ ही गया होगा और अगर अब भी याद नहीं आया तो अब इस अगली तस्वीर को देख कर आपको समझ आ ही जायेगा की ये किसके स्टाइल की कोपी है !



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जी हाँ, ये हिमेश रेशमिया की ही कोपी है ! लेकिन यहाँ बात सिर्फ स्टाइल कॉपी करने की नहीं है बात थोड़ी बड़ी है ! दरअसल ये रेहान भाई पिछले पाँच सालो से हिमेश रेशमिया का स्टाइल फोलो करते आ रहे है ! ड्रेस से लेकर टोपी तक सब कुछ, बहुत बड़े फैन है हिमेश रेशमिया के ! लेकिन आजकल थोड़े दुखी है और दुखी होने की वजह ये है की इनकी बिरयानी की बिक्री पहले के मुकाबले थोड़ी कम हो गई है ! अब इसकी कई वजह हो सकती है, लेकिन रेहान भाई अपनी बिरयानी की बिक्री कम होने की सिर्फ एक वजह मानते है और इनके अनुसार वो वजह है हिमेश रेशमिया का अब टोपी ना पहनना ! सुन कर हैरानी हुई कि हिमेश रेशमिया के टोपी ना पहनने से इनकी बिक्री का क्या लेना देना  ????

लेकिन रेहान भाई तो यहीं मानते है की जबसे हिमेश रेशमिया ने अपनी टोपी उतारी है तब से ही इनकी बिरयानी की बिक्री कम हुई है और अब ये चाहते है की हिमेश रेशमिया फिर से टोपी पहनना शुरू कर दे ! वैसे कुछ समय पहले तक हिमेश रेशमिया भी अपनी टोपी को अपने लिए लकी मानते थे और अपनी ये टोपी वो म्यूजिकल शो "सारेगामापा" के कंटेस्टेंट विनीत को भी पहना चुके थे ! अब इस टोपी ने इन दोनों कि कितनी किस्मत बदली ये तो वही जाने लेकिन हमारे रेहान भाई तो पूरी तरह से इस टोपी को ही अपनी किस्मत मान चुके है ! मेरे लिए तो ये किसी अन्धविश्वास से कम नहीं है !

अब जबसे हिमेश रेशमिया ने टोपी पहनना छोड़ दिया है तब से रेहान भाई बड़े दुखी है ! लेकिन अब इन्हें कौन समझाए कि जो टोपी इनके स्टाइल आइकॉन हिमेश रेशमिया कि किस्मत नहीं बदल सकी वो इनकी बिरयानी कैसे बिकवायगी ! तो जाइये आप भी मिल कर आईये इन रेहान भाई उर्फ़ हिमेश रेशमिया के डुप्लिकेट से और लुत्फ़ उठाइए इनकी चिकन बिरयानी का शायद तब बिक्री थोड़ी ज्यादा हो जाये और इन्हें ये ज्ञात हो जाये, कि किसी और के टोपी पहनने या ना पहनने  से इनकी दुकानदारी पर असर नहीं पढता !

ये सभी तस्वीरे मेरे मित्र और इन्ही की बिरयानी के शौक़ीन प्रदीप लांबा द्वारा ली गई है !



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रविवार, जुलाई 04, 2010

जब उड़ी मेरे नाम की धज्जियाँ !!!!!

मुझे नियमित रूप से पढने  वालो को पता होगा की मैंने अपनी एक पोस्ट में एक व्यंग्य लिखा था ! जिसका शीर्षक था, "नेता जी की नरक यात्रा" ! ये हास्य व्यंग्य लिखा तो मैंने था लेकिन इसकी मूल रचनाकार मैं नहीं थी ! ये बात मैं तब बता चुकी थी !
मेरी आदत है की कुछ भी अच्छी लाइन या कोई अच्छा वालपेपर या फिर अपनी ही कोई चुनिन्दा पोस्ट को मैं अपने फेसबुक अकाउंट पर अपडेट कर देती हूँ और यहीं मैंने इस हास्य व्यंग्य के साथ भी किया  और वहाँ भी कमेन्ट आने शुरू हो गए ! तब वहाँ भी मुझे अपनी सफाई देनी पड़ी और यही हाल जागरण जक्शन पर भी हुआ ! खैर अब वो बात ख़त्म हो चुकी थी ! लेकिन जब मैंने अपनी आदत अनुसार एक  वालपेपर अपने फेसबुक अकाउंट पर अपडेट किया तो फिर से वही सब पिछला शुरू हो गया ! लोगो के कमेन्ट आने शुरू हुए ! सभी ने मेरे उस लिखने की शेली की तारीफ की जो मेरे लिए टेढ़ी खीर है ! आप भी इस वालपेपर पर एक नज़र डालिए !




इसे लिखने में किसका दिमाग है मुझे पता नहीं ये तो मैंने गूगल से डाऊनलोड किया था ! वैसे भी ऐसा कुछ लिखने की कला मुझमे नहीं है ! लेकिन वहीँ अपना पुराना राग की अगर कुछ अच्छा लगता है तो उसे पोस्ट कर देती हूँ  और जब इस वालपेपर को अपडेट करने के बाद एक बार फिर से सभी को ये बताना पड़ा की ये मैंने नहीं लिखा !
इसलिए  अब तय किया हैं कि जब भी ऐसा कुछ हास्यपूर्ण पढूंगी तो रचनाकार के नाम के साथ सीधा लिंक ही पोस्ट कर दूंगी ! तो इसी के चलते आज एक लिंक दे रही हूँ इस कहानी  के लेखक और नायक है श्री आर. के. खुराना जी ! आप भी एक नज़र डालिए इनकी कहानी पर !
बेशक, मैं खुद तीखा लिखती हूँ लेकिन मुझे हास्य पढना ज्यादा पसंद है और अक्सर ऐसा कुछ तलाशती रहती हूँ ! इस कारण ही मैं खुद कुछ हास्य कवियों और कार्टूनिस्ट कलाकारों को फोलो भी करती हूँ ! ऐसे ही  हास्य की तलाश  में मैंने श्री सचिन देव  जी बाउंसर पढे ! बाउंसर ऐसे की कोई भी क्लीन बोल्ड हो जाये ! इनके बाउंसर में एक नाम मेरा भी था तो आप भी पढ़िए की किस तरह इन्होने अपने चोथे बाउंसर में मेरे नाम और मेरे ब्लॉग teekha bol को क्लीन बोल्ड किया ! 
हालाँकि उनके ये बाउंसर ११ जून को फैके गए थे लेकिन मेरी लेटलतीफी की हद देखिये कि मेरा  इनसे सामना  ३ जुलाई को हुआ या यू कहे कि इनके बाउंसर मुझ तक पहुचने से पहले थक गए !  वैसे जवाबी कारवाही तो मैंने भी कर  दी ! लेकिन फिर भी इन लाज़वाब बाउंसर के आगे टिकना थोडा मुश्किल ही लगा !
तो आज आप सभी हंसिये अगली बार अपने तीखे बोल के साथ जल्द ही मिलूंगी ! वैसे भी इस बार आने में थोड़ी देर हो गई !