बुधवार, मई 12, 2010

सतयुग से चली आ रही है निरुपमा .........

"यत्र नारिय्स्ते पूज्यन्ते तत्र देवता रमयंते"
जहां नारी कि पूजा होती है वहीँ देवताओं का वास होता है ! कई बार सुनी है ये बात ! नारी को पूजना मतलब नारी को भगवान् का स्थान देना और कहा भी गया है कि नारी भगवान् का दूसरा रूप होती है, लेकिन जब भगवान् के इस दूसरे रूप को पुरुष अपनी संपत्ति समझने लगे तब ???
रामायण के उत्तर काण्ड में वाल्मीकि जी द्वारा लिखा गया है कि जब भगवान् श्री राम, सीता जी को लंका विजय के बाद लेकर आये तो उन्होंने सीता जी से कहा कि "मैंने तुम्हे अपने प्रतिष्ठा कि रक्षा के लिए छुड़ाया है और अब तुम दसो दिशाओ में जहां चाहो, जा सकती हो !"
कुछ ऐसा ही संदर्भ एक और कथा में मिलता है, जब ऋषि परशुराम ने अपने पिता, जमदग्नि के कहने पर अपनी माता रेणुका का वध किया और ये वध ऋषि परशुराम द्वारा अपने पिता को अपने आज्ञाकारी होने का प्रमाण देने के लिए किया गया था !
अगर हम हिन्दू पुराण-शास्त्र पदे तो हमे ऐसे कई उधाहरण मिलेंगे जिसमे एक स्त्री को पुरुषो द्वारा अपनी प्रतिष्ठा कि रक्षा के लिए मारा या छोड़ा गया है !
अब क्योकि इतिहास खुद को दोहराता है इसलिए सतयुग से चली आ रही ये परम्परा या प्रथा आज खुद को दोहरा रही है, बल्कि यू कहे कि ये सतयुग से ही चलायमान रही है ! ये कभी समाप्त ही नहीं हुई थी !
पहले सतयुग और अब कलयुग में वर्ष-प्रतिवर्ष इसकी संख्या में इजाफा होता रहा है ! प्रतिष्ठा के लिए की जाने वाली नारी हत्याए ना सिर्फ़ भारत में बल्कि अन्य देशो में भी देखने को मिलती है, इसलिए हम यह नहीं कह सकते की प्रतिष्ठा हत्या या ओनर किलिंग जैसी विचारधारा सिर्फ भारत में ही विकसित हो रही है ! ये वर्ष-प्रतिवर्ष बदती जा रही है ! लेकिन अक्सर ये देखने में आता है की इस तरह की ओनर किलिंग का शिकार ज्यादातर महिलाए ही होती आई है !
इसकी गहराई में उतर कर जितना इसके बारे में जानने की कोशिश की ये खाई उतनी ही गहरी होती चली गई ! कितनी ही निरुपमाये आज अतीत में दफन हो चुकी है !
मई 2008 में हरियाणा के पूर्वी राज्य बल्ला गाँव में इसी तरह एक शादी-शुदा जोड़े की लड़की के परिवारवालों ने इसलिए हत्या कर दी गई क्योकि लड़का नीची जाती का था, उस वक़्त लड़की 22 सप्ताह की गर्भवती थी ! इस दोहरी हत्या के बाद लड़की के पिता और और उसके चचेरे भाइयो का कहना था की हमने जो किया उस पर हमे गर्व है क्योकि ये नेतिकता के लिए ज़रूरी था !
कैसी नेतिकता ???  9 मई को अंतर्राष्ट्रीय मदर डे था, सभी ने माँ को ख़ुशी देने के कुछ ना कुछ किया होगा सभी ने माँ को इस दिन पूजा पर उस माँ का क्या जिसकी  उसके गर्भ समेत  हत्या कर दी गई ! उसके भी अपने बच्चे के लिए कुछ अरमान रहे होंगे, क्या तब माँ की इज्ज़त करना ज़रूरी नहीं समझा गया ! यहाँ एक और तथ्य याद आता है, रामायण में बताया गया है की जब राम जी ने सीता जी को निर्वासित (त्याग) किया तब सीता जी भी गर्भवती थी !लेकन फिर भी उनका निर्वासन किया गया बिना ये सोचे की वो अपने शिशु की रक्षा कैसे करेंगी !
20 जुलाई 2007 को साउथ लन्दन में भी एक ओनर किलिंग हुई जिसमे लड़की जिसका नाम बनाज़ महमूद था, उस वक़्त गर्भवती थी और उसकी हत्या उसके पिता और चाचा द्वारा करवाई गई ! यहाँ भी मामला उंच नीच का था !
कुछ इसी तरह की घटना भागलपुर में हुई जिसमे एक साथ 8 लोगो की हत्या की गई, इसमें भी लड़का नीची जाती का था !
घटनाएं और भी है इनका कोई अंत नहीं है, आज ये ओनर किलिंग ना सिर्फ भारत में बल्कि ग्रेटब्रिटेन,ब्राज़ील,इटली,पकिस्तान,स्वीडन,अमेरिका  जैसे देशो में भी होती आ रही है ! यू एन कमीशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व में 5000 हज़ार ओनर किलिंग हर साल होती है !
 आज भले ही हम इकिस्वी सदी में जी रहे है लेकिन हम फिर भी इस ऊँच-नीच के भेद को नहीं भुला पा रहे है ! यही वजह है की ये ओनर किलिंग की घटनाएं लगातार बदती जा रही है !
आज निरुपमा को इन्साफ दिलाने के लिए केंडल मार्च निकाले जा रहे है हर तरफ उसे इन्साफ दिलाने की मांग की जा रही है और पूरी उम्मीद है की निरुपमा को इन्साफ ज़रूर मिलेगा, लेकिन क्या इसके बाद किसी और निरुपमा की हत्या नहीं होगी ? क्या निरुपमा को मिला इन्साफ लोगो के लिए एक सबक बन सकेगा ? ज्यादा दिन नहीं हुए जब मनोज और बबली हत्याकांड में भी कुछ इसी तरह के इन्साफ की मांग उठी थी और दोनों को इन्साफ भी मिला, लेकिन उसके बाद क्या हुआ ? सभी जानते है गाँव की पंचायत ने दोषियों को बचाने के लिए घर-घर जा कर पैसे इकट्ठे किये !
मैं अक्सर अपने लेख में एक रास्ता, एक उम्मीद तलाश ही लेती हूँ की हाँ, आज नहीं तो कल,  ऐसा होना बंद हो जायेगा लेकिन आज ओनर किलिंग की गहराइयों जब उतर कर देखा तो इससे बाहर आने का कोई रास्ता नज़र नहीं आया बल्कि ऐसा  लग ही नहीं रहा की ये कभी ख़त्म होंगी ! मुझे ऐसा कोई रास्ता नज़र नहीं आया कि जिस पर चल कर इसे हमेशा के लिए ख़त्म करने की कोशिश  की जा सके !  लेकिन क्या आपको कोई रास्ता नज़र आ रहा है ???

6 टिप्‍पणियां:

  1. "निरूपमा केस से एक बात का पता चलता है कि पूरे हिन्दुस्तान में पुलिस एक -सी है-मूर्ख और हद दर्जे की लापरवाह-। अगर कानून सही से काम कर रहा होता तो समाज की कुरूतियाँ कब की दूर हो जाती पर एसा हुआ नहीं । अगर निरूपमा को इंसाफ मिलता है तो बहुत अच्छा होगा पर इसकी उम्मीद कम ही है.."

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  2. आपने बात सही कही है और data collection के लिए आप को बधाइयाँ देता हूँ .आप की प्रस्तुति में एक चीज़ हर बार बताती है नारी पर अत्याचार हो रहे है . पर इसका कारन कौन है आप पुरुष वर्ग ko दोषी नहीं मान सकते हर बार जैसे आपने बताया है पर मै कुछ हद तक समाज को इसका दोषी मानता हूँ . अगर समाज का कुछ हो सका तो ही बात बन पायेगी

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  3. आपके द्वारा उठाए गए तमाम सवाल जायज़ हैं... सबसे पहले तो ये पूछा जाना चहिए कि ये ऑनर है क्या, जिसके लिए किलिंग की गई... सच तो सबके सामने उजागर हो ही चुका होता है, फिर कैसा ऑनर... और फिर किलर बनकर ऑनर बचाना कालिख उतारकर काजल मलने वाली बात है. मैं तो खुद ये सवाल पूछता हूँ कि ऑनर तब कहाँ था जब धर्मराज कहे जानेवाले युधिष्ठिर ने अपनी पत्नी को दाँव पर लगाया ही नहीं था उसे हार भी गए थे...
    सोनी जी, यह समाज आँख में आँख डालकर पूछे गए सवालों का जवाब नहीं देती. कभी नहीं...

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  4. आपने बात सही कही है और data collection के लिए आप को बधाइयाँ देता हूँ .आप की प्रस्तुति में एक चीज़ हर बार बताती है नारी पर अत्याचार हो रहे है . पर इसका कारन कौन है आप पुरुष वर्ग को दोषी नहीं मान सकते हर बार जैसे आपने बताया है पर मै कुछ हद तक समाज को इसका दोषी मानता हूँ . अगर समाज का कुछ हो सका तो ही बात बन पायेगी

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  5. मैं "सम्वेदना के स्वर" से पूरी तरह सहमत हूँ, पर मैं ये मानता हूँ कि यह किसी व्यक्ति विशेष या वर्ग कि गलती नहीं है ... ये एक सामाजिक रोग है ... और इसकी एक ही दवाई है ... वो है अपनी सोच में परिवर्तन ... एक एक इंसान को बदलना है ... तभी समाज बदलेगा !

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  6. अरे भाई पहले इसका अर्थ तो समझो
    "यत्र नारिस्य्तु पूज्यन्ते तत्र रमन्ते देवता"
    जहाँ पर नारी की पूजा होती है वहीं पर देवता रमण करते हैं |
    उदहारण भी ले लो

    अहिल्या और इन्द्र
    अनुसूया और ब्रह्मा विष्णु महेश
    तुलसी और विष्णु
    सती और यमराज

    अरे भाई नारी की पूजा करोगे तो यही होने वाला है |
    पूजा तुम करोगे और भोग कोई और लगा जायेगा |
    और फिर तुम उस भोग लगाईं गई नारी को फिर सती का दर्ज़ा देकर फिर उसकी पूजा करोगे |
    यही होता भी है |

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