वो घबराई हुयी सी घर में चिल्लाते हुए पुरषोत्तम को उठाती है !
उठो जल्दी उठो नंदिनी के हॉस्टल से फ़ोन आया है उन्होंने अभी बुलाया है !
क्यों, क्या हुआ ??
(रोते हुए बोली ) नंदिनी हॉस्पिटल में है, उसने स्यूसाइड करने की कोशिश की है !
क्या ???
शोर सुन कर शशांक और विवेक भी अपने कमरे से बाहर आ जाते है ! दोनों को जब पता चलता है तो वो नंदिनी का हाल जान्ने के लिए उसे फ़ोन करते है लेकिन फ़ोन लगातार ऑफ आता है !
कुछ देर बाद ही चारो नंदिनी के हॉस्टल के लिए निकल जाते है ! रास्तेभर नंदिनी की माँ रोते हुए पुरषोत्तम को एक ही बात कहती रही कि आपने नंदिनी से बात क्यों नहीं की, वो कुछ बोलना चाह रही थी........ लेकिन आज पुरषोत्तम के पास इन बातों का कोई जवाब नहीं था ! वो लगातार बस यही सोच रहा था कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो नंदिनी ने स्यूसाइड जैसा रास्ता चुना और क्यों मैंने उससे बात नहीं की ! मैं क्यों थोड़ा सा टाइम नहीं निकाल पाया ??
इसी सब उधेड़बुन में शशांक का फ़ोन बार-बार बजता रहा सभी को लगता कि शयद नंदिनी की कोई खबर हो लेकिन नहीं वो फ़ोन हर बार शशांक के लिए ही होते !!
कुछ घंटो के सफर के बाद वो सभी अब नंदिनी के कॉलेज पहुंच चुके थे और वहाँ से वो कुछ कॉलेज टीचर्स के साथ हॉस्पिटल पहुँच गए !
नंदिनी की माँ लगातार रोये तेओ हुए डॉक्टर से नंदिनी का हाल पूछा डॉक्टर कुछ नहीं बोले !
उठो जल्दी उठो नंदिनी के हॉस्टल से फ़ोन आया है उन्होंने अभी बुलाया है !
क्यों, क्या हुआ ??
(रोते हुए बोली ) नंदिनी हॉस्पिटल में है, उसने स्यूसाइड करने की कोशिश की है !
क्या ???
शोर सुन कर शशांक और विवेक भी अपने कमरे से बाहर आ जाते है ! दोनों को जब पता चलता है तो वो नंदिनी का हाल जान्ने के लिए उसे फ़ोन करते है लेकिन फ़ोन लगातार ऑफ आता है !
कुछ देर बाद ही चारो नंदिनी के हॉस्टल के लिए निकल जाते है ! रास्तेभर नंदिनी की माँ रोते हुए पुरषोत्तम को एक ही बात कहती रही कि आपने नंदिनी से बात क्यों नहीं की, वो कुछ बोलना चाह रही थी........ लेकिन आज पुरषोत्तम के पास इन बातों का कोई जवाब नहीं था ! वो लगातार बस यही सोच रहा था कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो नंदिनी ने स्यूसाइड जैसा रास्ता चुना और क्यों मैंने उससे बात नहीं की ! मैं क्यों थोड़ा सा टाइम नहीं निकाल पाया ??
इसी सब उधेड़बुन में शशांक का फ़ोन बार-बार बजता रहा सभी को लगता कि शयद नंदिनी की कोई खबर हो लेकिन नहीं वो फ़ोन हर बार शशांक के लिए ही होते !!
कुछ घंटो के सफर के बाद वो सभी अब नंदिनी के कॉलेज पहुंच चुके थे और वहाँ से वो कुछ कॉलेज टीचर्स के साथ हॉस्पिटल पहुँच गए !
नंदिनी की माँ लगातार रोये तेओ हुए डॉक्टर से नंदिनी का हाल पूछा डॉक्टर कुछ नहीं बोले !
तभी कुछ पुलिसकर्मी वहाँ आये और उन्होंने पुरषोत्तम से पूछा ....
क्या आप नंदिनी के फादर है ?
हाँ, मैं ही नंदिनी का फॉदर हूँ कहाँ है नंदिनी कैसी है वो ???
जब आपको फ़ोन किया था तभी नंदिनी को यहाँ लाये थे लेकिन उनकी हालत ठीक नहीं थी
मतलब ??
सर डॉक्टर्स ने काफी कोशिश की लेकिन सॉरी वो उसे बचा नहीं पाए !
पुरषोत्तम ये सुन वहीँ फर्श पर निढाल हो जाता है वो ना रो पाता है और ना ही कुछ कह पाता है !!
अब शायद उसे भी ये पछतावा है कि वो अपनी बेटी की बात नहीं सुन सका, वो किस परेशानी से गुजर रही थी,
वो क्या चाह रही था, क्यों वो उसे कुछ मिनट नहीं दे पाया ??
तभी वहाँ एक पुलिसकर्मी आता है और पुरषोत्तम के हाथ एक कागज देता है !
ये आपकी बेटी के बैग से मिला था आपके लिए लिखा है !
पुरषोत्तम वो कागज़ खोल कर देखता है और अपनी जेब में रख लेता है !
......................................................................................................
to be continued ........
मतलब ??
सर डॉक्टर्स ने काफी कोशिश की लेकिन सॉरी वो उसे बचा नहीं पाए !
पुरषोत्तम ये सुन वहीँ फर्श पर निढाल हो जाता है वो ना रो पाता है और ना ही कुछ कह पाता है !!
अब शायद उसे भी ये पछतावा है कि वो अपनी बेटी की बात नहीं सुन सका, वो किस परेशानी से गुजर रही थी,
वो क्या चाह रही था, क्यों वो उसे कुछ मिनट नहीं दे पाया ??
तभी वहाँ एक पुलिसकर्मी आता है और पुरषोत्तम के हाथ एक कागज देता है !
ये आपकी बेटी के बैग से मिला था आपके लिए लिखा है !
पुरषोत्तम वो कागज़ खोल कर देखता है और अपनी जेब में रख लेता है !
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to be continued ........
पिछले कुछ दिनों से मेरा फ़ोन और लेपटॉप दोनों ही खराब होने की वजह से आने में बहुत देर हो गयी और
जवाब देंहटाएंकिसी ने अगर वास्तव में इस कहानी का इन्तजार किया है तो उन सभी से देर से आने के माफ़ी चाहूंगी !
अपनी व्यस्तताओं के चलते पेरेंट्स को यह दिन तो देखना ही पडता है. अब आगे देखते हैं कि स्युसाईड नोट में क्या निकलता है?
जवाब देंहटाएंरामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग