गुरुवार, अगस्त 08, 2019

एक चाहत .…...!

डियर अन्नया,  
यही नाम सोचा था मैंने तुम्हारे लिए जब पहली बार तुम्हारा ख्याल आया था, जब पहली बार मुझे पता लगा था कि फिर से कोई मेरे घर में आने वाला है उस दिन से तुम मेरा सपना बन गई जिसे मैं बस पा लेना चाहती थी तुम्हें पाने की चाहत ऐसी थी कि उस वक्त कोई भी मुझसे ये कह देता कि तेरे घर लड़की ही आएगी तो मैं मारे खुशी के,थोड़ा और एक्स्ट्रा खा लेती थी ! उस टाइम तो तुम्हारे लिए चाहत इतनी बढ़ गई थी कि मैं उस वक्त बड़ों की दी गई सारी नसीहतें झट से मान लेती थी कि बस तुम में कोई कमी ना रह जाए मेरी वजह से  ! तुम्हें पता है, मैं जब भी मार्केट में कोई नई ड्रेस देखती  तो उसमें तुम्हें ही इमेजिन कर लेती थी और सोचती थी जब मेरी बेटी इसे पहनेगी तो कैसी दिखेगी बल्कि एक बार तो मैं एक छोटी सी सुंदर सी फ्रॉक ले भी आई थी, यह सोच कर कि जब तुम आओगी ना तो मैं तुम्हें यही फ्रॉक पहनाऊंगी और बस ऐसे ही तुम्हें सोच सोच कर नए-नए सपने बुनती रहती थी ! मैं बहुत खुश रहती थी, तब तुम्हारे बड़े भाई से भी तुम्हारी बाते कर लेती थी ! इसी तरह टाइम बीतता था मेरा और फिर वह दिन आ गया जब मैं ऑपरेशन थिएटर में पहुंच गई और बस तुम्हें पा लेने के लिए बहुत ज़्यादा एक्साइटेड हो गई कि बस अब थोड़ी देर बाद तुम मेरी गोद मे आ जाओगी ! फिर बस मुझे एक इंजेक्शन लगा और मैं धीरे-धीरे अपने होश खोने लगी और बन्द आंखों में तुम्हारा हँसता हुआ चेहरा मुझे धुँधला सा नज़र आने लगा ! तभी अचानक फिर एक बच्चे की रोने की आवाज सुनाई दी तो मैं थोड़ा होश में आई और मैंने फौरन डॉक्टर से पूछा डॉक्टर क्या हुआ है ?? डॉक्टर ऑपरेशन करते करते हँसते हुए बोली क्या चाहिए तुम्हें शाहरुख या करीना ?? मैंने बोला आप बताओ ना ...डॉक्टर मुस्कुराते हुए बोली , बेटा हुआ है !! क्या ??? यह सुनते ही मैं जोर जोर से रोने लगी और बोलने लगी मुझे नहीं चाहिए बेटा मुझे तो बेटी ही चाहिए !! मुझे याद है मैंने रोते रोते अपने हाथ से वो ग्लूकोस का पाइप भी खींच कर निकाल दिया था और तब फिर उस एनेस्थीसियन ने मेरे दोनों हाथ कस के पकड़ कर मुझे लिटा दिया !! मैं बस रोये जा रही थी कि ये क्या हो गया मेरे साथ मुझे तुम क्यों नहीं मिली ?? मेरा सपना एकदम से टूट गया  फिर जब डॉक्टर ने मुझे मेरे बेटे को दिखाया उस वक्त वो बहुत प्यारा लग रहा था उस टाइम वो एक दम सुर्ख लाल गुलाबी सा, मैंने तब उसका माथा चूम लिया और एक बार फिर तुम्हे याद करके रो पड़ी !!! तब उस एनेस्थीसियन ने और डॉक्टर ने बहुत समझाया और तब मुझे यही समझ आया कि तुम मेरे लिए थी ही नहीं तुम बस एक गहरा सुर्ख सपना थी जो मैंने खुद के लिए बुन लिया था ! उसके बाद धीरे धीरे मैं उस वक्त तुम्हें भूलने लगी लेकिन वो कहते है ना दिल से की गई चाहत और दिल से देखा गया सपना कभी भुलाया नहीं जा सकता बस यही मेरे साथ हुआ, उस दिन से लेकर आज तक  मैं जब भी किसी छोटी बच्ची को देखती हूं, तो मुझे बस तुम याद आ जाती हो !  कभी-कभी तो कोस भी लेती हूं खुद की किस्मत को कि मुझे तुम क्यों नहीं मिली फिर याद आती है किसी की कही वो एक लाइन, " बेटियाँ किस्मत वालों को ही मिलती है !"
तुम्हारी ना बन सकी माँ
सोनी गर्ग गोयल 

2 टिप्‍पणियां:

  1. बेटी की अदम्य चाहत पर सुंदर भाव हृदय स्पर्शी रचना।
    पर जो सौगात विधाता ने दी है उसे कभी ये ना पता चले कि वो अनचाहा है।

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