कुछ लिखना चाह रही थी समझ नहीं आ रहा था कि क्या लिखू क्योकि चारो तरफ कई दिन एक शोर मचा हुआ है और वो शोर है, सानिया मिर्जा कि शादी को लेकर, मिडिया से लेकर फेसबुक तक और हिंदी चिटठा जगत से लेकर घर-घर तक चारो तरफ बस यही चर्चा है, खेर अब मैं यहाँ और शोर नहीं करुँगी ! लेकिन हाँ इस शोर के बीच मुझे एक और शोर सुनाई दिया दरअसल मेरे पास एक फोन आया, फोन टाटा इंडिकॉम से था वो सेल्समेन दरअसल एक फोन बेचना चाहता था कोई नया मोबाईल कनेक्शन था, जिसकी खूबियों के बारे में वो मुझे बताने लगा हालांकि मैं उसे लगातार कह रही थी कि सर मुझे कोई नया कनेक्शन नहीं खरीदना लेकिन वो तो शायद अपना टार्गेट पूरा करने कि जल्दी में था इसलिए रिक्वेस्ट करने लगा कि "मैडम, प्लीज़ ले लीजिये काम आएगा" अब मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ हालाँकि मैं फोन डिस्कनेक्ट कर सकती थी लेकिन मुझे ऐसा करना उस वक़्त बदमिजाजी लगा, खेर मैंने उसे कहा कि "शाम शाम को ६ बजे फोन करना सोच कर बताउंगी" और ऐसा कह कर मैंने फोन रख दिया और अपने कामो में व्यस्त हो गई ! अब जैसा कि होना था वैसा ही हुआ उसका ठीक ६ बजे फोन आ गया (लेकिन मुझे इस बात कि उम्मीद नहीं थी ) और वो फिर से शुरू हो गया "मैडम, क्या सोचा आपने, आप फोन ले रही है" बेचारे ने इतनी उम्मीद से पूछा कि एक बार सोचा कि चलो ले लू लेकिन चूँकि मुझे किसी नए कनेक्शन कि ज़रूरत थी नहीं इसलिए इस बार मैंने उसे बिलकुल साफ़ तौर पर कह दिया कि "सर, मुझे कोई फोन नहीं लेना और आप भी कृपया अब फोन रखे" लेकिन वो तो शायद कसम खा कर निकला था कि आज वो मुझे फोन बेच कर ही रहेगा अचानक बोला "मैडम, ले लीजिये" तब मैंने बोला ठीक है सर ले तो लू पर इसका बिल कौन भरेगा" वो बोला "मैडम, मैं भर दूंगा" हे ?????......."सर, क्या बात है आपकी सेलरी बढ गई है क्या" मैंने पूछा, वो बोला "नहीं, मैडम, मुझे अपना टार्गेट पूरा करना है, बस ये आखिरी बचा है और आज ये मुझे बेचना है", इस बार उसकी आवाज़ में थोड़ी परेशानी थी मैंने कहा कि "सर, मुझे वाकई ये फोन नहीं लेना" और इस बार उसने "ठीक है" कह कर फोन रख दिया ! फोन रखते समय उसकी आवाज़ में परेशानी साफ़ झलक रही थी ! शायद उस पर अपना टार्गेट पूरा करने का बहुत दबाव था, लेकिन मैं भी क्या करती, इस बार के बजट ने मेरे ऊपर भी दबाव बना कर रखा था ! लेकिन बाद में जब बेठ कर सोचा तो लगा कि आज जहां हर तरफ नए-नए शोर मचे है वहाँ उस बेचारे को बस अपना टार्गेट पूरा करना है ! वैसे हम में से ऐसे कितने लोग है जो इन सेल्समेनो कि बात ध्यान से सुनते है शायद बहुत कम, मैं भी नहीं सुनती, आखिर कब तक सुने ये बोलते ही इतना है ! घर पर भी ना जाने कितने ही सेल्समेन रोज़ बेल बजाते है, किसी को सर्फ़ बेचना है, किसी तो तेल, किसी को शेम्पू, किसी को साबुन, किसी को वाटर प्यूरीफायर, किसी को चूहे मारने कि दवा, किसी को ना जाने क्या-क्या उफ़ !!!!!!!! सच बहुत परेशान करते है ये, कई बार तो लोग इनकी सुने बिना ही इनके मुहँ पर दरवाज़ा बंद कर देते है, हाय, कैसा लगता होगा इन बेचारो को ! एक बार खुद को इनकी जगह रख कर देखा तो महसूस हुआ कि वास्तव में इनको कितना बुरा लगता होगा लेकिन वो ये किसी भी कस्टमर को महसूस नहीं होने देते ! अब इनके ऊपर अपने सिनिअर का इतना दबाव होता है कि उस दबाव में आकर ये बेचारे किसी कि बात का बुरा भी नहीं मानते फिर भले ही आप इन्हें गालिया ही क्यों ना दो ! लेकिन मुझे समझ नहीं आता कि वो ऐसी नौकरी करते ही क्यों है??? तब मुझे अपने कॉलेज का एक वाकया याद आ गया ! मेरी एक दोस्त थी वो एक कॉल सेंटर में काम करती थी वो बताती थी कि अक्सर कई बार कस्टमर ऐसी भाषा का प्रयोग करते है कि अगर हमे अपनी नौकरी खो जाने का डर ना हो तो हम उन्हें उन्ही कि भाषा में जवाब दे दे ! लेकिन ऐसा हो नहीं सकता ! तब मैंने उससे पूछा था कि तू ऐसी नौकरी कर ही क्यों रही है, जवाब मिला " अभी मेरे पास इतनी डिग्री नहीं कि कोई और अच्छी नौकरी कर संकू और जब तक कोई अच्छी नौकरी नहीं मिलती तब तक यही सही " ,"तो मतलब तू ये नौकरी मजबूरी में कर रही है?" , तो उसने कहा "और नहीं तो क्या, मज़बूरी ही तो है वरना कौन ये सेल्समेन कि नौकरी अपनी खुशी से करता है" उसकी ये बात आज मुझे अचानक याद आ गई, और तब मुझे समझ आया कि उस बेचारे कि क्या मजबूरी रही होगी,और उस पर कितना दबाव होगा वरना वो मेरी इतनी सुनता ही क्यूँ ???
खेर,ये दबाव होता ही ऐसा है इस दबाव में आ कर लोग मज़बूरी में वो काम भी कर जाते है जो वो वास्तव में करना नहीं चाहते अब देखिये अभी-अभी खबर आई कि "आयशा सिद्दगी" के दबाव के चलते सानिया मिर्जा के परिवारवालों ने 'सानिया" और "शोहेब" का निकाह दुबई में करने का फैसला किया है !!!!!!! अब क्या बोलू फिर से ये शोर सुनाई देने लगा !!!!!!
bahoot achha citaran kiya hai aaj samaaj ko baajaar banadiya gaya to is tareeke kee paresaanee aayegee
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